नही भूलूंगी कभी...मैं...
जो दिया हैं...तुमने मुझको...
क्या-क्या नही दिया......
मेरे अधरों को सिखाया....मुस्क़ाना....
धड़कनों को....गीत गाना...
ज़िस्म की थिरकन.....और...
ये अनंत यौवन....भी...
देन हैं....तुम्हारी....तुम्हारे प्यार की....
सांसो की महक भी.....
चाल की लचक भी....
ये नज़ाक़त...नफ़ासत....ख़ुश्बू...
महसूस की हैं....तुमसे ही....
क्या हुआ जो...साथ-साथ....
दर्द भी किया....मेरे नाम....
दी कुछ....तड़प....कुछ क़सक..भी....
प्यार का हर रूप.....तो दिया....
जब बरसाए फूल....तो न क़ी....
शिक़ायत...कोई मैने.....
अब..काँटे हैं...तो भी शिक़वा क्यूँ हो..???
जब मिल के गाए थे...सुरीले नगमे....
तो अब अश्क़ो से...परहेज़ क्यूँ हो...???
मैं...कृतज्ञ हूँ....तुम्हारी...
प्यार का हर भाव...हर रूप.....
सिखाया है....दिया है...तुमने मुझे....
और मैं...रहूँगी...चिर कृतज्ञ.....
भूलूंगी न उपकार तुम्हारा....
एहसान तुम्हारा.....प्यार तुम्हारा....
कभी भी....कहीं भी.....
.....................................तरुणा||
2 comments:
APANO PAR HUM KOI UPKAR NAHI KARTE. YE TO AAPAS KA AMOOLYA PYAR HAI. BAHUT SUNDER UPKAR AAPKA !!
Amresh....haan...apno par koi upkaar nahi hota....par agar kisi vajah se vo apne door ho jaaten hain....to unko talkhi se nahi kritagyta se yaad karna chaahiye.....vahi darshaaya hai...THANKSSS...:)
Post a Comment