Friday, September 19, 2014

वही पुरानी आदत...!!!




पुरानी वो मेरी आदत ... नई आदत पे भारी है...
अभी मेरी मुहब्बत का ... वही दस्तूर ज़ारी है ;
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पड़ी कब बाद में तेरे ...  ज़रुरत ग़ैर की मुझको..
पिलाया जो कभी तूने ... नशा वो अब भी तारी है ;
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वही सबसे हसीं होता ...  सफ़र जो तन्हा होता है ...
सफ़र वो तब भी ज़ारी था .. सफ़र ये अब भी ज़ारी है ;
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कहाँ है जंग अपने बीच .. तू जीते .. के मैं जीतूँ..
मुहब्बत में वही जीता ... ये बाज़ी जिसने हारी है ;
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मेरी पहचान अब तक भी ... वही बरसों पुरानी है...
मुहब्बत आज भी मेरे ....  सभी जज़्बों से भारी है..!!


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................................................................................'तरुणा'...!!!

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Puraani  wo meri aadat   ... nayi aadat pe bhari hai ..
Abhi meri muhabbat ka … wahi dastoor zaari hai ;
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Padi  kab baad me tere  .... zaroorat gair ki mujhko ...
Pilaya jo kabhi tune ... nasha wo ab bhi taari hai ;
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Wahi sabse haseen hota  ... safar jo tanha hota hai ..
Safar wo tab bhi zaari tha ... safar ye ab bhi zaari hai ;
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Kahan  hai jung apne beech ...  tu jeete ..ke main jeetun ...
Muhabbat me wahi jeeta .... ye baazi jisne haari hai ;
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Meri pehchaan ab tak bhi ... wahi barson puraani hai ..
Muhabbat aaj bhi mere ... sabhi zazbon se bhaari hai ..!!

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.......................................................................................'Taruna'...!!!









Friday, September 12, 2014

नया ख्व़ाब.....!!!



दिल है बेज़ार .. इसे फिर से खिलाना ही होगा...
अब कोई ख्व़ाब नया... इसको दिखाना  ही होगा ;

हमको तो परखा है दुनिया ने  .. जाने कितनी दफ़ा..
थोड़ा तो अब इसको भी ...  आज़माना ही होगा ;

आसान रास्तो पे ही चले हैं ... हम बार बार ....
मुश्किलों से खुद का वास्ता... कराना ही होगा ;

कैसा भी हो चिराग़ .... बुझेगा ही आखिरकार....
रोशनी के लिए ख़ुद को तो .... जलाना ही होगा ;

थकने की न उमर है ... न वजह ही बची कोई.....
बारहा ये यकीं दिल को भी.... दिलाना ही होगा ...!!

.......................................................................'तरुणा'...!!!



Dil hai bezaar .... isey phir se khilana hi hoga....
Ab koi khwaab naya ... isko dikhana hi hoga ;

Hamko to parkha hai  duniya ne ... jaane kitni dafa..
Thoda to ab isko bhi ..... aazmana hi hoga ; 

Aasaan raaston pe hi chale hain ... ham baar baar ...
Mushkilon se khud ka vaasta ... karaana hi hoga ;

Kaisa bhi ho chiraag ... bujhega hi aakhirkaar ....
Roshni ke liye khud ko to ... jalana hi hoga ;

Thakne ki na umar hai .... na wajah hi bachi koi...
Baarha ye yakeen dil ko bhi .. dilana hi hoga ...!!

.................................................................................'Taruna'...!!!

Saturday, September 6, 2014

मुहब्बत का फलसफ़ा...!!!























इस मुहब्बत का .. फलसफ़ा क्या है...
है ये नुकसान .... तो नफा क्या है ;

वो तो रहता है मुझमे ... 'मैं' बनकर...
फिर ये थोड़ा सा .. तो जुदा क्या है ;

सौंप दी उसको ... क़िताबे-दिल अपनी...
वो नहीं जो तो ... फिर लिखा क्या है ;

ज़ेहनो-दिल में .. ख़ुशी सी तारी है..
क्यूँ मैं सोचूं  .. अब वफ़ा क्या है ;

याद उसकी है ... खिल गयी मुझमे...
वो गया है तो .. ये छिपा क्या है  ;

कहते हैं लोग .. उजड़ गया है घर...
सच यही है तो .. ये बसा क्या है ....!!


...................................................'तरुणा'......!!!



Is muhabbat ka ... falsafa kya hai ..
Hai ye nuksaan ... to nafa kya hai ;

Wo to rahta hai mujhme ... 'Main' bankar ...
Phir ye thoda sa ... to Juda kya hai ;

saunp di apni ... kitaab-e-dil usko...
Wo nahi jo to .. phir likha  kya hai ;

Zehno-dil me ... khushi si taari hai ...
Kyun main sochun ... ab wafa kya hai ;

Yaad uski hai ... khil gayi mujhme ...
Wo gaya hai to ... ye chhipa kya hai..

Kahte hain log ... ujad gaya hai ghar ...
Sach yahi hai to ... ye basa kya hai... !!




........................................................................'Taruna'...!!!







Thursday, September 4, 2014

कीमत उसकी....!!!




अब उसकी गली में .. मुझे जाना भी नहीं है...
दिल का कहीं दूसरा ... ठिकाना भी नहीं है ;

न ताल्लुक़.. मरासिम.. न हो..राब्ता कोई जैसे...
एक उसके सिवा किसी को... जाना भी नहीं है ;

है क़ीमती वो इतना .... संभलता भी नहीं है...
खोना भी नहीं उसको ...कभी पाना भी नहीं है ;

कभी याद नहीं करती ... पर भूली भी नही हूँ..
आना भी नहीं जिसको ...और जाना भी नहीं है ;

दिल के दरीचों में यूँ... समेटा है अब उसको..
दिखाना भी नहीं है ...और छिपाना भी नहीं है..!!


................................................................'तरुणा'....!!!


Ab uski gali me ... mujhe jana bhi nahi hai...
Dil ka kahin dusra ... thikana bhi nahi hai ;

na taalluk... marasim .. na ho..raabta koi jaise...
Ek uske siwa kisi ko ...  jana bhi nahi hai  ;

Hai keemti wo itna... sambhlta bhi nahi hai...
khona bhi nahi usko.. kabhi pana bhi nahi hai ;

Kabhi yaad nahi karti ... par bhooli bhi nahi hun..
Aana bhi nahi jisko.... aur jana  bhi nahi hai ;

Dil ke dareecho me yun .. sameta hai ab usko...
Dikhana bhi nahi hai... aur chhipana bhi nahi hai...!!

.......................................................................'Taruna'...!!!


Tuesday, September 2, 2014

मन का रसायन.... !!!



बड़े वेग से .... पलायन किया तूने....
मेरे संसार से.....
अंतरिक्ष में ... प्रक्षेपित हो गया है तू...
चांद-सितारों कि तरह....
दिखता तो है.... तेज़ गति से घूमते हुए.....
दूर और दूर.... जाते हुए....

कितनी अलग है ... ये सांसारिक भौतिकी.....
मन के रसायन से.....
जहाँ तू हो गया है.... मुझमे विलेय....
और हम बन गए है..... 
एक विलयन....
पूर्णतः संतृप्त....

................................................'तरुणा'...!!!

(भौतिकी-- Physics.... रसायन--chemistry....पलायन --escape... वेग--velocity...       विलेय--Soluble.... विलयन--solution.... संतृप्त--saturated)


Bade veg se ... palayan kiya tune....
Mere sansaar se....
Antriksh me .... Prakshepit ho gaya hai tu....
Chaand-sitaaron ki tarah....
Dikhta to hai ... tez gati se ghumte huye...
Door aur door ... jaate huye....

Kitni alag hai ... ye saansaril bhautiki ....
Man ke rasayan se ....
Jahan tu ho gaya hai .... mujhme viley...
Aur ham ban gaye hain..
Ek vilyan....
Poorntah: santript....

...........................................................'Taruna'...!!!