Tuesday, December 15, 2015

सफ़र की आज़माईश...!!!













सफ़र में पता क्या के क्या बात होगी ...
मगर आज़माईश तो दिन-रात होगी ;
.
ये तन्हाईयों से है किसने उबारा...
तुम्हारी ही याद़ों की बारात होगी ;
.
किसी दोस्त ने ही किया क़त्ल मुझको..
अदू में कहाँ इतनी औकात होगी ;
(अदू- शत्रु /enemy)
.
पड़ी ज़र्ब जब भी बची हूँ हमेशा...
यकीनन ख़ुदा की करामात होगी ;
(ज़र्ब-मार.. Blow.. )
.
कहाँ ये पता था मुहब्बत में ऐसे ..
निग़ाहें मिलेंगी हवालात होगी ;
.
हवा है महकती खिले चार सू गुल..
ये उनके ही जलवों की बरसात होगी ;
.
ठहरती हूँ हर मोड़ पर मैं अभी भी ..
कहीं पर  तो उनसे मुलाक़ात होगी ..!!
.
................................................'तरुणा'...!!!

.

Safar me pata kya ke kya baat hogi...
Magar aazmaayish to din raat hogi ;
.
Ye tanhaayiyon se  hai kisne ubara...
Tumhari hi yaadon ki baraat hogi ;
.
Kisi dost ne hi kiya qatl mujhko...
Adu me kahan itni aukaat hogi ;
.
Padi zarb jab bhi bachi hun hamesha ..
Yakeenan Khuda ki karaamaat hogi ;
.
Kahan ye pata tha muhabbat me aise..
Nigaahein milengi hawalaat hogi ;
.
Hawa hai mahakti khile chaar soo gul..
Ye unke hi jalwon ki barsaat hogi ;
.
Theharti hun har mod par main abhi bhi ..
Kahin par to unse mulaaqaat hogi ..!!
.

.......................................................'Taruna'...!!!

No comments: