Saturday, February 2, 2013

डोर....


मैं छिपी थी....
गहरें कुएँ में कहीं....
घुप्प अंधेरें में...
सीलन भरी थी चारों ओर....
मैं खुद गल रही थी...वही...
माहौल बदबू भरा हुआ था....
सब कुछ आस पास सड़ रहा था...
खो जाती...मैं बेचारी...
उस अंधे कुएँ में...कहीं...
पर अचानक तुम कही से....
डोर बन कर आ गए....
खींच कर मुझको वहां से....
रोशनी दिखला गए.....
अब न वो सीलन हैं.....यहाँ...
न घुप्प अँधेरा हैं..कहीं..
बस खुली हवा में हूँ...मैं...
जी रही हूँ.....ज़िंदगी....
सड़न...बदली हैं..सृजन में...
बदबू बनी हैं...अब ख़ुशबू...
रोशनी बिखरी हैं...हर सूं....
भीग रहें हैं....मैं और तू....
बस...मैं और तू....
...........................'तरुणा'....!!!

4 comments:

Unknown said...

Taruna ji its realy a nnew hope for whome who are disappointed just like me.It gives msg that hapiness comes after sorrowa.I like it very much.Thanx Taruna ji.

taruna misra said...

Many many thanksss....Kamal Sharma jii....Yes that's very true....Change is the only thing...which is permanent...Thankss...:)

Unknown said...

sach hai Taruna ji zindagi badalne ke liye bas ek dor ki hi zaroorat hoti hai ..kisi aise apne ki jo zindagi ka meaning hi badal de ...nice rachna indeed :)

taruna misra said...

Dimple jii.....bahut shukriya...Jee haan...Zindgi me pyaar ki bahut ahmiyat hoti hai...us pyaar ki....jo jeevan deta hai....Zindgi ke maayne sikhaata hai....bahut shukriya...:)