Wednesday, August 10, 2016

मेरी कहानियाँ...!!!


कितनी कहानियाँ ही मेरे साथ चल रही हैं...
पर छोड़ कर मुझे ही आगे निकल रही हैं ;
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कब तक चराग़ मेरा जल पाएगा यहाँ पर...
जो साथ थी हवाएँ पाला बदल रहीं हैं ;
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ये किस नज़र से उसने देखा मुझे कि मुझमे...
लाखों ही शम्में जैसे दिल में पिघल रही हैं ;
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मुश्किल की थी जो घड़ियाँ माँ बाप की दुआ से...
आने से पहले मुझ तक वो सारी टल रही हैं ;
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इतनी कशिश है मेरे महबूब में कि तौबा...
ख़ामोश हसरतें भी दिल में मचल रही हैं ;
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नफ़रत मिली थी जो भी वो प्यार से बदलकर...
तरुणा की चाहतें अब ग़ज़लों में ढल रही हैं..!!
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...........................................................’तरुणा’....!!!


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