Monday, June 27, 2016

बेकरीना ज़िंदगी ...!!!


जो क़रीने से सजी थी बेक़रीना  हो गई ..
प्यार से देखा जो उसने ज़िन्दगानी खो गई ;
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हो गई बीमार उनके इश्क़ में मैं इस क़दर...
यूँ लगा जैसे निकलकर जिस्म से जां तो गयी;
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मैं भजन गाती रही जिस देवता के उम्र भर..
नींद सौतन उसकी आँखों में उतर कर बो गई ;
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लाख़ तरकीबें तराशीं क़ैद से छूटे न हम...
ज़िंदगी जब थी उन्हीं की तो उन्हीं की हो गई ;
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ये कहाँ मालूम था ऐसा भी होगा मेरे साथ ;
रात भर जागी रही मैं  दिन निकलते सो गई ;
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धूप 'तरुणा' ले गई जब मुस्कराहट छीन कर...
रात अश्क़ों से फ़र्सुदा गुल का चेहरा धो गई..!!
(फ़र्सुदा-उदास)
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......................................................'तरुणा'...!!!





Saturday, June 25, 2016

पिंजरे ...!!!


रहे हैं क़ैद जिन पिंजरों में वो तोड़े नहीं जाते...
उसूलों के हैं यूँ पाबंद हम छोड़े नहीं जाते ;
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यहाँ रंगों की क़ीमत है नहीं महकार की वक़अत...
वगरना फूल बागीचों से यूँ तोड़े नहीं जाते ;
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तुम्हारे दर से वाबस्ता हुईं मेरी सभी राहें....
करूँ मैं लाख़ कोशिश रास्ते मोड़े नहीं जाते ;
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हसद में कोई भी असवार के कितना मुक़ाबिल हो..
गधों से दौड़ में पीछे कभी घोड़े नहीं जाते ;
(हसद-ईर्ष्या,असवार-घुड़सवार)
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अज़ीज़ों से भी बढ़कर ग़म तुम्हारे हैं मुझे प्यारे....
किसी सूरत भी अब मुझसे ये ग़म छोड़े नहीं जाते ;
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बहुत समझाया था सबने लगाओ गाँठ मत ऐसी....
उलझ के टूटते रिश्ते कभी जोड़े नहीं जाते ;
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जो तुमने आबले बख़्शे हैं मुझको प्यार के 'तरुणा'....
मुहब्बत की अमानत हैं कभी फोड़े नहीं जाते...!!
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.......................................................................'तरुणा'...!!!









Tuesday, June 21, 2016

कोई ऐसा होता ...!!!














कोई ऐसा वैसा होता..
मेरे ख़ाबों जैसा होता ;
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ऐसा वैसा कैसा होता...
इन्सां इन्सां जैसा होता ;
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दूर सभी के दुःख कर पाती..
पास में इतना पैसा होता ;
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गुण होते इंसानों जैसे..
भीड़ में कोई ऐसा होता ;
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आज आदमी बन जो आये...
तो ये भगवन कैसा होता ;
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अपना अक्स न देखे कोई..
दूजा ऐसा तैसा होता ;
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इज़्ज़त है मोहताज इसी की...
हाय पैसा पैसा होता ;
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अक्सर सोचा करती हूँ मैं..
तू भी मेरे जैसा होता ;
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रूठा करती जिससे 'तरुणा'..
काश कोई तो ऐसा होता..!!
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............................'तरुणा'...!!!



Friday, June 17, 2016

हादसा ...!!!


हाय क्यूँ  ऐसा हादसा न हुआ ..
मेरा हमदम जो बावफ़ा न हुआ ;
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मुन्तज़िर थी खुलेंगे लब उनके..
उनसे लेकिन ये फ़ैसला न हुआ..
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साथ तुम हो लिए ज़माने के..
तुम को रोकूँ ये हौसला न हुआ ;
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दूध पी के भी डस रहा है वो...
नाग पल कर भी देवता न हुआ ;
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रात दिन दिल मेरा सुलगता है ..
फिर भी तुझसे कभी गिला न हुआ ;
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जाने वो और का हुआ कैसे ..
साथ रहकर भी जो मेरा न हुआ ;
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बख्शती गर नहीं तो क्या करती...
उसके जैसा तो दूसरा न हुआ ;
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उससे बिछड़ी हूँ इस तरह 'तरुणा' ...
मेरा खुद से ही राब्ता न हुआ ...!!
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.....................................'तरुणा'...!!!







Tuesday, June 14, 2016

दश्त की चाहत...!!!


छोड़ कर अब हम किनारा आ गए तूफान में...
देखना है जोर कितना अब बचा है जान में ;
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कर लिया तामीर हमने खूबसूरत आशियाँ...
थी मगर ख़ुशियाँ बहुत टूटे हुए दालान में ;
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दश्त की चाहत जिसे हो या तलब सहरा की हो..
प्यास उसकी क्या बुझेगी अब किसी बारान में ;
(दश्त-जंगल , बारान-वर्षा)
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इश्क़ में बेचैनियाँ जिसको मिली हो अनगिनत...
फिर मज़ा आए कहाँ से उसको इत्मीनान में ;
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अजनबी जब हो गए तो क़ुर्बतें कुछ हो गईं....
फ़ासला कितना रहा बरसों रही पहचान में ;
(क़ुर्बतें-नजदीकियाँ)
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भूल जाओ तुम उसे मैं भी भुला दूँगी उसे..
दोस्ती खोई हमारी एक जिस अहसान में ;
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सौ दफ़ा मानी तुम्हारी बात गो वाज़िब न थी..
किस क़दर था अपनापन हर इक नए फरमान में ;
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जो निग़ाहों में मेरी 'तरुणा' रहा है  नासमझ..
प्यार ढूँढा मैंने अब तक भी उसी नादान में..!!
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............................................................'तरुणा'...!!!


Sunday, June 12, 2016

बेहद क़रीब...!!



आप जब जब क़रीब होते हैं ...
लोग कितने रक़ीब होते हैं ;
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ज़ह्र देते है जो दवा कहकर..
कैसे कैसे तबीब होते हैं ;
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जिनको शाही सलाम करती है…
अस्ल में वो अदीब होते हैं ;
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उम्र भर पूजते हैं इक बुत को…
इश्क़ वाले अजीब होते हैं ;
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डालते हो निगाह जिन पर तुम
हाँ वही ख़ुशनसीब होते हैं ;
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प्यार दिल में न जिनके बाक़ी हो
वो ही सबसे ग़रीब होते हैं ;
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पास जिस पल नहीं हैं वो तरुणा’..
पल वही बदनसीब होते हैं...!!
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........................................'तरुणा'..!!!


Thursday, June 9, 2016

पैसा रे पैसा ...!!!


सबका तन मन धन है पैसा
कितनो की धड़कन है पैसा ;
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फटा हुआ दामन है पैसा...
रोता इक बचपन है पैसा ;
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रिश्तों का आधार बना पर ..
ख़ुद कितना निर्धन है पैसा
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दावा करता सुलझाने का...
बड़ी अजब उलझन है पैसा ;
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प्यार मुहब्बत ऐसे करते...
सपनो का साजन है पैसा ;
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अलग अक्स दिखलाता सबको..
कैसा ये दर्पण है पैसा ;
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ख़ार बहुत और गुल हैं थोड़े...
ऐसा इक गुलशन है पैसा ;
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धूप सरीखा खिला खिला सा...
और कभी सावन है पैसा ;
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आँगन में दीवार उठा दे...
बच्चों में अनबन है पैसा ;
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'तरुणा' कितने ही लोगों के...
जीवन का दर्शन है पैसा...!!
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................................'तरुणा'..!!!