पुरानी
वो मेरी आदत ... नई आदत पे भारी है...
अभी
मेरी मुहब्बत का ... वही दस्तूर ज़ारी है ;
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पड़ी
कब बाद में तेरे ... ज़रुरत ग़ैर की मुझको..
पिलाया
जो कभी तूने ... नशा वो अब भी तारी है ;
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वही
सबसे हसीं होता ... सफ़र जो तन्हा होता है
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सफ़र
वो तब भी ज़ारी था .. सफ़र ये अब भी ज़ारी है ;
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कहाँ
है जंग अपने बीच .. तू जीते .. के मैं
जीतूँ..
मुहब्बत
में वही जीता ... ये बाज़ी जिसने हारी है ;
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मेरी
पहचान अब तक भी ... वही बरसों पुरानी है...
मुहब्बत
आज भी मेरे .... सभी जज़्बों से भारी है..!!
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................................................................................'तरुणा'...!!!
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Puraani wo meri aadat ... nayi aadat pe bhari hai ..
Abhi meri muhabbat ka …
wahi dastoor zaari hai ;
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Padi kab baad me tere .... zaroorat gair ki mujhko ...
Pilaya jo kabhi tune ...
nasha wo ab bhi taari hai ;
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Wahi sabse haseen hota ... safar jo tanha hota hai ..
Safar wo tab bhi zaari
tha ... safar ye ab bhi zaari hai ;
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Kahan hai jung apne beech ... tu jeete ..ke main jeetun ...
Muhabbat me wahi jeeta
.... ye baazi jisne haari hai ;
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Meri pehchaan ab tak bhi
... wahi barson puraani hai ..
Muhabbat aaj bhi mere
... sabhi zazbon se bhaari hai ..!!
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.......................................................................................'Taruna'...!!!