मेरे हाथों में हैं
ये क्या????
ये नही है...कोई रंग
लगा....
लाल-लाल.......लहू सा....
ये सच में
मेरा खून है....
जो बहा है....मेरे जिस्म
से...
बार-बार......लगातार....
क्यूँकि.....आज फिर....
अपना क़त्ल कर दिया
मैने...
कर दिया खून....अपने वजूद
का...
मुझमें तेरे होने
के.....हर सुबूत
का...
हर रोज़.....क़त्ल करती
हूँ मैं....
अपनी रूह को
फ़ना...करती हूँ
मैं..
रोज़ अपना लहू
बहाती हूँ...
तुझको....अपने जिस्म
से छुड़ाती हूँ...
फिर भी तुम
रोज़....आ जाते
हो..
मुझको बहका के....मुझमें समाने...
बहते रहते हो.....मेरी रगों
में हर घड़ी..
फिर वही काम....मैं दोहराती
हूँ...
क़त्ल करती हूँ
खुद ही....
खुद ही मरी
जाती हूँ...
जाने कितना लहू बहाया
है...
फिर भी... मैं मर
नही पाई हूँ...
मेरे हाथों से रंग
न ये...उतरा
हैं...
क्यूँकि....तू मुझमें
अभी भी जिंदा
हैं....
क़त्ल करती रहूंगी....बार-बार....
जब तक न
मरूँगी मैं....एक बार...
जाने वो दिन
कब आएगा????
जब तू मुझसे
जुदा हो जाएगा....
क्या मेरा लहू
रंग लाएगा???
क्या?????????
...............................तरुणा||
17 comments:
awesome poetry
Mahima...बहुत बहुत शुक्रिया ...:)
शब्द बहुत प्रभावी और उतङ्ग प्रवाह, पर नायिका के इस प्रयाण का कारण क्या है समझ मे नहीं आया॰
उमा जी....कई बार न चाहते हुए भी हमें अपने प्यार से दूर होना पड़ता है...हम करना नहीं चाहतें हैं...पर करना पड़ता है...नायिका की यही विडंबना दिखाने की कोशिश है...बार बार अपने प्रेमी को दूर करने की कोशिश में वो असफल होती है....और फिर वही क्षीण कोशिश करती है...पर मन में तो वही बसा है....बस बात इतनी सी है...पर बहुत गहरी है.. धन्यवाद आपका..इतने गहरे उतरने के लिए.....तरुणा...:)
Hmmmmm "जाने वो दिन कब आएगा????"... Taruna ji, Bahut khoobsoorati se kaha hai :)..................................................Prajwal
Lazawaab Jazbaat Or Umda Lekhni.
Bahut Khoob...Sundar
Prajwaal Jii .... Sooo many thankss ... :))))
अभिषेक कुमार झा अज़नबी जी ...बहुत आभारी हूँ कि आपको मेरी रचना पसंद आई ...:)))
मंगलवार 09/04/201को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
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Vibha Rani Srivastava Ji .... aapki bahut aaabhaari hoon ... aapko meri Rachna pasand aayi ... maine Blog ki settings me aapke kahe anusaar change kar diya hai ... Shukriya ... :)))
bahut hi sundar..aapke lafz..aapki lekhni zaroor rang layenge..
क़त्ल करती रहूंगी....बार-बार....
जब तक न मरूँगी मैं....एक बार...
जाने वो दिन कब आएगा????
जब तू मुझसे जुदा हो जाएगा....
क्या मेरा लहू रंग लाएगा???
क्या????????? ...लायेगा जरूर लायेगा जब अपने,समृद्ध चिंतन,मन में बसे सुविचारों से,ये जीवन,यज्ञ में आहुति पा जायेगा ! वाह वाह,आदरणीया बहुत खूब नायाब सृजन ! बहुत बधाई !....
Dard ka bahut sahi Bayaa'N'.........
Rashmi ji.... Bahut Bahut Shukriya ... :)
Aap ki taareef ke liye bahut bahut aabhaar... par apna naam bhi bata dete to bahut achcha hota.. :)
Manu ji.... Soo many Many Thankss... :)
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