Friday, April 3, 2015

उदास चमन....!!!



लेकर करेंगे .. फूल क्या .. दामन-ए-तार तार में ..
होंगे लहू में .. तर सभी ... कांटे इसी गुल्ज़ार में ;
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गुमसुम हुई है .. हर कली .. सारा चमन ..उदास है..
तूने सितम ..  ये क्या किया.. आई हुई ...बहार में ;
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माथे लगाए खाक़ को ...  बैठी उसी की आस में...
मिट भी गई .. तो गम नहीं ..उसके ही इंतजार में ;
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वादा वफ़ा का .. आप भी.. कर लीजिये ..मुझसे सनम..
होगी गुज़र ये ..  उम्र भी .. अब तो इसी .. करार में ;
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तेरी निग़ाह-ए-लुत्फ़ ने ... मुझपे किया है .. वो असर..
रंगीन गुल सी  .. खिल गई  ..तेरे हसीं.. गुल्ज़ार में ;
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तूने चुरा .. मुझको लिया .. नज़रें मिला .. के इस तरह..
कुछ भी नहीं .. अब तो रहा .. मेरे भी .. इख्तियार में ;
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निकलो न मेरी .. खोज में .. मेरा पता .. कहीं नहीं..
मैं तो हुई हूँ .. गुम कभी .. उस इश्क़ के .. गुबार में ..!!
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...............................................................................'तरुणा'...!!!
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Lekar karenge .. phool kya ... daaman-e-taar taar me...
Honge lahu me .. tar sabhi … kaante isee gulzaar me ;
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Gumsum hui hai .. har kali... sara chaman.. udaas hai..
Tune sitam .. ye kya kiya... aayi hui ... bahaar me ;
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Maathe lagaye ... khaaq ko .. baithi usee ki ... aas me...
Mit bhi gayi ... to gam nahi....  uske hi intzaar me ;
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Wada wafa ka ... aap bhi.. kar leejiye .. mujhse sanam..
Hogi gujar ye ... umr bhi.. ab to isee .. qaraar me ;
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Teri nigaah-e- lutf ne... mujhpe kiya hai... wo asar..
Rangeen gul si ... khil gayi .. tere haseen.. gulzaar me ;
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Tune chura ... mujhko liya... nazarein mila .. ke is taraah..
Kuchh bhi nahi.. ab to raha ... mere bhi .. ikhtiyaar me ;
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Nikalo na meri .. khoj me  ….. mera pata .. kahin nahi…
Main to huyi hun ..gum kabhi.. us ishq ke .. gubaar me ..!!
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...........................................................................................'Taruna'...!!!


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