मैं प्यार हूँ .....
सिर से लेकर पाँव तक....
सागर की तलहटी से .... आसमां की छत तक..
और तुम मुझमे हो...
प्यार में डूबे हुए .. आकंठ तक...
जब तक मैं जिंदा हूँ...
जीवित हो तुम... मुझमे...
साथ चलोगे... बैठोगे... सोओगे,,,,
हंसोगे... रूठोगे... खिलखिलाओगे,,,
मेरी हर सोच में... महकोगे....
और जब मैं ही न रही .... कभी तो...
दम तोड़ दोगे तुम भी .... मेरे साथ...
पर जीते जी मेरे... मैं कभी न ..
सांस की डोर... टूटने दूँगी..तुम्हारी.....
मेरी सांसो से मिलता रहेगा.. तुम्हे खाद और पानी..
और ये पौधा .. यूँ ही पनपता रहेगा... मेरे साथ....
.............................................................'तरुणा'..!!!
Main Pyaar hoon..
Sar se lekar paanv tak...
Saagar ki talhati se... aasmaan ki chhat tak...
Aur tum mujhme ho ...
Pyaar me doobe huye ... aakanth tak...
Jab tak main Zinda hoon...
Jeewit ho tum .... mujhme...
Saath chaloge.... baithoge... soauge...
Hansoge... roothoge ... khilkhilaoge....
Meri har soch me .. mehakoge...
Aur jab main hi na rahi .. kabhi to...
Dam tod doge tum bhi ... mere saath ...
Par jeete jee mere ... main kabhi na..
Saans ki dor ,, tootne doongi.. tumhari..
Meri saanso se milta rahega .. tumhe khaad aur paani ...
Aur ye paudha .. yun hi panapta rahega... mere saath ...
...............................................................................'Taruna'...!!!
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