Sunday, February 9, 2014

बेक़रार दिल... !!!



तू ही तो है जिसपे .... दिल-ओ-जां निसार है..!
ख्वाहिश-ए-इलाज़ में .. फ़िर दिल बेक़रार है..!!

करते हो तकरार क्यूँ .. झूठ-मूठ की मुझसे...?
तू ही बता अगर ख़ुद पे .. तुझे ये इख्तियार है ;

तुझसे ही तो महकें हैं.. सभी गुल-औ-गुलशन...
मेरे लिए तो तू ही ..... मुज़स्सम बहार है ;

कब से खड़े थे कितने ही .. राहो में तो मेरी...
ये दिल पुकारता क्यूँ ..... तुझे बार-बार है..?

गलियां दमक उठी है .. आरज़ू-ए-वस्ल से अब...
चेहरा तेरा.. जलवा तेरा... बस तेरा ही प्यार है... !!


.............................................................’तरुणा’... !!!



Too hi to hai jispe ..... dil-o-jaan nisaar hai...!
Khwahish-e-ilaaz me ... phir dil beqaraar hai...!!

Karte ho taqraar kyun.. jhooth-mooth ki mujhse..?
Too hi bata agar khud pe ... tujhe ye ikhtiyaar hai ;

Tujhse hi to mehke hai .... sabhi gul-o-gulshan...
Mere liye to too hi ..... mujassam bahar hai ;

Kab se khade the kitne hi ... raaho me to meri....
Ye dil pukaarta kyun .... tujhe baar-baar hai...?

Galiyan damak uthi hai... aarzoo-e-vasl se ab...
Chehra tera..jalwa tera .... bas tera hi pyaar hai..!!


..............................................................................'Taruna'..!!!






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