ये दिल जो उसपे फ़िदा है तो
कोई बात नहीं ;
नही जो उसको पता है तो कोई बात नहीं ;
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भला नहीं वो बुरा है तो कोई बात नहीं....
उसे अज़ीज़ जफ़ा है तो कोई बात नहीं ;
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चराग मेरा बुझा है तो कोई बात नहीं ...
हवा को मुझसे गिला है तो कोई बात नहीं ;
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वो बेवजह ही ख़फा है तो कोई बात नहीं ..
यही वफ़ा का सिला है तो कोई बात नहीं ;
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उसे मना के कई बार लौट आई हूँ ...
वो फिर भी रूठा हुआ है तो कोई बात नहीं ;
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हमारे वास्ते बस इक चराग काफी है..
अगरचे शम्स ढला है तो कोई बात नहीं ;
(शम्स-सूरज)
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कभी गिरे न निगाहों से वो ज़माने की...
नज़र से मेरी गिरा है तो कोई बात नहीं
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मुझे ये आपने इल्ज़ाम दे दिए कितने..
मेरा ये प्यार खता है तो कोई बात नहीं ;
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मेरी नज़र में तो वो अब भी दोस्त है मेरा ..
वो दुश्मनों से मिला है तो कोई बात नहीं ;
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कभी पिलाया नहीं जाम एक नज़रों से..
बिना पिए ही नशा है तो कोई बात नहीं ;
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................................................................'तरुणा'...!!!