तुम को कागज़ पे
...क्या उतारूँ....??
कैसे उतारूँ.... ?
चाहे कितनी
कोशिशें करूँ....
तुम्हारी
मुस्कराहट....जैसे पीले पीले...
सरसों के फूलों
की चादर...
दूर तक जहाँ
देखो...खिलती है...मुस्कुरा कर...
बाते तेरी...उफ्फ
...क्या कहूँ मैं....
खनकती..ताज़गी भरी
आवाज़ को कैसे लिखूं मैं....
जैसे...तपती
गर्मी बाद....होती है बरसात....
उड़ती हैं
सौंधी ख़ुशबू...मिट्टी से दिन रात....
मासूमियत कुछ
ऐसी..हैं तुझमे...
बच्चे के
चेहरे...की मुस्कान सी....
प्यार तेरा लगे
है यूँ...मस्ज़िद में होती अज़ान सी....
या ...बजतीं हैं
घंटियाँ...जैसे किसी मंदिर सुनसान में...
कभी...वो अड़ियल
सा रवैया...
कभी झुक जाना
...प्यार में...
मुझपे जादू सा
है...करता...
प्यार हो...या
रार में...
तुमको...बयाँ न
कर सकूंगी...
पूरी तरह
से...मैं कभी....
हो क्या तुम मेरे
लिए...
किसी को न समझा
सकूंगी कभी.....
बखान व्यक्त्तिव
का तुम्हारे...
कर न पाएगी...कलम
मेरी....
जानती हूँ....जो
मैं दिल में...
लिख न पाएगी ये
कभी....
कभी भी....
........................................'तरुणा'.....!!!
16 comments:
मासूमियत कुछ ऐसी..हैं तुझमे...
बच्चे के चेहरे...की मुस्कान सी....Beautiful
Yogesh Ji .... Bahut Hi Shukriya .... :))))
vaah.....
vivek mishra
Bahut sunder !!!! Jai radhey krishna
Itni masoomiyat bhari mohabbat ka jawab nahi.
Itni masoomiyat bhari mohabbat ka jawab nahi.
Vivek Mishra ji .... Bahut Shukriya ... :)
Jujhar Rahi ji .... Bahut Shukraguzaar hoon... :)))
Jai Radhey Krishn ... Bahut Shukriya ... Par naam bataatey to bahut achcha lagta .. :)))
बहुत विशाल व्यक्तित्व.!!!!
बहुत सुंदर चित्र उकेरे हैं आपने,तरुण जी......."तुम्हारी मुस्कराहट..जैसे पीले पीले...सरसों के फूलों की चादर".....बहुत अच्छा लगा.....!!डूब कर एहसास करने योग्य रचना है....!!
तरुणा जी....(नाम में त्रुटि रह गयी आपके )
Khoobsoorat............
Bahut bahut Shukraguzaar hoon... main aapki Vinod jii... :)
Manu Ji... many many thanks.. :)
Virendra ji... bahut bahut Shukriya.. :)
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