Sunday, April 28, 2013

मेरा सब्र.....


तुम सता लो...मुझे चाहे जितना....
तड़पा लो...भले कितना.....
उफ्फ न करूँगी कभी....
ज़ुबाँ न खोलूँगी कभी...
कोई शिक़ायत न...गिला होगा...
लब पे मेरे न कोई...शिक़वा होगा...
जानते हो तुम भी....मैं जाऊंगी न कहीं....
चाहे कोई दर्द...या ज़ुल्म करो...मुझ पर यूँ ही...
करती हूँ प्यार...हर इक चीज़ को मैं...सह लूँगी....
बस तुझे देख के....मैं जी लूँगी....
पर भूल न जाना...तुम एक बात मेरी...
जिस दिन बढ़ जाएगी....इंतिहां तेरी...
जो मेरे सब्र का पैमाना...कहीं टूट गया....
मन के समंदर का ये सैलाब....कहीं छूट गया....
ज़ख़्म जो बन गये....कभी नासूर मेरे....
फ़िर किसी सूरत न रुकूंगी...पास तेरे...
गर मैं चली गई तो...वापस कभी न आऊँगी....
मुड़ के न देखूँगी...न कभी पछताऊँगी....
हाँ....मेरे सब्र की सीमा है...दुनिया में सबसे बड़ी....
गर कभी टूट गई...भूले से भी जो ये कड़ी.....
फ़िर तो किसी सूरत...न ये जुड़ पाएगी.....
मेरी परछाई भी न...तुझको नज़र आएगी...
इसलिए बात मेरी ये...हमेशा याद रखना...
न मेरे धैर्य की तुम...कभी भी परीक्षा लेना...
मैं तो होती रहीं हूँ...पास हर इम्तिहां में तेरे....
तू न हो जाए कहीं फेल...इस इम्तिहां में तेरे...
न मेरे सब्र की तू कभी परीक्षा लेना....
न लेना.... कभी नहीं.....
.........................................................'तरुणा'....!!!

4 comments:

Mahima Mittal said...

bahut hi khoob....

taruna misra said...

Mahima .... Thanks a ton... :))))

Akhi said...

bahot sundar Taruna ji .....ekdam real bharteey nari ki vyatha lagti hai ..

taruna misra said...

Akhilesh Awasthi jii ... Bahut hi shukriya ... :)))