तुम न होके भी...हर सू हो....
चाँद आता है रोज़...आँगन में मेरे....
तू नहीं हैं तो....रोशनी नहीं होती....
दूर तक फ़ैली हुई हैं....तन्हाई.....
ये निखरा आसमां....वो धुली चांदनी.....
क्यूं..जी जलाने को रात फ़िर आई...???
देर तक राह...देखती मैं रही.....
जहां तक...निग़ाहें पहुँच सकीं हैं मेरी.....
कोई आहट नहीं हैं....क़दमों की....
तेरी सूरत भी न...नज़र आई....
अब..अकेले न कट सकेगा जीवन....
मधुबन भी...हो रहा निर्जन....
फूल तो रोज़ यहाँ...खिलतें हैं....
कोई खुश्बू नहीं...मगर आई....
बस महकती है....सिर्फ़ याद तेरी.....
और रोशन हैं...मेरी तन्हाई.....
..............................................'तरुणा'....!!!
16 comments:
वाह , बहुत सुन्दर
Bahut Shukriya... Mahifilejazbaat ... ji..naam pata hota to zyaada behtar hota...:)))
sunder rachna .....
आपकी यह रचना कल रविवार (02 -06-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
Harish Bansal ji... bahut Shukriya .. :)
Arun Sharma ji... bahut aabhaari hoon... zaroor ...uska link kya hai.. :)))
मैं होके भी...नहीं हूँ....
तुम न होके भी...हर सू हो....
बहुत बहुत उम्दा रचना , शुरुआत ही इतनी खूबसूरत वाह , शुभकामनाएं
Bahut Shukriya... Shekhar Ji... :)))
So beautiful words
Yogesh Ji.... Soo Many Thanksss .. :)))
ati sundar bhaav abhivyakti...... bahut bahut shukriya....
ruchin
ati sundar bhaav abhivyakti...... bahut bahut shukriya....
ruchin
Ruchin ji.... Bahut Shukriya... :)))
Pramod ji.... Soo Many Thanks.. :)))
Very nice Taruna ji
Very nice Taruna ji
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