Saturday, June 20, 2015

अज़नबी .. !!!

जान-पहचान थी .... हैं मगर अज़नबी...
ज़िंदगी से रहे ... उम्र भर अज़नबी ;
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हर परिंदा तो ... छूने लगा ... आसमां...
था जहाँ आशियाँ ... वो शज़र अज़नबी ;
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आज इस मोड़ पर ... कल किसी मोड़ पर ...
मिल ही जातें हैं जैसे ... बशर अज़नबी ;
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झूठ कहते रहे ….  सच समझते रहे ...
इन रिसालों की थी .. हर ख़बर अज़नबी ;
(रिसाले—पत्रिका/ journals)
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चांदनी से ... चमकता रहा ... चाँद भी ..
रोशनी से रहे ... दोनों पर ... अज़नबी ;
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ना-मेहरबां रहा ... वक़्त हम पर सदा...
जिससे पूछा वही थी ... गज़र अज़नबी ;
(गज़र—घड़ी/clock)
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जंगे-दुनिया में उतरे ..... यही सोचकर ..
हर अदू अज़नबी ... हर समर अज़नबी ;
(अदू—दुश्मन/enemy)
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बेख़ुदी में .. कभी ये पता तक .. न था..
जिससे पीते रहे .... वो नज़र अज़नबी ;
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इस तरह ... रोज़ मंज़र .. बदलते रहे ...
शाम भी अज़नबी ... हर सहर अज़नबी ;
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कोशिशें कामयाबी की ... ज़ानिब बढ़ी
पास मंज़िल हुई .. तो डगर अज़नबी ;
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रातभर .... टूटकर …... जो बरसती रही ..
जब सुबह वो मिली .. थी सहर अज़नबी ;
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इंतिहा ये हुई .....  अजनबीयत की अब..
जिसमे बरसों रहे ... था वो घर अज़नबी ..!!
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...........................................................'तरुणा'...!!!

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