Friday, May 30, 2014

मेरा लगाया पौधा.... !!!





















मैं प्यार हूँ ..... 
सिर से लेकर पाँव तक....
सागर की तलहटी से .... आसमां की छत तक..
और तुम मुझमे हो...
प्यार में डूबे हुए .. आकंठ तक...
जब तक मैं जिंदा हूँ...
जीवित हो तुम... मुझमे...
साथ चलोगे... बैठोगे... सोओगे,,,, 
हंसोगे... रूठोगे... खिलखिलाओगे,,,
मेरी हर सोच में... महकोगे....
और जब मैं ही न रही .... कभी तो...
दम तोड़ दोगे तुम भी .... मेरे साथ...
पर  जीते जी मेरे... मैं कभी न .. 
सांस की डोर... टूटने दूँगी..तुम्हारी.....
मेरी सांसो से मिलता रहेगा.. तुम्हे खाद और पानी..
और ये पौधा .. यूँ ही पनपता रहेगा... मेरे साथ....

.............................................................'तरुणा'..!!!

Main Pyaar hoon..
Sar se lekar paanv tak...
Saagar ki talhati se... aasmaan ki chhat tak...
Aur tum mujhme ho ...
Pyaar me doobe huye ... aakanth tak...
Jab tak main Zinda hoon...
Jeewit ho tum .... mujhme...
Saath chaloge.... baithoge... soauge...
Hansoge... roothoge ... khilkhilaoge....
Meri har soch me .. mehakoge...
Aur jab main hi na rahi .. kabhi to...
Dam tod doge tum bhi ... mere saath ...
Par jeete jee mere ... main kabhi na..
Saans ki dor ,, tootne doongi.. tumhari..
Meri saanso se milta rahega .. tumhe khaad aur paani ...
Aur ye paudha .. yun hi  panapta rahega... mere saath ...

...............................................................................'Taruna'...!!!

Tuesday, May 27, 2014

इक बुझा दीया.... !!!




अच्छा  किया ... जो तूने मुझे .. प्यार न किया...
ज़िंदगी को कभी मुझसे ... गुज़रने नहीं दिया ;

सूरज नहीं चाहा कभी ..... चंदा नहीं माँगा.... 
दीया टिमटिमा रहा था जो... वो भी बुझा दिया ;

चाहत थी मुहब्बत में ... छू लूं .. आसमान को...
पैरों तले ज़मीन को ....  खिसका यूँ क्यूँ दिया ;

रस्मों ने न जोड़ा हमें  ... थी न रिवायतें ...
बंधन था जो इक रूह का .. ठुकरा वो भी दिया ;

चल उठ 'तरु' अब .. घर तेरा ... ये नहीं रहा ...
जहाँ तन सजे रहते हों .. वहां मन लुटा दिया ..!!

................................................................'तरुणा'...!!!



Achcha kiya ... jo tune mujhe ... pyaar na kiya...
Zindgi ko kabhi mujhse ... guzarne nahi diya ;

Sooraj nahi chaha kabhi ... chnada nahi maanga ..
Diya timtima raha tha jo ... vo bhi bujha diya ;

Chaaht thi muhabbat me .... chhu lun aasmaan ko..
Pairo tale zameen ko ... khiska yun kyun diya ;

Rasmo ne na joda hame ..... thi na riwaayatein ..
Bandhan tha jo ik rooh ka .. thukra vo bhi diya ;

Chal uth 'Taru' ab... ghar tera .. ye nahi raha ...
Jahan tan saje rahte ho ... vahan man luta diya .. !!

.............................................................................'Taruna'..!!!
















Monday, May 26, 2014

वो एक चेहरा..... !!!






जिंदगी से भरा एक वो चेहरा...
ख़्यालों को मेरे महकाता है...!
मेरे अंधेरों में जुगनू सा चमक...
नई किरनों को लें आता है...!

तेरे नैन-नक्श में खोकर मैं..
अपने को भूलती जाती हूँ...!
तेरे केसर सी रंगीं बौछारों में...
मैं फिर से भीगती जाती हूँ....!

तुम दिल के मेरे हो इतने नज़दीक...
जब चाहूं तुम्हें छू लेती हूँ....!
गुनगुना कर तुमको रोज़ ही मैं...
नवजीवन को पा लेती हूँ....!!

........................................तरुणा...!!!


Zindgi se bhara ek vo chera...
Khyaalon ko mere mehkaata hai...!
Mere andheron me jugnoo sa chamak...
Nayi kirnon ko le aata hai...!


Tere nain-naksh me khokar main...
Apne ko bhoolti jaati hoon....!
Tere kesar sii rangeen bauchharon me...
Main phir se bheegti jaati hoon...!


Tum dil ke mere ho itne nazdeeq...
Jab chaahe tumhe chhoo leti hoon..!
Gunguna kar tumko roz hi main....
Navjeevan ko pa leti hoon....!!


.......................................................'Taruna'...!!!

Thursday, May 22, 2014

गुमनाम.... !!!




दुनिया के तौर-तरीक़े से ... अंजान हम भी थे...
मिलने से उनसे पहले .... गुमनाम हम भी थे ;

सब जान गए शहर में ... उनके इश्क़ से हमको... 
इन गलियों में अब कुछ ... बदनाम हम भी थे ;

गुनाह करने की हमारी ... कैफ़ियत नहीं बदली....
इश्क़ न करने से बहुत ... परेशान हम भी थे ;

बुनियाद हो कमज़ोर तो .. गिरती है इमारत...
गिरती तीमारें देख के ... हैरान हम भी थे ;

गुज़रे न उस गली से ... एहतियात की वाइस...
बादाए-इश्क़ के मगर ... कदरदान हम भी थे ;
(बादाए-इश्क़---प्रेम मदिरा)

मन्सूबे बनाए कितने  ..... मिटाने के हमको.....
सच जीता नहीं जब तक .. परेशान हम भी थे..!!

.............................................................'तरुणा'...!!!


Duniya ke taur-tareeqe se .. anjaan ham bhi the....
Milne se uney pahle ..... gumnaam ham bhi the  ;

Sab jaan gaye shehar me .. unke ishq se hamko...
In galiyon me ab kuchh ... badnaam ham bhi the  ;

Gunaah karne ki hamari ... kafiyat nahi badali .....
Ishq na karne se bahut ... pareshaan ham bhi the ;

Buniyaad ho kamzor to ..... girti hai imaarat ....
Girti teemaare dekh ke ... hairaan ham bhi the  ;

Guzre na us gali se ...... ehtiyaat ki vaais .....
Badaaye-ishq ke magar ... kadardaan ham bhi the ;
(baadaaye-ishq--wine of love)

Mansoobe banaye kitne  ... mitaane ke hamko...
Sach jeeta nahi jab tak .... pareshaan ham bhi the..!!

.................................................................................'Taruna'...!!!



Saturday, May 10, 2014

बिन बादल बरसात..... !!!



बिन बादल भी कभी-कभी.. बरसात हुआ करती है...
सपनों में ही उनसे अब.. मुलाक़ात हुआ करती है...

दिन तो गुज़रता है ... हाँ रात भी हुआ करती है..
तेरे बिन कहाँ अब कोई.. वो बात हुआ करती है...

थकना कैसा..? अब भी ... ये सफ़र तो जारी हैं...
एक मुहब्बत ही है जो.. बिन बात हुआ करती है...

बरसात हुई जब भी.. हम सिमटते रहें तुझमे...
बांहों में समाने पे क्या ... बात हुआ करती है..

शिकवा न गिला कोई ... अब हमको है तुमसे ... 
नाराज़गी ही तेरी हमारे.. साथ हुआ करती है..

.........................................................'तरुणा'...!!!



Bin baadal bhi kabhi-kabhi .. barsaat hua karti hai..
Sapno me hi unse ab ..... mulaqaat hua karti hai ...

Din to guzarta hai .... haan raat bhi hua karti hai...
Tere bin kahan ab koi .... vo baat hua karti hai....

Thakna kaisa..? ab bhi ....  ye safar to jaari hai.... 
Ek muhabbat hi hai jo ....  bin baat hua karti hai...

Barsaat huyi jab bhi .... ham simat'te rahe tujhme ...
Baanho me samaane pe kya .. baat hua karti hai.... 

Shiqwa na gila koi .... ab hamko hai tumse ....
Naarazgi hi teri hamare ... saath hua karti hai....

...................................................................'Taruna'... !!!





Monday, May 5, 2014

एक चिंगारी हूँ... !!!



मैं कोई बर्फ़ नहीं हूँ ... के जो गल जाऊंगी...
एक चिंगारी हूँ .... शोलों में बदल जाऊंगी ;

प्यार से देखना .. छूने की न कोशिश करना...
हाथ जो तूने लगाया .. तो मैं गल जाऊंगी ;

यूँ तो चलते हैं .. खोटे सिक्के भी.. बाज़ारों में..
मैं खरा सोना हूँ ... हर हाल में चल जाऊंगी ;

लोहा समझे थे .. जलाया है मुझे.. .सबने बहुत..
मोम हूँ उसकी निग़ाहों से ... पिघल जाऊंगी ;

चाहे जिस वक़्त पुकारे वो ... बुला ले मुझको..
जैसे भी हाल में हूँ ... घर से निकल जाऊंगी..!!

......................................................................'तरुणा'... !!!


Main koi barf nahin hun ... ke jo gal jaaongi..
Ek chingaari hun ... sholon me badal jaaoongi ;

Pyaar se dekhna ... chhune ki na koshish karna..
Haath jo tune lagaya ... to main gal jaaoongi ;

Yun to chalte hain .. khote sikke bhi .. bazaron me...
Main khara sona hun ... har haal me chal jaaoongi ;

Loha samjhe the .. jalaya hai mujhe .. sabne bahut..
Mom hoon uski nigaahon se ... pighal jaaoongi ;

Chaahe jis waqt pukaare vo .... bula le mujhko ....
Jaise bhi haal me hun ... ghar se nikal jaaoongi ..!!

.........................................................................'Taruna'.... !!!


Friday, May 2, 2014

तेरा तीर... !!!




हाए.. वो इक तीर ... चलाना तेरा...
उफ़..सीधा है दिल पे..निशाना तेरा ;

बहकने लगा है... मेरे साथ मौसम..
देखा है चेहरा फिर ... पुराना तेरा ;

निकले जहाँ से तू... थमे हैं सभी....
हो गया दीवाना .. ज़माना तेरा ;

दिल को कचोटे है .. बात एक ही...
मुझे बार-बार ... आज़माना तेरा ;

आँखों में शोख़ी है.. फिर से वही..
लगे है नया क्यूं ... बहाना तेरा ;

ख़ुद से जुदा हुई .. जाती हूँ मैं..
निग़ाहों से दिल में ..समाना तेरा ;

मिटा न सकेगा तू.. दिल से कभी..
रिश्ता है मुझसे ... पुराना तेरा ;

बजती है दिल पे... खनक हर तेरी..
कहती 'तरु' सिर्फ़ ... फ़साना तेरा..!!

..............................................'तरुणा'..!!!


Haaye .. vo ik teer ... chalana tera..
Uff.. seedha hai dil pe... nishana tera ;

Behakne laga hai .. mere saath mausam..
Dekha hai chehra phir ..  purana tera ;

Nikale jahan se tu ... thame hain sabhi ..
Ho gaya deewana ...  zamana tera ;

Dil ko kachote hai …. baat ek hi ..
Mujhe baar-baar ...  aazmana tera ;

Aankhon me shokhi hai .. phir se vahi..
Lage hai naya kyun ... bahana tera ;

Khud se juda huyi ... jaati hoon main ..
Nigaahon se dil me ..  samaana tera ;

Mita na sakega tu …  dil se kabhi ..
Rishta hai mujhse … . purana tera ;


Bajti hai dil pe ... khanak har teri ...
Kahti 'Taru' sirf ... fasana tera.. !!

.....................................................'Taruna'... !!!