Wednesday, December 12, 2012

तुम्हारा संगीत.....


वक़्त बीता भी नही था...ज़रा सा...तुम आ गये..
आ गये फिर से तुम पास....बहुत पास मेरे....
मेरी नस-नस को सुनाने...गीत कोई....
नई लय...ताल से बद्ध.....संगीत कोई...
हर वक़्त वो मोहब्बत भरे.....सुरीले नग्में...
क्यूँ गुनगुनाते हो कानों में...नशीले नग्में...
हर वक़्त दौड़तें हैं...रगों में.....
शहनाई बजाते हुए...वही गीत...
चाहती हूँ कि सुनू....मैं भी....
तेरी साँसों का लरजता संगीत....
राग और ताल से लयबद्ध वो...मधुर सप्तक...
जिसको सुन....तेरी बाँहों में सो जाऊँ..थककर...
वो तरंगें...वो तराने....वो मौसीक़ी...की झलक...
मुझको पाने को बेताब....तेरी साँसों की महक...
बार-बार मुझको....छू-छू के चली जाती हैं...
तेरे नग्मों की सदा...मुझको भी तड़पाती हैं...
कैसे रोकूँ....मैं अपनी मचलती धड़कन....
गुनगुनाते हुए जिस्म की...अनछुई सिहरन...
लगता है अब न इसे....दूर मैं कर पाऊँगी...
तेरे संगीत की लहरों मे...मैं भी बह जाऊंगी...
मैं भी बह जाऊंगी......
..................................................तरुणा||

2 comments:

Unknown said...

bBehtareen n Lajavab :)

taruna misra said...

Dimpleji...बहुत शुक्रिया...नवाज़िश है आपकी...:)