Friday, February 15, 2013

दो मौसम....


मौसम फिर आज.....बड़ा खुशनुमा है....
भीनी भीनी ख़ुशबू में....डूबा ये समां है....
तेरे एहसास की....बसंती बयार.....
मेरे जज्बातों की....सावनी फुहार....
मिल रही है....कुछ ऐसे....
बरसों के प्यासे को अमृत...मिल जाए जैसे....
मखमली एहसास.....तेरे ख़ुमार का....
रेशमी जज़्बात....मेरे प्यार का...
फ़िर मिल रहें हैं....झूम के यूँ...
हर तरफ़....नाच रहा है...मन-मयूर क्यूँ...
खुलने लगा है....मेरे दिल का झरोखा....
दो मौसमों का मिलन...है कुछ अनोखा....
भीगने लगा है...मन सावनी फुहारों में....
तेरी मौजूदगी की...बसंती बयारों में....
बौछारें तन मन पर कर रहीं हैं...जैसे ज़ादू...
डूबने लगी हूँ मैं....अब फिर न हैं...कोई क़ाबू....
कोई भी क़ाबू......न अब रहा है.....
बस मिलन हो रहा है....
आज फिर दो मौसम का.....
प्यार मे डूबे.....बसंत और सावन का....
दो मौसम....प्रेम मे भीगे....रस मे डूबे...
मेरी और तुम्हारी तरह....

.....................................................'तरुणा'.....!!!



4 comments:

Prajwal/ RozRose smile said...

Tarunaji , very Nice . Nature and Natural phenomena mujhe bahot pasand hai ... har Praani ko cho jaata hai .... :)

Prajwal :)

taruna misra said...

Bahut bahut shukriya....RozRose Smile ji.....:)

Unknown said...

aishe mousam me mujhe kisi ki yaad aa gaye...........mishra mam aapka bahut bahut dhanyawad..........

taruna misra said...

Johny Didwania Ji..... ye mausam hota hi aisa hai... Bahut Shukriya..:)))