कहानियाँ तो
कितनी ही ... साथ मेरे चल रही हैं....!
कोई सच में खिल
रही हैं.. कोई झूठ में जल रही है..!!
कही कितनी ही
बातें उससे... आँखों से रोज़ हमने...
समझा नहीं क्यूँ
दिल में ... मोहब्बत मचल रही है ;
सियासत.. नफ़रत..
झूठ.. मक्कारियों में रंग कर..
ये दुनिया जाने
किस नए ... सांचे में ढल रही है ;
दिल में जो बस
रहा है ........ उससे लड़ें तो कैसे...
कभी दम निकल रहा
है... कभी आह निकल रही है ;
क़दम से क़दम मिला
के... 'तरु' साथ तो चलती थी...
ऐ ज़िंदगी ! क्यूँ अचानक ....तू चाल बदल रही है...!!
.............................................................'तरुणा'....!!!
Kahaniyan to kitni hi ......
saath mere chal rahi hai...!
Koi sach me khil rahi hai ... koi jhooth me jal rahi
hai...!!
Kahi kitni hi baate us'sey .... aankho se roz hamne...
Samjha nahi kyu dil me ...mohabbat machal rahi hai ;
Siyasat.. nafrat ..jhooth... makkaariyon me rang kar..
Ye duniya jaane ki naye ... saanche me dhal rahi hai ;
Dil me jo bas raha hai ... us'sey lade to kaise....
Kabhi dam nikal raha hai .... kabhi aah nikal rahi hai ;
Qadam se qadam mila ke ... 'Taru' saath to chalti thi...
Aiy zindgi !.. kyu achanak ...tu chaal badal rahi hai... !!
...............................................................................'Taruna'...!!!
3 comments:
ऐ ज़िंदगी ! क्यूँ अचानक ....तू चाल बदल रही है...!
................... बहुत ही बढिया
Bahut Shukriya... Sanjay Bhaskar ji... :)
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