सफ़र
में पता क्या के क्या बात होगी ...
मगर
आज़माईश तो दिन-रात होगी ;
.
ये
तन्हाईयों से है किसने उबारा...
तुम्हारी
ही याद़ों की बारात होगी ;
.
किसी
दोस्त ने ही किया क़त्ल मुझको..
अदू
में कहाँ इतनी औकात होगी ;
(अदू-
शत्रु /enemy)
.
पड़ी
ज़र्ब जब भी बची हूँ हमेशा...
यकीनन
ख़ुदा की करामात होगी ;
(ज़र्ब-मार..
Blow.. )
.
कहाँ
ये पता था मुहब्बत में ऐसे ..
निग़ाहें
मिलेंगी हवालात होगी ;
.
हवा
है महकती खिले चार सू गुल..
ये
उनके ही जलवों की बरसात होगी ;
.
ठहरती
हूँ हर मोड़ पर मैं अभी भी ..
कहीं
पर तो उनसे मुलाक़ात होगी ..!!
.
................................................'तरुणा'...!!!
.
Safar me pata kya ke kya baat hogi...
Magar aazmaayish to din raat hogi ;
.
Ye tanhaayiyon se hai kisne
ubara...
Tumhari hi yaadon ki baraat hogi ;
.
Kisi dost ne hi kiya qatl mujhko...
Adu me kahan itni aukaat hogi ;
.
Padi zarb jab bhi bachi hun hamesha ..
Yakeenan Khuda ki karaamaat hogi ;
.
Kahan ye pata tha muhabbat me aise..
Nigaahein milengi hawalaat hogi ;
.
Hawa hai mahakti khile chaar soo gul..
Ye unke hi jalwon ki barsaat hogi ;
.
Theharti hun har mod par main abhi bhi ..
Kahin par to unse mulaaqaat hogi ..!!
.
.......................................................'Taruna'...!!!
No comments:
Post a Comment