तू ही तो है
जिसपे .... दिल-ओ-जां निसार है..!
ख्वाहिश-ए-इलाज़
में .. फ़िर दिल बेक़रार है..!!
करते हो तकरार
क्यूँ .. झूठ-मूठ की मुझसे...?
तू ही बता अगर
ख़ुद पे .. तुझे ये इख्तियार है ;
तुझसे ही तो
महकें हैं.. सभी गुल-औ-गुलशन...
मेरे लिए तो तू
ही ..... मुज़स्सम बहार है ;
कब से खड़े थे
कितने ही .. राहो में तो मेरी...
ये दिल पुकारता
क्यूँ ..... तुझे बार-बार है..?
गलियां दमक उठी
है .. आरज़ू-ए-वस्ल से अब...
चेहरा तेरा.. जलवा
तेरा... बस तेरा ही प्यार है... !!
.............................................................’तरुणा’... !!!
Too hi to hai jispe ..... dil-o-jaan nisaar hai...!
Khwahish-e-ilaaz me ... phir dil beqaraar hai...!!
Karte ho taqraar kyun.. jhooth-mooth ki mujhse..?
Too hi bata agar khud pe ... tujhe ye ikhtiyaar hai ;
Tujhse hi to mehke hai .... sabhi gul-o-gulshan...
Mere liye to too hi ..... mujassam bahar hai ;
Kab se khade the kitne hi ... raaho me to meri....
Ye dil pukaarta kyun .... tujhe baar-baar hai...?
Galiyan damak uthi hai... aarzoo-e-vasl se ab...
Chehra tera..jalwa tera .... bas tera hi pyaar hai..!!
..............................................................................'Taruna'..!!!
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