Sunday, February 23, 2014

सिलसिला ज़िंदगी का ... !!!



मिल के भी जो मिला नहीं... वो सिलसिला रहा...
कभी ज़िंदगी को मुझसे..कभी मुझको गिला रहा ;

चटकीले चाँद से मेरी .... रातें है अब रोशन...
इक चाँद तीरगी का .... दिल में खिला रहा ;
(तीरगी-अँधेरा)

अंदाज़-ए-ज़िंदगी को .... भला क्या बयां करें... 
खिलवत कभी रही तो .... कभी काफिला रहा ;
(खिलवत-एकांत)

साँसे भी ली तमाम एक .. ताज़ी सी फ़िज़ां में...
यादों की क़ैद में .. क़िला-ए-ज़िस्म ढला रहा ;

एक ख़ुश्बू सा आया है .. ज़िंदगी में वो जबसे...
तिश्नगी जगा-जगा के वो ..ये जाम पिला रहा ;
(तिश्नगी-प्यास)

पुरसुकूनें-ज़िंदगी में अब ... दोस्ती है .. वफ़ा भी...
बर्फ़ीला गम चुभा कभी ... कभी ये पिघला रहा ;

पुख्तगी दिखाती है 'तरु'... यूँ तो हर एक को...
नासूर सा दिल में छुपा .. मगर इक आबला रहा..!!
(आबला- छाला)

.........................................................'तरुणा'...!!!


Mil ke bhi jo mila nahi ......  vo silsila raha...
Kabhi zindgi ko mujhse .. kabhi mujhko gila raha ;

Chatkeele chaand se meri ... raate hain ab roshan....
Ek chaand teergi ka .... dil mein khila raha ;
(teergi-darkness)

Andaaz-e-zindgi ko ... bhala kya bayaan karein..
Khilwat kabhi rahi to ....... kabhi qaafila raha ;
(khilwat-solitude)

Saanse bhi li tamaam  ek  .. taazi si fizaan me....
Yaado ki qaid  me .. qila-e-zism dhala raha...

Ek khushbu sa aaya hai ... zindgi mein vo jab se....
Tishnagi jaga-jaga ke vo ..ye jaam pila raha ;
(tishnagi-thirst)

Pursukun-e-zindgi me ab .. dosti hai ... wafa bhi....
Barfeela gam chubha kabhi ... kabhi ye pighla raha ;

Pukhtagi dikhati hai 'Taru' .... yun to har ek ko....
Naasoor sa dil me chhupa... magar ik aabla raha...!!
(aabla-blister)

............................................................................'Taruna'...!!!

Monday, February 17, 2014

एक प्यार भरा ख़त... !!!




प्यार भरा इक ख़त .. लिखती हूँ... 
तेरी ही बाबत   .... लिखती हूँ ;

हाल जो पूछे ... तू मेरा तो...
होती है हैरत... लिखती हूँ ;

अपनी मुहब्बत ... बेरुख़ी तेरी ...
दोनों की आदत ... लिखती हूँ ;

सब कुछ मेरा ...बस है तेरा  ...
ऐसी इक वसीयत ..लिखती हूँ ;

घबराहट और डर है .. कहाँ अब...
इश्क़ ने दी हिम्मत ... लिखती हूँ ;

प्यार में डूबी ... है दुनिया ये...
कोई नहीं नफ़रत .. लिखती हूँ ;

दौलतमंद हूँ ... तेरे दम से ... 
सबसे बड़ी नेमत  .. लिखती हूँ ;

वस्ल की बातें ... प्यार के किस्से...
दुःख देती फ़ुरकत... लिखती हूँ ;

महफ़िल भर गई.. जोश से अब तो..
तेरी ही शिरकत ... लिखती हूँ ;

जान गए सब ... शहर में मुझको ...
कलम ने दी इज्ज़त .. लिखती हूँ... !!

.............................................'तरुणा'...!!!


Pyaar bhara ik khat .. likhti hoon..
Teri hi baabat .....  likhti hoon ;

Haal jo poochhe .. tu mera to..
Hoti hai hairat ... likhti hoon ;

Apni muhabbat ... berukhi teri ..
Dono ki aadat .. likhti hoon ;

Sab kuchh mera ... bas hai tera ...
Aisi ik vaseeyat ... likhti hoon ;

Ghabraahat aur dar hai .. kahan ab..
Ishq ne di himmat .. likhti hoon ;

Pyaar me doobi ... hai duniya ye...
Koi nahi nafrat ... likhti hoon ;

Daulatmand hoon.. tere dam se.. 

Sabse badi nemat ... likhti hoon ;

Vasl ki baatein ... pyaar ke kis'se..
Dukh deti furkat .. likhti hoon ;

Mehfil bhar gayi .. josh se ab to..
Teri hi shirkat .. likhti hoon ;

Jaan gaye sab .. shehar me mujhko ..
Kalam ne di izzat .. likhti hoon... !!


...........................................................'Taruna'...!!!


Friday, February 14, 2014

ताज़गी...!!!



सालाहा-साल की.. लगी दे दी..
ऐ ख़ुदा..! .. तूने बंदगी दे दी ;

बोसीदा सी थी... ज़िंदगी मेरी..
उसने आकर के .. ताज़गी दे दी ;
(बोसीदा-सड़ी-गली)

नेक नीयत से तो.. उतरे थे यहाँ..
इस सियासत ने.. गंदगी दे दी ;

चैन बाक़ी है... न सुकूं है कोई...
जब से इश्क़ को.... सुपुर्दगी दे दी ;

पुरसिश-ए-हाल को..वो आए तो सही..
इस बीमारी ने ... पैबस्तगी दे दी ;
(पैबस्तगी-लगाव)

दुनियावी-चमक से.. बड़े दूर है अब..
तेरी मुहब्बत ने ... सादगी दे दी ;

मुद्दतों ज़िंदगी ... तलाशा किए ...
मौत आई तो ... ज़िंदगी दे दी..!!

..........................................'तरुणा'...!!!


Saalaha-saal ki ... lagi de di ...
Ai Khuda..!.. tune bandgi de di ;

Boseeda si thi ... zindgi meri ..
Usne aakar ke ... taazgi de di ;
(boseeda-rotten)

Nek neeyat se to .. utare the yahan..
Iss siyaasat ne .. gandgi de di ;

Chain baaki hai ... na sukun hai koi ..
Jab se ishq ko .. supurdgi de di ;

Pursish-e-haal ko.. vo aaye to sahi..
Is beemari ne ... paibastgi de di ;
(paibastgi-attachment)

Duniyavi chamak se.. bade dur hai ab..
Teri muhabbat ne ... saadgi de di ;

Muddaton Zindgi ... talasha kiye ....
Maut aayi to ..... zindgi de di.... !!!

.....................................................'Taruna'...!!!








Monday, February 10, 2014

बस तू ही तू.... !!!



तू है ज़न्नत की रौनक ... तुझे तुझसे चुरा लूं... ??
सब से छिपा के अपनी ... धडकनों में बसा लूं... ??

गुमसुम रहके भी कितनी ... बातें करते हो मुझसे...
हर पल मैं उनको ही ..... अब क्यूँ न गुनगुना लूं.... ??

ख़ामोश नज़रें तुम्हारी .... तस्वीर बनाती हो जैसे...
हर क़दम में क्या तुमको .. दुआओं सा बसा लूं.. ?

हर मन्नत मेरी शुरू तुमसे .... ख़तम होती तुमपे...
तुझे पाके रूह का सुकूं क्या... ज़न्नत सा बना लूं... ?

मेरी नज़रों ने दूर से छुआ .. है कितनी बार तुझको...
तेरी बातों में है जो ख़ुश्बू ... उससे ख़ुद को महका लूं.. ?

ज़िंदगी की सारी बरक़त तू ... हर इबादत है तू ही.....
छेड़े जब तेरा साया तो ... क्या थोड़ा सा शरमा लूं... ??


...........................................................'तरुणा'..... !!!


Too hai jannat ki raunaq ... tujhe tujhse chura lun... ?
Sab se chhipa ke apni .... Dhadkano me basa lun....??

Gumsum rahke bhi kitni ... Baate  karte ho mujhse ..
Har pal main unko hi ... ab kyun na gunguna lun .... ???

Khamosh nazrein tumhari ... tasveer banati ho jaise ...
Har qadam me kya tumko ... duaon sa basa lun.... ??

Har mannat meri shuru tumse ... Khatam hoti tumpe.....
Tujhe paake rooh ka sukun kya .. jannat sa bana lun.. ?

Meri nazron ne door se  chhua... hai kitni baar tujhko ..
Teri baato me hai jo khushbu .. us'se khud ko mehka lun.. ?

Zindgi ki saari barqat too ... har ibaadat hai too hi ...
Chhede jab tera saya to .. kya thoda sa sharma lun... ?

..........................................................................'Taruna'... !!!








Sunday, February 9, 2014

बेक़रार दिल... !!!



तू ही तो है जिसपे .... दिल-ओ-जां निसार है..!
ख्वाहिश-ए-इलाज़ में .. फ़िर दिल बेक़रार है..!!

करते हो तकरार क्यूँ .. झूठ-मूठ की मुझसे...?
तू ही बता अगर ख़ुद पे .. तुझे ये इख्तियार है ;

तुझसे ही तो महकें हैं.. सभी गुल-औ-गुलशन...
मेरे लिए तो तू ही ..... मुज़स्सम बहार है ;

कब से खड़े थे कितने ही .. राहो में तो मेरी...
ये दिल पुकारता क्यूँ ..... तुझे बार-बार है..?

गलियां दमक उठी है .. आरज़ू-ए-वस्ल से अब...
चेहरा तेरा.. जलवा तेरा... बस तेरा ही प्यार है... !!


.............................................................’तरुणा’... !!!



Too hi to hai jispe ..... dil-o-jaan nisaar hai...!
Khwahish-e-ilaaz me ... phir dil beqaraar hai...!!

Karte ho taqraar kyun.. jhooth-mooth ki mujhse..?
Too hi bata agar khud pe ... tujhe ye ikhtiyaar hai ;

Tujhse hi to mehke hai .... sabhi gul-o-gulshan...
Mere liye to too hi ..... mujassam bahar hai ;

Kab se khade the kitne hi ... raaho me to meri....
Ye dil pukaarta kyun .... tujhe baar-baar hai...?

Galiyan damak uthi hai... aarzoo-e-vasl se ab...
Chehra tera..jalwa tera .... bas tera hi pyaar hai..!!


..............................................................................'Taruna'..!!!






Sunday, February 2, 2014

अपना या पराया....??




वो अपना भी नहीं है... और पराया भी नहीं ..
उसने कभी मुझको .. आजमाया भी नहीं  ;

मिलते तो हम हैं..रोज़  ... ख़्वाबों के बहाने...
मुद्दतें हुई वो मेरे घर ... आया भी नहीं  ;

छाले पड़े हैं कितने मेरे ... दिल पे कभी देखो...
सच ये भी है के जुदाई ने .. जलाया भी नहीं  ;

सब डूब रहें हैं अब जिस.. उफान-ए-दरिया में...
आंसू कभी  वो  मैंने यूँ... बहाया भी नहीं ;

कायम है ज़ेहन में वही.. रुतबा अभी उसका...
बावजूदे-बेवफ़ाई उसे ... गिराया भी नहीं  ;

रुसवाई ने बढ़ा दी है... शोहरत भी मेरी ख़ूब...
बेवजह मगर उसने ... फंसाया भी नहीं ;

अंदाज़-ए-ज़िंदगी भले... अब हो जुदा जुदा ...
लेकिन 'तरु' ने उसको... भुलाया भी नहीं ..!!


.....................................................'तरुणा'... !!!


Vo apna bhi nahi hai... aur paraya bhi nahi ...
Usne kabhi mujhko ... aajmaya bhi nahi  ;

Milte to ham hain..roz... khwaabon ke bahane ...
Muddaten huyi vo mere ghar .. aaya bhi nahi ;

Chhale pade hain kitne mere ... dil pe kabhi dekho...
Sach ye bhi hai ke judaai ne... jalaya bhi nahi  ;

Sab doob rahen hain ab jis .. ufaan-e-dariya me....
Aansoo kabhi vo maine yun... bahaya bhi nahi  ;

Qaayam hai zehan me vahi ... rutba abhi uska....
Baawzoode-bewafayi usey ... giraya bhi nahi  ;

Ruswaayi ne badha di hai ... shohrat bhi meri khoob...
Bewajah magar usne .... fansaya bhi nahi  ;

Andaaz-e-zindgi bhale ... ab ho juda juda ...
Lekin 'Taru' ne usko ... bhulaya bhi nahi  ..!!


...........................................................'Taruna'.... !!!