Sunday, December 2, 2012

मेरा लहू....


मेरे हाथों में हैं ये क्या????
ये नही है...कोई रंग लगा....
लाल-लाल.......लहू सा....
ये सच में मेरा खून है....
जो बहा है....मेरे जिस्म से...
बार-बार......लगातार....
क्यूँकि.....आज फिर....
अपना क़त्ल कर दिया मैने...
कर दिया खून....अपने वजूद का...
मुझमें तेरे होने के.....हर सुबूत का...
हर रोज़.....क़त्ल करती हूँ मैं....
अपनी रूह को फ़ना...करती हूँ मैं..
रोज़ अपना लहू बहाती हूँ...
तुझको....अपने जिस्म से छुड़ाती हूँ...
फिर भी तुम रोज़.... जाते हो..
मुझको बहका के....मुझमें समाने...
बहते रहते हो.....मेरी रगों में हर घड़ी..
फिर वही काम....मैं दोहराती हूँ...
क़त्ल करती हूँ खुद ही....
खुद ही मरी जाती हूँ...
जाने कितना लहू बहाया है...
फिर भी... मैं मर नही पाई हूँ...
मेरे हाथों से रंग ये...उतरा हैं...
क्यूँकि....तू मुझमें अभी भी जिंदा हैं....
क़त्ल करती रहूंगी....बार-बार....
जब तक मरूँगी मैं....एक बार...
जाने वो दिन कब आएगा????
जब तू मुझसे जुदा हो जाएगा....
क्या मेरा लहू रंग लाएगा???
क्या?????????
...............................तरुणा||   

17 comments:

Mahima Mittal said...

awesome poetry

taruna misra said...

Mahima...बहुत बहुत शुक्रिया ...:)

Unknown said...

शब्द बहुत प्रभावी और उतङ्ग प्रवाह, पर नायिका के इस प्रयाण का कारण क्या है समझ मे नहीं आया॰

taruna misra said...

उमा जी....कई बार न चाहते हुए भी हमें अपने प्यार से दूर होना पड़ता है...हम करना नहीं चाहतें हैं...पर करना पड़ता है...नायिका की यही विडंबना दिखाने की कोशिश है...बार बार अपने प्रेमी को दूर करने की कोशिश में वो असफल होती है....और फिर वही क्षीण कोशिश करती है...पर मन में तो वही बसा है....बस बात इतनी सी है...पर बहुत गहरी है.. धन्यवाद आपका..इतने गहरे उतरने के लिए.....तरुणा...:)

Prajwal said...

Hmmmmm "जाने वो दिन कब आएगा????"... Taruna ji, Bahut khoobsoorati se kaha hai :)..................................................Prajwal

Unknown said...

Lazawaab Jazbaat Or Umda Lekhni.
Bahut Khoob...Sundar

taruna misra said...

Prajwaal Jii .... Sooo many thankss ... :))))

taruna misra said...

अभिषेक कुमार झा अज़नबी जी ...बहुत आभारी हूँ कि आपको मेरी रचना पसंद आई ...:)))

विभा रानी श्रीवास्तव said...

मंगलवार 09/04/201को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

विभा रानी श्रीवास्तव said...

एक निवेदन
कृपया निम्नानुसार कमेंट बॉक्स मे से वर्ड वैरिफिकेशन को हटा लें।
इससे आपके पाठकों को कमेन्ट देते समय असुविधा नहीं होगी।
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अधिक जानकारी के लिए कृपया निम्न वीडियो देखें-
http://www.youtube.com/watch?v=VPb9XTuompc

taruna misra said...

Vibha Rani Srivastava Ji .... aapki bahut aaabhaari hoon ... aapko meri Rachna pasand aayi ... maine Blog ki settings me aapke kahe anusaar change kar diya hai ... Shukriya ... :)))

rashmi tarika said...

bahut hi sundar..aapke lafz..aapki lekhni zaroor rang layenge..

Anonymous said...

क़त्ल करती रहूंगी....बार-बार....
जब तक न मरूँगी मैं....एक बार...
जाने वो दिन कब आएगा????
जब तू मुझसे जुदा हो जाएगा....
क्या मेरा लहू रंग लाएगा???
क्या????????? ...लायेगा जरूर लायेगा जब अपने,समृद्ध चिंतन,मन में बसे सुविचारों से,ये जीवन,यज्ञ में आहुति पा जायेगा ! वाह वाह,आदरणीया बहुत खूब नायाब सृजन ! बहुत बधाई !....

Unknown said...

Dard ka bahut sahi Bayaa'N'.........

taruna misra said...

Rashmi ji.... Bahut Bahut Shukriya ... :)

taruna misra said...

Aap ki taareef ke liye bahut bahut aabhaar... par apna naam bhi bata dete to bahut achcha hota.. :)

taruna misra said...

Manu ji.... Soo many Many Thankss... :)