क्यूँ बेज़ा ज़ुल्म
सहे ... गुनाहगार मैं भी हूँ...
इन ज्यादतियों
में तेरी.. मददगार मैं भी हूँ..
दो घड़ी तेरी आवाज़
की..सरगोशी सुनने को ...
दौड़ती हूँ नंगे
पैर ... तलबगार मैं भी हूँ....
ख़ूबसूरती ज़माने
को ..मेरे दिल की दिख गई..
सफ्फ़ाक ज़माने में
... असरदार मैं भी हूँ...
(सफ्फ़ाक-निर्दय)
नाजायज़ अंधेरों
को .. मिटा के ही दम लिया..
काली अँधेरी
रातों में .. चमकदार मैं भी हूँ...
ज़िंदगी की तमाम
जंग ..जीत ली तो है मैंने ..
देखा है जबसे
उसको ... तो बीमार मैं भी हूँ..
.......................................................'तरुणा'...!!!
Kyun beza zulm sahe .. gunahgaar main bhi hoon..
In jyadtiyon me teri .. madadgaar main bhi hoon ...
Do ghadi teri aawaaz ki ... sargoshi sunne ko...
Daudti hoon nange pair..talabgaar main bhi hoon..
Khubsoorti zamane ko ... mere dil ki dikh gayi ..
Saffaaq zamane me... asardaar main bhi hoon....
(saffaaq-brutal)
Najaayaz andheron ko ..mita ke hi dam liya...
Kaali andheri raaton me ..chamakdaar main bhi hoon..
Zindgi ki tamaam jung ... jeet li to hain maine ...
Dekha hai jabse usko .. to beemaar main bhi hoon..
.................................................................................'Taruna'...!!!
No comments:
Post a Comment