निशान......
क्या होगा उसका....
भूल पाएगी कभी...वो..
अपने साथ बीते उस घृणित हादसे को....
उस...अमानवीय घटना को...
मानवता को शर्मसार..करती उस वेदना को....
जिस्मानी घाव शायद....भर पाए...
आज नहीं....तो कल...
पर उन मानसिक चोटों से...क्या पाएगी वो निकल..
उबर पाएगी वो उस हादसे से.....
क्या था जुर्म...क्या कुसूर था उसका...
क्यूँ स्त्री होने की....पाई है सज़ा....
एक यही तो थी उसकी खता..
क्या भरेंगे कभी ये ज़ख्म...
मिटेंगे ये घाव...ये निशान...
क्या कभी भी.....
पुनरावृत्ति.......
क्यूँ होती हैं हम...औरतें ही...
इस दुश्क्रत्य का शिक़ार...
जब...जहाँ...जो चाहे...क्या..
कर सकता है...बलात्कार....
टटोलना होगा हम...माओं को....
अपने-अपने सीनों को....
यहीं संस्कार दे रहें हैं....क्या..
इस देश के भावी नगीनों को....
कांपती नहीं...क्या रूह उनकी....
आत्मा..नही धिक्कारती....
उस स्त्री के चेहरे में...एक बार भी...
क्या अपनी...माँ...बहन...बेटी नहीं पुकारती...
मनुष्य क्या...राक्षस भी शर्मा रहें होंगे...
इस हवस की पराकाष्ठा से....
करती हूँ.....आवाहन उन माओं का...
मत लज़ाओं...अपनी कोख को.....
पुरूषों को नही..पैदा किया हैं..दरिंदों को...
बन जाओ फिर से..'Mother India'..
और स्वयं मिटा डालो इन नर-पिशाचों को...
रोक लो इस पुनरावृत्ति को...
अपने ही बेटों की...इस दुश्वृत्ति को...
मिटा दो इस कलंक को.....
खबर....
चढ़ा दो सूली.....इन भेड़ियों को...
सबके आगे....सरेशाम.....
ये भावना...ये विचार आज...
जन-जन तक आंदोलित है...
पर क्या जीवित रख पाएँगे...हम इस क्रोध को..
अपने भीतर उमड़ते इस...आक्रोश को....
या नया अख़बार मिलते ही.....
पुरानी बासी ख़बर की तरह.....
इस हादसे को भूल जाएँगे...
फिर किसी नई...ख़बर पर....
चटखारे लगायेंगे......
अपने बच्चों क्या देंगे अच्छे संस्कार भी..
या दुनिया की खबरों पर करते रहेंगे विचार ही...
उबलता रहेगा...हमारा खून यूँ ही....
या बन के रह जाएँगे...बस एक मूक दर्शक ही...
सिर्फ़ एक मूक दर्शक.....
.....................................................तरुणा||
9 comments:
Taruna ji
aap ki kavita ek darpan hai samaz ka ji sabhi ko dekhna aur mahsoos karna chahiye.
hame apne manav hone pe sharm aa rahi hai.
Aisa kabhi nahi hona chahiye
Vinod jii....ye to saare samaaj ke hi vichaar hain...main to bas ek maadhyam hoon..logon tak unki baaten pahunchaane me....hamen apni bhaavi peedhee par bahut dhyaan rakhna padega...unko naari ki izzat karna bachpan se hi sikhaana padega...aur shruvaat hamen apne hi gharon se karni padegi....thanksss...:)
अति सुंदर अभीवयक्ति ...
ह्रदय सपर्शी भावनाओ से अभिवयकत किया है आपने इस विभीत्ष डर को ... (राजीव त्यागी )
bahut hi sach kaha... Taruna ji.... teeno kavitayen bahut sateek hain... sabse bada prashn to yahi hai... ki kya use nyaay mil payega...
राजीव त्यागी जी...ये डर आज हर स्त्री का डर बन गया है....मैं तो बस इतना चाहती हूँ..कि (उस मासूम को..जिसने अपने स्त्री होने की इतनी बड़ी क़ीमत चुकाई हैं...उसे न्याय मिले)...और अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले...ताकि कोई और ऐसा दुस्साहस करने का सोचें भी नहीं...शुक्रिया...
Mahima...bilkul...har aurat ke man me yahi ghum raha hai....usko to nyay milna hi chaahiye....par pahle ham sab ko uski jindgi ke liye prarthna karni chaahiye....ISHWAR...usey jald swastha karen...aur vo himmat kar saken...is jang ko jeetne ki...jisme ham sabhi uske saath hain...:)
Nishan mit jayenge par jakhm katai nahi.
PUNARAVRITI : Ni:sandeh aapne ek utam, utkrist, aur atyant sarvkalin samadhan ki baat ki hai, jo tarif ke pare aur atyant sarahniy hai. Umid karta hoon ki hamara samaj avilamb es par amal karega.
Mai hamesha apane chhote muh se aapse badi-2 baaten ki hai, par fir bhi aapne hame jo aadar, samman, pyar diya hai, uske liye mai sadaiw aapka aabhari rahoonga.
Iswar Us masoom ko Jald Swasth kar ek naya jeevan pradan karen, aur wo sahas de jisse es jaghanya aparadh karta ko uchit dand mil sake, meri bhi yahi prarthna hai.
AAP HAMESHA ES KUTSIT SAMAJ KO EK NAJARIYA DETI RAHEN, ISKE LIYE ISWAR AAPKO WO SARI SHAKTI DE, YAH ISWAR SE MERI KAMNA RAHEGI !!
Amresh Ojha....bahut aabhaari hoon ki tumne itna samay...kavitaaon ko padhne aur un par apni ray dene ke liye nikaala....aaj to hamme se har ek ki sachche dil se yahi koshish honi chaahiye ki....samaaz ki bhalaayi ke liye apni apni jagah se soche aur apna bahumulya yogdaan den....tabhi ham in sab buraaiyon se lad paayenge...:)
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