Thursday, April 20, 2017

सिलसिला ...!!

मिलने जुलने का सिलसिला कम है...
उनका अब मुझसे वास्ता कम है ;
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कुछ चराग़ों में हौसला कम है...
कुछ मयस्सर उन्हें हवा कम है ;
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आ न जाए कहीं ज़ुबान पे सच...
दिल मेरा झूठ बोलता कम है ;
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क्यूँ बहलता नहीं कहीं भी ये दिल..
साथ वो है तो और क्या कम है ;
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आ तो जाऊँ तुम्हारी बातों में...
बच निकलने का रास्ता कम है ;
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दूर से दूर होते जाते हैं...
सिर्फ़ कहने को फ़ासला कम है ;
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देख कर भी करें हैं अनदेखा..
इश्क़ में ये ही क्या सज़ा कम है..!!
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...............................'तरुणा मिश्रा'..!!!



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