यूँ छुप-छुप कर ... तेरा तकना...
तुम्हारी ख़ामोश निग़ाहों में .... मुहब्बत का पैगाम...
मिली हूँ जब से तुमसे .... मैं ख़ुद से लड़ती हूँ...
तुम्हारे जज़्बातों से .. कैसे रहूँ .... मैं अब अंजान.....
सोचती हूँ कि ... कर लूं... इस प्यार का इक़रार...
याकि न मिलूँ कभी ..... दिल कमाल का... बजाता है सितार...
देखने को तुम्हें मैं .... ख़ुद को रोक नहीं पाती हूँ...
बेख़ुदी में ... अंजान राहों में ... बढ़ती जाती हूँ....
हर्फ़-ब-हर्फ़ ... मुझे याद है तेरी... हर बात.....
ज़िंदगी को मेरी... मिल गई है ... अनमोल सौगात...
.........................................................................'तरुणा'....!!!!
Yun chhup-chhup kar.... tera takna...
Tumhari khamosh nigaahon me ... muhabbat ka paigaam ....
Mili hoon jab se tumse ... main khud se ladti hoon ...
Tumhare jazbaaton se .. kaise rahun ... main ab anjaan .....
Sochti hoon ki ... kar loon... is pyaar ka iqraar.....
Yaki na miloon kabhi ... dil kamal ka .. bajata hai sitaar....
Dekhne ko tumhe main ... khud ko rok nahi paati hoon...
Bekhudi me ..anjaan raahon me ... badhti jaati hoon....
Harf-b-harf ... mujhe yaad hai ... teri har baat ...
Zindgi ko meri ... mil gayi hai .. anmol saugaat...
.................................................................'Taruna' ..... !!!!
2 comments:
प्रशंशानिये रचना
bahut Shukriya... Anand ji... :)
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