जान-पहचान थी .... हैं मगर अज़नबी...
ज़िंदगी
से रहे ... उम्र भर अज़नबी ;
.
हर
परिंदा तो ... छूने लगा ... आसमां...
था
जहाँ आशियाँ ... वो शज़र अज़नबी ;
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आज
इस मोड़ पर ... कल किसी मोड़ पर ...
मिल
ही जातें हैं जैसे ... बशर अज़नबी ;
.
झूठ
कहते रहे …. सच समझते रहे ...
इन
रिसालों की थी .. हर ख़बर अज़नबी ;
(रिसाले—पत्रिका/ journals)
.
चांदनी
से ... चमकता रहा ... चाँद भी ..
रोशनी
से रहे ... दोनों पर ... अज़नबी ;
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ना-मेहरबां
रहा ... वक़्त हम पर सदा...
जिससे
पूछा वही थी ... गज़र अज़नबी ;
(गज़र—घड़ी/clock)
.
जंगे-दुनिया
में उतरे ..... यही सोचकर ..
हर
अदू अज़नबी ... हर समर अज़नबी ;
(अदू—दुश्मन/enemy)
.
बेख़ुदी
में .. कभी ये पता तक .. न था..
जिससे
पीते रहे .... वो नज़र अज़नबी ;
.
इस
तरह ... रोज़ मंज़र .. बदलते रहे ...
शाम
भी अज़नबी ... हर सहर अज़नबी ;
.
कोशिशें
कामयाबी की ... ज़ानिब बढ़ी…
पास
मंज़िल हुई .. तो डगर अज़नबी ;
.
रातभर
.... टूटकर …... जो बरसती रही ..
जब
सुबह वो मिली .. थी सहर अज़नबी ;
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इंतिहा
ये हुई ..... अजनबीयत की अब..
जिसमे
बरसों रहे ... था वो घर अज़नबी ..!!
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...........................................................'तरुणा'...!!!
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