तस्वीर कोई भी हो...तेरे अक्स मे ढल ही जाती हैं...!
सुखन किसी का हो... तेरी कहानी हो ही जाती हैं...!!
(सुखन-काव्य)
शहर में कितने रास्ते... कितनी गलियाँ हैं..मगर...
चलूँ मैं किसी पर भी....तेरे दर पर खुल ही जाती है ;
देखती हूँ जब तुमको...सिमट जाती हूँ मैं खुद में ...
तोड़ के खोल को मेरे... लहर बहा ले ही जाती हैं ;
चाहती हूँ मैं..न चाहूँ कभी ...उसको इतनी शिद्दत से...
ख्वाबों के शबिस्ताँ में.. उसकी यादें चली ही आती हैं ;
(शबिस्ताँ-शयनगार)
बंद करके दर-ओ-दीवार घर के ... मैं बैठी हूँ कब से...
क्या करूँ मज़बूर हूँ ..'तरु' की .. तामीर गिर ही जाती हैं.. !!
..........................................................................'तरुणा'.....!!!
Tasveer koi bhi ho ... tere aks me dhal hi jaati hai...!
Sukhan kisi ka bhi ho... teri kahani ho hi jaati hai...!!
(Sukhan-Poetry)
Shehar me kitne raaste ... kitni galiyaan hain ..magar..
Chalun main kisi par bhi... tere dar pe khul hi jaati hai ;
Dekhti hoon jab tumko .. simat jati hun main khud me ..
Tod ke khol ko mere.... lahar baha le hi jaati hai. ;
Chaahti hun main ..na chaahun kabhi .. usko itni shiddat se...
Khwaabon ke shabistaan me... uski yaade chali hi aati hai ;
(Shabistan-Badroom)
Band karke dar-o-deewaar ghar ke.. main baithi hun kab se...
Kya karun mazboor hun .... 'Taru' ki taameer gir hi jaati hai..!!
..........................................................................................'Taruna'.....!!!
10 comments:
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (10.01.2014) को " चली लांघने सप्त सिन्धु मैं (चर्चा -1488)" पर लिंक की गयी है,कृपया पधारे.वहाँ आपका स्वागत है,नव वर्ष कि मंगलकामनाएँ,धन्यबाद।
बहुत सुन्दर पप्रस्तुति !
नई पोस्ट आम आदमी !
नई पोस्ट लघु कथा
बहुत खूबसूरत रचना
Rajendra Kumaar ji maine abhi dekha... Sorry... bahut shukriya.. aapka.. :)
Kalipad Prasaad ji bahut shukriya.. :)
Vinod ji.. Soo many thanksss.. :)
ak behatrin rachana ke liye badhai sanjay verma"drushti" manawar distt dhar(mP)454446
Sanjay ji... bahut bahut Shukriya.. :0
बहुत सुन्दर रचना...!!
Sanjay Bhaskar ji... bahut Bahut Shukriya.. :)
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