Thursday, April 20, 2017

सिलसिला ...!!

मिलने जुलने का सिलसिला कम है...
उनका अब मुझसे वास्ता कम है ;
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कुछ चराग़ों में हौसला कम है...
कुछ मयस्सर उन्हें हवा कम है ;
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आ न जाए कहीं ज़ुबान पे सच...
दिल मेरा झूठ बोलता कम है ;
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क्यूँ बहलता नहीं कहीं भी ये दिल..
साथ वो है तो और क्या कम है ;
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आ तो जाऊँ तुम्हारी बातों में...
बच निकलने का रास्ता कम है ;
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दूर से दूर होते जाते हैं...
सिर्फ़ कहने को फ़ासला कम है ;
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देख कर भी करें हैं अनदेखा..
इश्क़ में ये ही क्या सज़ा कम है..!!
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...............................'तरुणा मिश्रा'..!!!



Wednesday, March 15, 2017

आँखों में...!!!


है अयाँ दिल का हाल आँखों में..
पढ़ के देखो सवाल आँखों में ;
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पूछते कम से कम तो ये इक बार..
क्यूँ ये डोरे हैं लाल आँखों में ;
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जिन से बेचैनियाँ रहें दिन भर...
ख़्वाब ऐसे न पाल आँखों में ;
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इन में रहती है तेरी परछाईं...
धूल तू तो डाल आँखों में ;
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वक्ते रुख़सत तो देखते मुड़ के...
बस यही है मलाल आँखों में ;
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अब तो घर लौट कर चले आओ...
जाए उबाल आँखों में ;
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उम्र भर की न हो पशेमानी...
प्यार कर लो बहाल आँखों में ;
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राज़े दिल खोलती हैं ये ‘तरुणा’...
है ये कैसा कमाल आँखों में...!!
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........................’तरुणा मिश्रा ‘...!!!


Wednesday, February 15, 2017

फ़ायदा क्या है ?








ये बता मुझसे  चाहता क्या है...
तेरे लहज़े का फ़लसफ़ा क्या है ;
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तुझको आख़िर बता हुआ क्या है..
सोचता है तो सोचता क्या है ;
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दिल की बातें हैं तुम न समझोगे..
और समझ लो तो फ़ायदा क्या है ;
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आ रहा है वो पास क्यूँ इतना..
जाने अब उसका फ़ैसला क्या है ;
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जिसको ख़्वाहिश नहीं है मंज़िल की..
क्या पता उसको रास्ता क्या है ;
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क्या ख़ता हो गई पता तो चले ..
तू ये टुक टुक के देखता क्या है ;
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मिलना चाहो तो मिल भी सकते हैं..
फ़ासला है तो फ़ासला क्या है ;
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जब बिछड़ने का मन बना ही लिया..
फिर तू मुड़ मुड़ के देखता क्या है ;
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उसका ख़त पढ़ चुकी हूँ कितनी बार..
ख़त में उसने मगर लिखा क्या है..!!
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.............................................'तरुणा'....!!!