Friday, December 11, 2015

बस मुझे चाहता है... !!!















वो जिस पे के सारा ज़माना फ़िदा है ..
किसी को नहीं बस मुझे चाहता  है ;
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समझता तू ख़ुद को अगर देवता है ...
ज़रा देख पहले क्या इंसा बना है ;
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न पूछो के हमको हुआ आज क्या  है ..
मिली दिल लगाने की हमको सज़ा है ;
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मुहब्बत न करना कहा था सभी ने...
हमी ये न समझे हमारी खता है ;
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धुँआ उठ रहा है जो हर सिम्त से अब ..
मेरे साथ किसका ये दिल जल रहा है ;
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हमेशा ही करते वही काम क्यूँ हो ..
जहाँ सिर्फ़ अपना दिखे फ़ायदा है ;
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वो काबिज़ रहा है हमेशा ही दिल में ..
नहीं दरमियाँ अब कोई फ़ासला है ;
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ज़माने में दस्तूर देखा पुराना...
भले को यहाँ हर कोई लूटता है ;
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जिसे खोने से हम डरे उम्र भर ही ..
हमारे लिए वो कहाँ सोचता है  ;
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गले मिल के शिकवे-गिले सब भुला दो..
भला किसका गुस्से से आख़िर हुआ है ;
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सजाई है सपनो की महफ़िल जो हमने..
यहाँ आज तो चाँद पूरा खिला है ;
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...................................................'तरुणा'...!!!






































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