Tuesday, December 22, 2015

तो कोई बात नहीं..!!!













ये दिल जो उसपे फ़िदा है तो कोई बात नहीं ;
नही जो उसको पता है तो कोई बात नहीं ;
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भला नहीं वो बुरा है तो कोई बात नहीं....
उसे अज़ीज़ जफ़ा है तो कोई बात नहीं ;
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चराग मेरा बुझा है तो कोई बात नहीं ...
हवा को मुझसे गिला है तो कोई बात नहीं ;
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वो बेवजह ही ख़फा है तो कोई बात नहीं ..
यही वफ़ा का सिला है तो कोई बात नहीं ;
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उसे मना के कई बार लौट आई हूँ ... 
वो फिर भी रूठा हुआ है तो कोई बात नहीं ;
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हमारे वास्ते बस इक चराग काफी है..
अगरचे शम्स ढला है तो कोई बात नहीं ;
(शम्स-सूरज)
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कभी गिरे न निगाहों से वो ज़माने की...
नज़र से मेरी गिरा है तो कोई बात नहीं ;
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मुझे ये आपने इल्ज़ाम दे दिए कितने..
मेरा ये प्यार खता है तो कोई बात नहीं ;
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मेरी नज़र में तो वो अब भी दोस्त है मेरा ..
वो दुश्मनों से मिला है तो कोई बात नहीं ;
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कभी पिलाया नहीं जाम एक नज़रों से..
बिना पिए ही नशा है तो कोई बात नहीं ;
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................................................................'तरुणा'...!!!


Sunday, December 20, 2015

इतना ही कर दो...!!



अगर तुम से बने इतना ही कर दो...
नहीं कुछ और तो इल्ज़ाम धर दो ;
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हमारी है कहाँ ये ज़िंदगी भी....
जो तुम चाहो इसे नीलाम कर दो ;
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नशा आँखों में है इतना तुम्हारी...
मिला लो मुझसे थोड़ा सा असर दो ;
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बहुत वीरान है ये ज़िंदगी अब ....
इसे तुम प्यार से अपने ही भर दो ;
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नहीं मैं यूँ नहीं छोडूंगी पीछा...
ये अपना दिल ही मेरे नाम कर दो ;
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भटकते दिल को छोड़ो यूँ न तन्हा...
इसे सपनो से झिलमिल इक नगर दो ;
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हमेशा नाक पे रहता है गुस्सा ...
मुहब्बत को मुहब्बत की नज़र दो ...!!
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..............................................'तरुणा'.... !!!
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Agar tum se bane itna hi kar do...
Nahin  kuchh aur to ilzaam dhar do ;
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Hamari hai kahan ye zindgi bhi...
Jo tum chaaho ise neelaam kar do ;
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Nasha aankhon me hai itna tumhari..
Mila lo mujhse thoda sa asar do ;
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Bahut veeraan hai ye zindgi ab...
Isey tum pyaar se apne hi bhar do ;
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Nahin main yun nahin chhodungi peechha...
Ye apna dil hi mere naam kar do ;
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Bhatkte dil ko chhodo yun na tanha...
Isey sapno se jhilmil ik nagar do ;
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Hamesha naak pe rahta hai gussa...
Muhabbat ko muhabbat ki nazar do..!!
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..........................................................'Taruna'...!!!






Tuesday, December 15, 2015

सफ़र की आज़माईश...!!!













सफ़र में पता क्या के क्या बात होगी ...
मगर आज़माईश तो दिन-रात होगी ;
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ये तन्हाईयों से है किसने उबारा...
तुम्हारी ही याद़ों की बारात होगी ;
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किसी दोस्त ने ही किया क़त्ल मुझको..
अदू में कहाँ इतनी औकात होगी ;
(अदू- शत्रु /enemy)
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पड़ी ज़र्ब जब भी बची हूँ हमेशा...
यकीनन ख़ुदा की करामात होगी ;
(ज़र्ब-मार.. Blow.. )
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कहाँ ये पता था मुहब्बत में ऐसे ..
निग़ाहें मिलेंगी हवालात होगी ;
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हवा है महकती खिले चार सू गुल..
ये उनके ही जलवों की बरसात होगी ;
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ठहरती हूँ हर मोड़ पर मैं अभी भी ..
कहीं पर  तो उनसे मुलाक़ात होगी ..!!
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................................................'तरुणा'...!!!

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Safar me pata kya ke kya baat hogi...
Magar aazmaayish to din raat hogi ;
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Ye tanhaayiyon se  hai kisne ubara...
Tumhari hi yaadon ki baraat hogi ;
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Kisi dost ne hi kiya qatl mujhko...
Adu me kahan itni aukaat hogi ;
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Padi zarb jab bhi bachi hun hamesha ..
Yakeenan Khuda ki karaamaat hogi ;
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Kahan ye pata tha muhabbat me aise..
Nigaahein milengi hawalaat hogi ;
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Hawa hai mahakti khile chaar soo gul..
Ye unke hi jalwon ki barsaat hogi ;
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Theharti hun har mod par main abhi bhi ..
Kahin par to unse mulaaqaat hogi ..!!
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.......................................................'Taruna'...!!!

Friday, December 11, 2015

बस मुझे चाहता है... !!!















वो जिस पे के सारा ज़माना फ़िदा है ..
किसी को नहीं बस मुझे चाहता  है ;
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समझता तू ख़ुद को अगर देवता है ...
ज़रा देख पहले क्या इंसा बना है ;
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न पूछो के हमको हुआ आज क्या  है ..
मिली दिल लगाने की हमको सज़ा है ;
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मुहब्बत न करना कहा था सभी ने...
हमी ये न समझे हमारी खता है ;
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धुँआ उठ रहा है जो हर सिम्त से अब ..
मेरे साथ किसका ये दिल जल रहा है ;
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हमेशा ही करते वही काम क्यूँ हो ..
जहाँ सिर्फ़ अपना दिखे फ़ायदा है ;
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वो काबिज़ रहा है हमेशा ही दिल में ..
नहीं दरमियाँ अब कोई फ़ासला है ;
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ज़माने में दस्तूर देखा पुराना...
भले को यहाँ हर कोई लूटता है ;
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जिसे खोने से हम डरे उम्र भर ही ..
हमारे लिए वो कहाँ सोचता है  ;
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गले मिल के शिकवे-गिले सब भुला दो..
भला किसका गुस्से से आख़िर हुआ है ;
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सजाई है सपनो की महफ़िल जो हमने..
यहाँ आज तो चाँद पूरा खिला है ;
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...................................................'तरुणा'...!!!






































Tuesday, December 8, 2015

ज़िंदगी... !!!



जब से तू बन गई  हमसफ़र ज़िंदगी...
हंस के होने लगी  अब गुज़र ज़िंदगी ;
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ज़िंदगी को मयस्सर नहीं ज़िंदगी....
फिर भी हंस के हुई है बसर ज़िंदगी ;
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सिर्फ़ कांटे नहीं फूल भी हैं खिले...
है महकती हुई  पुरअसर ज़िंदगी  ;
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मंज़िलें दूर हैं दम तो ले  सुन ज़रा ;
दो घड़ी रास्ते में ठहर ज़िंदगी ;
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इश्क़ की नाव पर  कर लिया है बसर..
अब बिगाड़ेगी क्या ये भँवर ज़िंदगी ;
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उम्र भर ज़िंदगी को  तलाशा किए...
गुमशुदा ही रही  ये मगर ज़िंदगी ;
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धूप भी छाँव भी  ठौर भी ठाँव भी..
हर नज़ारा दिखाए  इधर ज़िंदगी ;
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रूठती  भी रही  मानती  भी रही ...
मैं इधर तो रही है  उधर ज़िंदगी ;
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लाख धोखे मिले  फिर भी लगता यही..
तू हमेशा रही  मोतबर ज़िंदगी ;
(मोतबर- विश्वसनीय/ reliable)
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छाँव भी हो नहीं  इक समर भी न हो ...
मत बनाना तू ऐसा  शज़र ज़िंदगी ;
(समर-फल/fruit)
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वक्ते-रुखसत हो जाना भी  मुश्किल मेरा ...
टूटकर चाह मत  इस कदर ज़िंदगी ...!!
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.......................................................... 'तरुणा'...!!!

Wednesday, December 2, 2015

खिड़कियों की दरारें... !!!



कभी महबूब को रुसवा न करना..
किसी के सामने छोटा न करना ;
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बहुत मजबूरियाँ आयेंगी आड़े ...
मगर इक काम भी उल्टा न करना ;
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मुहब्बत पर यकीं जिसको नहीं है ..
किसी ऐसे से बस रिश्ता न करना ;
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सभी झांकें दरारों खिड़कियों से ...
यूँ अपने घर को इक रस्ता न करना ;
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बहुत ऊंचे उठो तुम शौक़ से पर...
गिरा के ग़ैर को नीचा न करना ;
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बनेगा मसअला  ये उनकी खातिर ...
सभी के आगे दिल खोला न करना ;
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भले आगे निकल जाए सभी पर ...
कभी ईमान का सौदा न करना ;
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यकीनन तोड़ के रख देंगे इक दिन ..
कभी ख़्वाबों का तुम पीछा न करना ;
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बहुत मुमकिन नहीं दे साथ कोई ...
मगर दुनिया से दिल खट्टा न करना...!!
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...........................................'तरुणा'...!!!

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Kabhi mehboob ko ruswa na karna..
Kisi ke saamne chhota na karna ;
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Bahut majbooriyaan aayengi aade...
Magar ik kaam bhi ulta na karna ;
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Muhabbat par yakeEn jisko nahi hai..
Kisi aise se bas rishta na karna ;
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Sabhi jhaanke daraaron khidkiyon se..
Yun apne ghar ko ik rasta na karna ;
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Bahut oonche utho tum shauq se par..
Gira ke gair ko neecha na karna ;
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Banega mas'alaa ye unki khaatir.. ..
Sabhi ke aage dil khola na karna ;
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Bhale aage nikal jaaye sabhi par..
Kabhi imaan ka sauda na karna ;
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Yakeenan tod ke rakh denge ik din...
kabhi khwaabon ka tum peechha na karna ;
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Bahut mumkin nahi de saath koi …
Magar duniya se dil khatta na karna ..!!
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............................................................'Taruna'..!!!