लेकर
करेंगे .. फूल क्या .. दामन-ए-तार तार में ..
होंगे
लहू में .. तर सभी ... कांटे इसी गुल्ज़ार में ;
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गुमसुम
हुई है .. हर कली .. सारा चमन ..उदास है..
तूने
सितम .. ये क्या किया.. आई हुई ...बहार
में ;
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माथे
लगाए खाक़ को ... बैठी उसी की आस में...
मिट
भी गई .. तो गम नहीं ..उसके ही इंतजार में ;
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वादा
वफ़ा का .. आप भी.. कर लीजिये ..मुझसे सनम..
होगी
गुज़र ये .. उम्र भी .. अब तो इसी .. करार में ;
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तेरी
निग़ाह-ए-लुत्फ़ ने ... मुझपे किया है .. वो असर..
रंगीन
गुल सी .. खिल गई ..तेरे हसीं.. गुल्ज़ार में ;
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तूने
चुरा .. मुझको लिया .. नज़रें मिला .. के इस तरह..
कुछ
भी नहीं .. अब तो रहा .. मेरे भी .. इख्तियार में ;
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निकलो
न मेरी .. खोज में .. मेरा पता .. कहीं नहीं..
मैं
तो हुई हूँ .. गुम कभी .. उस इश्क़ के .. गुबार में ..!!
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...............................................................................'तरुणा'...!!!
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Lekar
karenge .. phool kya ... daaman-e-taar taar me...
Honge
lahu me .. tar sabhi … kaante isee gulzaar me ;
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Gumsum
hui hai .. har kali... sara chaman.. udaas hai..
Tune
sitam .. ye kya kiya... aayi hui ... bahaar me ;
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Maathe
lagaye ... khaaq ko .. baithi usee ki ... aas me...
Mit bhi
gayi ... to gam nahi.... uske hi intzaar
me ;
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Wada wafa
ka ... aap bhi.. kar leejiye .. mujhse sanam..
Hogi
gujar ye ... umr bhi.. ab to isee .. qaraar me ;
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Teri
nigaah-e- lutf ne... mujhpe kiya hai... wo asar..
Rangeen
gul si ... khil gayi .. tere haseen.. gulzaar me ;
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Tune
chura ... mujhko liya... nazarein mila .. ke is taraah..
Kuchh bhi
nahi.. ab to raha ... mere bhi .. ikhtiyaar me ;
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Nikalo na
meri .. khoj me ….. mera pata .. kahin
nahi…
Main to
huyi hun ..gum kabhi.. us ishq ke .. gubaar me ..!!
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...........................................................................................'Taruna'...!!!
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