Tuesday, May 31, 2016

जब वो लौटेंगे ...!!!



बाद मुद्दत के वो लौटे तो ये हालत होगी...
सारी दुनिया ही मेरे वास्ते जन्नत होगी ;
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वो हसीं तो हैं बड़े दिल में जो बसते हैं मेरे..
इक नज़र मुझको जो देखें तो इनायत होगी ;
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उनको वैसे तो निहारेंगे निग़ाहों से फ़क़त....
और बाँहों में भरेंगे जो इजाज़त होगी ;
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चोर नज़रों से ही तकना मुझे मेरे हमदम....
प्यार से मुझको जो देखोगे तो शोहरत होगी ;
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मेरे चेहरे को न देखो तो कोई बात नहीं.....
अपने पहलू से उठाओगे शिक़ायत होगी ;
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अक्स उनका ही तो है दिल में हमारे तरुणा’.....
उनको ही दिल में सजायेंगे इबादत होगी....!!
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........................................................’तरुणा’....!!!



Friday, May 27, 2016

सियाह ज़िंदगानी....!!!


आज खुद को तबाह कर लेंगे...
ज़िंदगानी सियाह कर लेंगे ;
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तुम न मिल पाए तो गिला क्या है...
याद ही से निबाह कर लेंगे ;
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खोल कर सारे बन्द दरवाज़े...
आपके दिल में राह कर लेंगे ;
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कब ये मालूम था हसीं चेहरे...
सब दिलो को सियाह कर लेंगे ;
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ज़िन्दगी भर अगर नहीं मिलते..
हम तो यूँ भी निबाह कर लेंगे ;
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सारी दुनिया से फेर कर नज़रें...
उनकी जानिब निगाह कर लेंगे ;
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गर मुहब्बत गुनाह है 'तरुणा'...
एक ये भी गुनाह कर लेंगे... !!
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….........................'तरुणा'...!!!


Wednesday, May 25, 2016

तोल लेता है...!!


जिधर का रुख वो करता है सफ़र को तोल लेता है ..
कहाँ ठहरें कहाँ दम लें डगर को तोल लेता है ;
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जिसे चिंतन की आदत है सभी के भेद पहचाने ..
उचटती सी नज़र में हर  बशर को तोल लेता है ;
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उसी मालिक ने बख्शा है परिंदे को हुनर ऐसा..
नशेमन के लिए शाख़े शज़र को तोल लेता है ;
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परख लेता है वो इक़दाम अपने दुश्मनों के सब..
मुख़ालिफ सम्त वालों के जिगर को तोल लेता है ;
(इक़दाम- क़दम उठाना)
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इसी खदशे से मैं उससे निग़ाहें फेर लेती हूँ ....
मिलाते ही नज़र ज़ालिम नज़र को तोल लेता है ;
(खदशे-डर)
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इधर मतला पढ़ा तरुणासमझ लेता है मक्ते तक ..
ग़ज़ल में डूब कर मेरी असर को तोल लेता है ..!!
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......................................................................'तरुणा'...!!!



Friday, May 20, 2016

ज़ब्त -ए-दिल ...!!!


ज़ब्त -ए-दिल को न तुम आज़माया करो...
तीर नज़रों से यूँ मत चलाया करो ;
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प्यार से देखिए अपने माँ-बाप को.....
नेकियाँ आप ऐसे कमाया करो ;
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मुश्किलें तो मिलेंगी हर इक राह पर ..
इनसे डरकर न हिम्मत गंवाया करो ;
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लफ़्ज़ खो जायेंगे भीड़ मे सब के सब...
जा ब जा तुम न इनको सुनाया करो ;
(जा ब जा - जगह जगह )
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मुस्कुराहट से रोशन है दोनों जहाँ...
कोई क़ीमत न इसकी लगाया करो :
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कौन अपना है पहचान हो जाएगी ..
दोस्तों को कभी आज़माया करो ;
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ज़िस्म के दाग़ सबको दिखेंगे मगर..
ज़ख्म बेखौफ़ दिल पे लगाया करो ;
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प्यार के रंग हैं वस्ल भी हिज़्र भी ..
साथ इनका कभी तो निभाया करो ;
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बह्स बे सूद है इससे क्या फ़ायदा...
बात को इस क़दर मत बढ़ाया करो ;
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कौन है जिसके दामन पे छीटें न हों..
उंगलियाँ यूँ न 'तरुणा' उठाया करो ..!!
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........................................'तरुणा'...!!!





Friday, May 13, 2016

कहाँ कहाँ....!!!



भटकें हैं आपके लिए तन्हा कहाँ कहाँ..
पूछो न हमने आपको ढूँढा कहाँ कहाँ ;
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दिल तोड़ने के बाद फिर आकर तो देखते...
छाले कहाँ हैं और है पीड़ा कहाँ कहाँ ;
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आंखों में कल्पना में कभी दिल के सहन में.. ..
हरजाई सा लगा है वो आया कहाँ कहाँ ;
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छाया तो था सुलगती फ़ज़ाओं में वो मगर..
मालूम ही न हो सका बरसा कहाँ कहाँ ;
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डरते रही हमेशा बताने से दिल के राज़...
मेरे दयारे दिल में वो उतरा कहाँ कहाँ ;
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तरुणावो दोस्त था मेरा प्यारा भी था मगर ..
काटा उसी ने ही मेरा पत्ता कहाँ कहाँ ..!!
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................................................'तरुणा'...!!!