Thursday, June 25, 2015

वो पुरानी ज़िंदगी... !!!

जो क़रीने से  ..... भरी थी ..... बेकरीने हो गई ..
उसने देखा ..  प्यार से तो .. ज़िंदगी वो खो गई ;
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लाख़ तरतीबें करी पर ... सूरतें निकली ..  न कुछ ..
ज़िंदगी ... उसकी थी जैसे  ... और उसकी हो गई ;
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हो गई बीमार ... उसके इश्क़ में ... मैं इस कदर ..
लोग कहते रह गए ... जां अब गई .. अब तो गई ;
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लग रहा है .. दुश्मनी .. पिछले जनम से थी कोई...
थी मेरी सौतन पुरानी .... जो उसी की .... हो गई ;
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हाल ऐसा होगा मेरा .... कब ख़बर थी .. ये मुझे..
जागती हूँ .... रात भर अब .. दिन-दहाड़े .. सो गई ;
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अब तसल्ली भी .. किसी की .. काम तो .. आती नहीं ..
सिर्फ़ तस्वीरें छपेंगी ..... वो गई ..... लो वो गई ;
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इश्क़ ने की है इनायत .. अनगिनत ऐ ... ज़िंदगी ..
रंज से जो थी .. लबालब ... ख्व़ाब सी वो हो गई...!!
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...............................................................................'तरुणा'...!!!
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Jo kareene se ... bhari thi .. be-kareene ho gayi ..
Usne dekha .. pyaar se to ... zindgi wo kho gayi ;
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Laakh tarteebe karin par ... soortein nikali .. na kuchh...
Zindgi ..... uski thi jaise .... aur uski ho gayi ;
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Ho gayi beemaar .. uske ishq me ... main is qadar ..
Log kahte rah gaye ... Jaan ab gayi .. ab to gayi ;
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Lag raha hai ... dushmani .. pichhle janam ki thi koi ..
Thi meri sautan puraani .... jo usee ki ... ho gayi ;
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Haal aisa hoga mera ... kab khabar thi ... ye mujhe ..
Jaagti hun... raat bhar  ab ... din-dahade .. so gayi ;
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Ab tasalli bhi ..... kisi ki ... kaam to aati nahi ...
Sirf tasveerin chhapengi .. wo gayi .. lo wo gayi ;
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Ishq ne ki hai inaayat .... anginat .. Ai zindgi ..
Ranj se jo thi ... labalab .. khwaab si wo ho gayi ..!!
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................................................................................'Taruna'..!!!

























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