Monday, February 10, 2014

बस तू ही तू.... !!!



तू है ज़न्नत की रौनक ... तुझे तुझसे चुरा लूं... ??
सब से छिपा के अपनी ... धडकनों में बसा लूं... ??

गुमसुम रहके भी कितनी ... बातें करते हो मुझसे...
हर पल मैं उनको ही ..... अब क्यूँ न गुनगुना लूं.... ??

ख़ामोश नज़रें तुम्हारी .... तस्वीर बनाती हो जैसे...
हर क़दम में क्या तुमको .. दुआओं सा बसा लूं.. ?

हर मन्नत मेरी शुरू तुमसे .... ख़तम होती तुमपे...
तुझे पाके रूह का सुकूं क्या... ज़न्नत सा बना लूं... ?

मेरी नज़रों ने दूर से छुआ .. है कितनी बार तुझको...
तेरी बातों में है जो ख़ुश्बू ... उससे ख़ुद को महका लूं.. ?

ज़िंदगी की सारी बरक़त तू ... हर इबादत है तू ही.....
छेड़े जब तेरा साया तो ... क्या थोड़ा सा शरमा लूं... ??


...........................................................'तरुणा'..... !!!


Too hai jannat ki raunaq ... tujhe tujhse chura lun... ?
Sab se chhipa ke apni .... Dhadkano me basa lun....??

Gumsum rahke bhi kitni ... Baate  karte ho mujhse ..
Har pal main unko hi ... ab kyun na gunguna lun .... ???

Khamosh nazrein tumhari ... tasveer banati ho jaise ...
Har qadam me kya tumko ... duaon sa basa lun.... ??

Har mannat meri shuru tumse ... Khatam hoti tumpe.....
Tujhe paake rooh ka sukun kya .. jannat sa bana lun.. ?

Meri nazron ne door se  chhua... hai kitni baar tujhko ..
Teri baato me hai jo khushbu .. us'se khud ko mehka lun.. ?

Zindgi ki saari barqat too ... har ibaadat hai too hi ...
Chhede jab tera saya to .. kya thoda sa sharma lun... ?

..........................................................................'Taruna'... !!!








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