Tuesday, September 22, 2015

मेरा चाँद ...!!!



साथ अगर हूँ तेरे तो, चटकीला चाँद..
वरना पूनम का भी , फ़ीका-पीला चाँद ;
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सोचूं के आकाश के , नीले आँचल में ...
तुमको देखा या देखा , चमकीला चाँद ;
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तन्हाई के सन्नाटों के , खंडहर में...
धीरे-धीरे पिघला है , बर्फ़ीला चाँद ;
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कौन आया आँखों में रोशन , प्यार लिए..
देख के उसको लौट गया , शर्मीला चाँद ;
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ख्वाहिश तो जागी है , तुमसे मिलने की...
देख रहा था छुप-छुप के , भड़कीला चाँद ;
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नींदों के लम्हों में कौन , आ जाता है ...
ये तुम होते हो या फिर सपनीला चाँद ;
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तन्हाई में 'तरुणा' , भीगी पलकों से ..
देखूं तो लगता है , भीगा-सीला चाँद ..!!
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.....................................................'तरुणा'... !!!
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Saath agar hun tere to , chatkeela chaand ..
Warna poonam ka bhi , feeqa-peela chaand ;
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Sochun ke aakash ke ,  neele aanchal me ..
Tumko dekha ya dekha , chamkeela chaand ;
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Tanhaayi ke sannaton ke , khandhar me ...
Dheere- dheere pighla hai , barfeela chaand ;
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Kaun aaya aankhon me roshan , pyaar liye ..
Dekh ke usko laut gaya , sharmeela chaand ;
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Khwahish to jaagi hai  ,  tumse milne ki ..
Dekh raha tha chhup- chhup ke , sharmeela chaand ;
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Neendon ke lamhon me kaun , aa jata hai ..
Ye tum hote ho ya phir , sapneela chaand ;
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Tanhaayi me 'Taruna' , bheegi palkon se..
Dekhun to lagta hai , bheega -seela chaand ...!!
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.......................................................................'Taruna'...!!!

Wednesday, September 16, 2015

एक पुरानी याद...!!!


मुद्दतों के बाद वो , सरगोशियाँ याद आ गई ..
चाँद को देखा तुम्हारी, शोखियाँ याद आ गई ;
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मस्त होके दौड़ती कुछ , भागती सी लड़कियां ..
साथ में बीती हुई वो , छुटियाँ याद आ गई ;
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गीत गाते दो अधर , आँखों में वो दिलकश झलक...
शाम की सीली महकती , नर्मियां याद आ गई ;
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कुछ महकती सी क़िताबें , इत्र में डूबे वो ख़त..
बंद मुट्ठी में दबी सब पर्चियां याद आ गई ;
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वो घरोंदे रेत वाले , पाल बैठे थे सपन ..
रेत में बिखरी हुई कुछ , सीपियाँ याद आ गई ;
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जाते - जाते बारहा  तेरा पलट के देखना..
आखिरी लम्हें न रुकती , सिसकियाँ याद आ गई ;
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टूटे वादे , रोती कसमें आज भी मायूस हैं..
जो किनारे आके डूबी कश्तियाँ याद आ गई ;
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दिल यही कहता है मेरा तुम नहीं भूले मुझे..
रात के पिछले पहर की , हिचकियां याद आ गई ..!!
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..................................................................तरुणा’..!!!
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Muddaton ke baad wo  ,  sargoshiyaan yaad aa gayi ..
Chaand ko dekha tumhari  , shokhiyaan yaad aa gayi ;
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Mast hoke daut'ti kuchh  ,  bhaagti si ladkiyaan..
Saath me beeti hui vo , chhuttiyaan yaad aa gayi ;
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Geet gaate do adhar , aankhon me wo dikash jhalak ..
Shaam ki seeli mahakti  , narmiyaan yaad aa gayi ;
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Kuchh mahakti si kitaabein , itr me doobe wo khat ..
Band mut'thi me dabi sab , parchiyaan yaad aa gayi ;
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Wo gharaunde ret waale  ,  paal baithe the sapan ..
Ret me bikhri hui kuchh  ,  seepiyaan yaad aa gayi ;
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Jaate -jaate baarha  ,  tera palat ke dekhna..
Aakhiri lamhe na rukti  ,  siskiyaan yaad aa gayi ;
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Toote waade , roti kasmein ,  aaj bhi maayus hain ...
Jo kinaare aake doobi  ,  kashtiyaan yaad aa gayi  ;
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Dil yahi kahta hai mera  ,  tum nahi bhoole mujhe...
Raat ke pichhle pahar ki ,  hichkiyaan yaad aa gayi..!!
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................................................................................'Taruna'..!!!

Monday, September 7, 2015

ज़ियारत ..!!!


किसी की  नज़र में , मुहब्बत  लिखी है..
बला की  तभी तो  , शरारत  लिखी है ;
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गज़ब तेरा  चलना गज़ब तेरी  बातें
तेरी हर अदा में , नज़ाकत लिखी है ;
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कभी क़ैद कर लो मुझे अपने दिल में..
अज़ल से  तुम्हारी  , हुकूमत लिखी है ;
(अज़ल-आदिकाल/eternity)
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गुनहगार हूँ हाँ हुआ ,जुर्मे-उल्फ़त ..
कि नस नस में मेरी , ये जुर्रत लिखी है ;
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हमेशा ,  कहर ढाता आया ,  ज़माना...
मुहब्बत की किस्मत, में आफत लिखी है ;
चमन दर चमन फूल मुरझा रहें हैं ...
ये किसकी है साज़िश , सियासत लिखी है ;
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दुआ है  किसी की  , यकीनन ही मुझपे..
गुनाहगार थी पर रियायत लिखी है ;
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भटकना है शायद मुझे दरबदर अब ..
मेरे पाँव में सिर्फ ,  हिजरत लिखी है ;
(हिजरत-प्रस्थान/migration)
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गली मेरे प्रीतम की मंदिर है मेरा ..
करूं रोज़ सज़दा ज़ियारत लिखी है ..!!
(जियारत- तीर्थयात्रा /pilgrimage)
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............................................................'तरुणा'...!!!
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Kisi ki nazar me , muhabbat likhi hai ..
Bala ki tabhi to ,  shararat likhi hai ;
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Ghazab tera chalna , ghazab teri baatein ..
Teri har ada me ,  nazakat likhi hai ;
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Kabhi qaid kar lo , mujhe apne dil me ..
Azal se tumhari ,  huqumat likhi hai ;
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Gunahgaar hun , haan hua , jurm-e-ulfat ..
Ki nas-nas me meri ye ,  jurrat likhi hai ;
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Hamesha qahar dhata , aaya zamana ..
Muhabbat ki kismat me , aafat likhi hai ;
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Chaman dar chaman phool , murjha rahe hain..
Ye kiski hai saazish ,  siyasat likhi hai ;
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Dua hai kisi ki , yakeenan hi mujhpe ..
Gunahgaar thi , par riyaayat likhi hai ;
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Bhatkna hai shayad mujhe , dar-b-dar ab ..
Mere paanv me sirf , hijrat likhi hai ;
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Gali mere preetam ki , mandir hai mera ..
Karun roz sajda ,  ziyaarat likhi hai ...!!
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...........................................................'Taruna'...!!!