Tuesday, March 8, 2016

प्यार की नेमत..!!


प्यार नेमत है ये आज़ार नहीं होता है...
ऐसा जज़्बा है जो बेकार नहीं होता है ;
(आज़ार- रोग/व्यसन)
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लोग मतलब के लिए रिश्ता बनाते क्यों हैं...
प्यार के रिश्तों में व्यापार नहीं होता है ;
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आज तो टूट के बिखरूं मैं तेरे दामन में..
कैसे तुझसे कहूँ इजहार नहीं होता है ;
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गरचे हम याद न करते हैं कभी भी उनको...
दिल भुलाने को भी तैयार नहीं होता है ;
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बात यकलख्त सभी अपनी कहे मनवा ले..
हर किसी को तो ये अधिकार नहीं होता है ;
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रोशनी-रंग मयस्सर है अमीरों को बस....
मुफलिसों के यहाँ त्योहार नहीं होता है ;
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इश्क़ आसान नहीं है कि निभा पायें सभी..
डूब के गर न किया पार नहीं होता है ;
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आदमी चाहे तो आकाश उठा ले सर पर...
काम तो कोई भी दुश्वार नहीं होता है ..!!

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..................................................'तरुणा'...!!!




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