Thursday, April 30, 2015

धूल की परत...!!!



बात जो भी की .. उसी पर तंज वो ... कसते रहे...
साथ में जिनके ...  हज़ारों गीत .. हम रचते रहे ;
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देखने लायक़ यहाँ ... काफी नज़ारे हैं मगर ...
जो न चाहे देखना .... अफ़सोस क्यूं करते रहे ;
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है तकाज़ा ज़िंदगी का .... भूलता जा दुश्मनी....
साथ लेकर बोझ इसका ... क्यूँ भला चलते रहे ;
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वास्ता इंसान का  ... इंसान से ... होता ही है...
क्या कहें ... कुछ लोग ओढ़े झूठ भी .. मिलते रहे ;
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कट न पायेगा सफ़र ... कच्चे सहारों से यहाँ....
ढूंढ कर रब का सहारा ... ये क़दम बढ़ते रहे ;
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साथ देती ... मौज़ भी तूफ़ान में ...  है सच यही..
कोशिशें  .. पुख्ता नहीं थी ... और हम डरते रहे ;
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अक्स तेरा ही दिखेगा ... साफ़ कर ले .. आइना...
धूल की परतें रहें तो ... सच सभी .. छुपते रहे ;
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हो सभी .. तेरी तरह के लोग .. ये मुमकिन नहीं...
फूल गुलशन में अलग ये ... रंग तो भरते रहे ;
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दिलजलों को कब ख़बर है ... दीन-दुनिया की ज़रा...
आग .. खुद से ही लगा ली ... और खुद जलते रहे...!!
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..............................................................................'तरुणा'...!!!
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Baat  jo bhi ki … use par  ...  tanz wo kaste rahe...
Saath me jinke ... hazaron geet ... ham rachte rahe ;
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Dekhne laayak yahan... kaafi nazare hain magar....
Jo na chaahe dekhna ... afsos kyun karte rahe ;
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Hai takaaza zindgi ka... bhoolta ja dushmani...
Saath lekar bojh iska ... kyun bhala chalte rahe ;
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Waasta insaan ka ... insaan se .... hota hi hai...
Kya kahein ... kuchh log odhe jhooth bhi .. milte rahe ;
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Kat na paayega safar ... kachche saharon se yahan..
Dhoondh kar rab ka sahara ... ye kadam badhte rahe ;
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Saath deti ... mauj bhi toofaan me ... hai sach yahi...
Koshishein .. pukhta nahin thin... aur ham darte rahe ;
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Aks tera hi dikhega .... saaf kar le ... aaina...
Dhool ki partein rahein to ... sach sabhi chhupte rahe ;
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Ho sabhi ... teri tarah ke log .... ye mumqin nahi...
Phool gulshan me alag ye ... rang to bharte rahe ;
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Diljalon ko Kab  khabar hai ... deen-duniya ki zara..
Aag … khud se hi laga di ..... aur khud jalte rahe ... ..!!
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...................................................................................'Taruna'....!!!

Monday, April 27, 2015

ज़रूरी तो यही था...!!!


















दरो-दीवार पे ... रोगन कराना भी ... ज़रूरी था...
पुरानी वो सभी यादें... मिटाना भी ... ज़रूरी था ;
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मैं आख़िर कब तलक .. यूँ ही .. तुम्हारा रास्ता तकती...
कि जीने के लिए .....  कोई बहाना भी ... ज़रूरी था ;
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पता जबसे चला मुझको .. कि मंज़िल .. दूर है... मुझसे....
फ़ना होती सफ़र में .... लौट आना भी .... ज़रूरी था ;
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तबाही ये मचा देते ..... निकल के जो ... गिरे होते...
ये आंसू .. आंख के भीतर ... छुपाना भी .. ज़रूरी था ;
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तेरे अहसान पहले के ... अभी तक बोझ है .. मुझपर..
कहाँ तक मैं उठाती ये ..... चुकाना भी ... ज़रूरी था ;
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छुपा के आग मैं इतनी ... इसी दामन में ... बैठी थी...
मैं शायद खाक़ हो जाती ... बताना भी ... ज़रूरी था ;
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न इतनी त़ाब बाकी थी ... चुकाती कर्ज़ ... मैं सारे...
यही बेहतर लगा .. सर को झुकाना भी .. ज़रूरी था ;
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किसी को .. ज़िंदगी ने दी ... किसी को मौत ने .. दे दी...
सभी के वास्ते .... शोहरत कमाना भी ... ज़रूरी था ;
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सफ़र हो .. ख़त्म होने को .. मुनासिब तब .. यही तो है...
हुनर अपना ... किसी को तो .. सिखाना  भी ... ज़रूरी था....!!
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.................................................................................'तरुणा'...!!!
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Dar-o-deewar pe ... rogan karana bhi ... zaroori tha...
Purani wo sabhi yaadein  ... mitana bhi .. zaroori tha ;
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Main aakhir kab talak ... yun hi ... tumhara raasta takti...
Ki jeene ke liye .....  koi bahana bhi .... zaroori tha ;
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Pata jabse chala mujhko ... ki manzil door hai ... mujhse..
Fana hoti safar me  ....  laut aana bhi  ...  zaroori tha ;
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Tabaahi ye  macha dete  ......  nikal ke jo ...  gire hote....
Ye aansoo aankh ke bheetar  .. chhupana bhi  .. zaroori tha;
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Tere ehsaan pahle ke  .....  abhi tak bojh hain .. mujhpar...
Kahan tak main uthati ye ...  chukana bhi  ..  zaroori tha ;
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Chhupa ke aag main itni  ...  isee daaman me  ... baithi thi...
Main shayad khaaq ho jaati  ....  batana bhi  ... zaroori tha ;
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Na ithi taab baaki thi  ....  chukati karz  ...  main saare...
Yahi behtar laga  ... sar ko jhukana bhi  ....  zaroori tha ;
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Kisi ko ...  zindgi ne di ..... kisi ko maut ne ....  de di .....
Sabhi ke waaste ... shohrat kamana bhi  ... zaroori tha ;
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Safar ho khatm hone ko ... munasib tab ... yahi to hai...
Hunar apna .. kisi ko to ...  sikhaana bhi  .. zaroori tha ...!!
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..........................................................................................'Taruna'...!!!

Thursday, April 23, 2015

रात भर की शमा...!!!




















सांस लेने ... लगी हूँ...
आज जीने .. लगी हूँ ;
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जाम चाहत ... भरा अब..
रोज़ पीने .... लगी हूँ ;
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थी शमा ... रात भर की ..
सुबह बुझने... लगी हूँ ;
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आंसुओं को .. भुला कर..
ज़ख्म सीने ... लगी हूँ ;
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मत तलाशी.. मेरी लो..
राज़ रखने ... लगी हूँ ;
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नाम पर ..  प्यार के मैं..
ज़हर पीने .. लगी हूँ ;
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सहर में ... खिल उठी मैं...
रात ढलने... लगी हूँ ;
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चांद जबसे ... दिखा है ..
मैं चमकने .. लगी हूँ... !!
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........................................'तरुणा'...!!!
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Saans lene ... lagi hun ..
Aaj jeene ... lagi hun ;
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Jaam chahat ... bhara ab..
Roz peene .... lagi hun ;
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Thi shama ... raat bhar ki..
Subah bujhne ... lagi hun ;
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Aansuon ko .... bhula kar..
Zakhm seene ... lagi hun ;
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Mat talaashi ... meri lo..
Raaz rakhne ... lagi hun ;
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Naam pe ... pyaar ke main..
Zehar peene ... lagi hun ;
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Sahar me .. khil uthi main...
Raat dhalne ... lagi hun ;
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Chaand jabse ... dikha hai..
Main chamakne .. lagi hun ..!!
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...............................................'Taruna'....!!!

Saturday, April 18, 2015

नया रंग.... नई ग़ज़ल....!!!


ग़ज़ल वो नई.... गुनगुनाने लगा है...
उसे कौन फिर .. याद आने लगा है ;
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मुझे देख कर .. लड़खड़ाया.. ज़रा वो...
नया रोज़ इल्ज़ाम ... आने लगा है ;
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बड़ी भीड़ सी ..लग गई है .. वहां फिर...
कहानी नई क्या ... सुनाने लगा है ;
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वही मोहरे हैं ... वही हैं बिसाते...
नया रंग कैसे ... ज़माने लगा है ;
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अलग हो चुके जब... सभी रास्तें हैं ...
अचानक .. नज़र क्यूँ .. मिलाने लगा है ;
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वही बात उसकी  ... है अंदाज़ भी वो ...
वही राग फिर  ... दोहराने लगा है ;
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कभी ये .. कहा था.. न बदलूँगा .. अब मैं..
हुआ क्या .. निगाहें  .. चुराने लगा है ;
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है इंकार .. मुझको ... सियासत से तेरी...
तू ख़ुद को .. नज़र से ... गिराने लगा है..!!
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....................................................'तरुणा'...!!!
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Ghazal wo nayi  .. gungunaane laga hai...
Usey kaun phir .... yaad aane laga hai ;
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Mujhe dekh kar ... ladkhdaaya... zara wo...
Naya roz ilzaam .... aane laga hai ;
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Badi bheed si ... lag gayi hai .. wahan phir..
Kahani .. nayi kya .. sunaane laga hai ;
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Wahi mohrey hain... wahi hain bisaatey...
Naya rang ... kaise ... jamane laga hai ;
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Alag ho chuke jab ... sabhi raaste hain …
Achanak .. nazar kyun .. milaane laga hai ;
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Wahi baat uski ... hai andaaz bhi wo ...
Wahi raag phir ... dohraane laga hai ;
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Kabhi ye kaha tha ... na badlunga ab main...
Hua kya.. nigaahein ... churaane laga hai ;
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Hai inkaar  ... mujhko siyasat ... se teri...
Tu khud ko .. nazar se ... giraane laga hai ..!!
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......................................................................'Taruna'...!!!

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Wednesday, April 8, 2015

सच्चा पारखी...!!!




हादसों की भीड़ में .. मुश्किल हुआ है .. जानना...
कौन है इंसा यहाँ ... कैसे उसे  ... पहचानना ;
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दोस्ती की  ..  बाँह थामे .. घर हमारे .. आ गए...
हाथ में ख़ंजर .. छुपा है .. ये कठिन था .. मानना ;
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चाक को क्या .. दोष देना .. बन सकी मूरत .. न जब..
जान तो ले ... ये हुनर .. मिट्टी को .. कैसे सानना ;
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आज कुछ हो ... जान जाऊंगी... सभी को .. कल यहाँ ..
है मगर .. मुश्किल बहुत ... खुद को .. अभी पहचानना ;
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पारखी .. सच्चा मिले गर ...  हो परख भी .. जाएगी..
सीप में..  मोती लिए मैं ....  जान तो ले ... छानना ;
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दरबदर की ...  ठोकरें खानी पड़ेंगी ... जब तुम्हे...
याद आएगी हमारी …  तब हमें तुम ... मानना ;
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जो मरा पहले .. उसे क्यूँ .... मारना अब ... बख्श दे..
तीर-ए- अबरू .. को नही  उसकी.. तरफ तू .. तानना..!!
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................................................................................'तरुणा'...!!!
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Haadson ki bheed me ... mushqil hua hai ... jaan'na..
Kaun hai insaan yahan ..  kaise usey .. pehchaan'na ;
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Dosti ki .. baanh thame  ..  ghar hamare ... aa gaye ..
Haath me khanjar .. chhupa  hai.. ye  kathin tha .. maan'na ;
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Chaak ko kya ... dosh dena.. ban saki .. moorat na jab...
Jaan to le  .. ye  hunar ... mit'ti ko ... kaise saan'na ;
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Aaj kuchh ho .. jaan jaaungi  .... sabhi ko .. kal yahan...
Hai magar .. mushqil bahut  .. khud ko .. abhi pehchaan'na ;
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Paarkhi sachcha mile gar..  ho parakh ...bhi  jaayegi....
Seep me moti .. liye main ... jaan to le ...  chhaan'na ;
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Darbadar ki ... thokrein khaani padegi ... jab tumhe...
Yaad aayegi .. hamari .. tab hame tum ... maan'na ;
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Jo mara pahle ..  usey kyun .. maarna ab .. bakhsh de..
Teer-e-abru .. ko nahi uski ...  taraf tu ... taan'na ..!!
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.....................................................................................'Taruna'..!!!
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Tuesday, April 7, 2015

मेरा सपना...!!!


मन करता है  ... सपना देखूं...
उसमे तुमको .... अपना देखूं.....
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तुम आओ ... कुछ नग्में गूंजे..
अमराई में .... कोयल कूजे...
मिल जुल बैठें .. गप्पें मारें...
और परस्पर ... दिल को वारे...
आओ भी .. कुछ किस्से गढ़ लें..
थोड़ा झगड़ें ... थोड़ा लड़ लें..
तुम आओ ... तो मौसम बदले...
झूला झूलें ..  फिर कुछ मचले...
पुरवाई के झोंकों .. संग-संग .. वही प्यार का .. पलना. देखूं..!!
मन करता है .. सपना देखूं .. उसमे तुमको .. अपना देखूं...!!
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कितनी बातें ... जो कहनी थी....
कर लूं तुमसे.... जी भर-भर कर...
कल का कोई ... पता कहाँ है..?
शाम आज की .. जी लूं.. जी भर..
मोड़ न जाने... क्या दे जाए...?
रस्ता जी लें.. पल-छिन-छिन-पल..
क्या दुःख..क्या संताप.. धरो भी..
इनकी खैर-ख़बर .. लेंगे कल...
स्वर्णिम संध्या के ..झुरमुट में..इस सपने का.. फलना देखूं...!!
बांह पकड़ कर.. चलना देखूं... पगी प्रीत में ... जलना देखूं...!!
मन करता है .. सपना देखूं .. उसमे तुमको.. अपना देखूं...!!!
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..........................................................................................'तरुणा'....!!!

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Man karta hai..  sapna dekhun...
Usme tumko ... apna dekhun...
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Tum aao .. kuchh nagme goonje...
Amraayi me .... Koyal kooje...
Mil jul baithein.... gappe maare...
Aur paraspar ..... dil ko waare...
Aao bhi ... kuchh kisse gadh len..
Thoda jhagde ... thoda lad len...
Tum aao to ... mausam badle...
Jhoola jhoole...  phir kuchh  machle...
Purvaayi ke jhonko.. sang-sang ... wahi pyaar ka ..palna dekhun... !!
Man karta  hai ..  sapna dekhun .. Usme  tumko .... apna dekhun... !!
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Kitni baate ... jo kehni thi...
Kar lun tumse... jee bhar-bhar kar..
Kal ka koi pata ... kahan hain...?
Shaam aaj ki... jee lun jee bhar...
Mod na jaane ... kya de jaaye..?
Rasta jee le... pal- chhin... chhin-pal..
Kya dukh .. kya santaap .. dharo bhi..
Inki khair-khabar ... lenge kal...
Swarnim sandhya ke .. jhurmut .. is sapne ka .. falna dekhun..!!
Baanh pakad kar .. chalna dekhun.. Pagi preet me .. jalna dekhun..!!
Man karta hai....  sapna dekhun ... Usme tumko ... apna dekhun...!!!
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..................................................................................................'Taruna'...!!!









Friday, April 3, 2015

उदास चमन....!!!



लेकर करेंगे .. फूल क्या .. दामन-ए-तार तार में ..
होंगे लहू में .. तर सभी ... कांटे इसी गुल्ज़ार में ;
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गुमसुम हुई है .. हर कली .. सारा चमन ..उदास है..
तूने सितम ..  ये क्या किया.. आई हुई ...बहार में ;
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माथे लगाए खाक़ को ...  बैठी उसी की आस में...
मिट भी गई .. तो गम नहीं ..उसके ही इंतजार में ;
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वादा वफ़ा का .. आप भी.. कर लीजिये ..मुझसे सनम..
होगी गुज़र ये ..  उम्र भी .. अब तो इसी .. करार में ;
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तेरी निग़ाह-ए-लुत्फ़ ने ... मुझपे किया है .. वो असर..
रंगीन गुल सी  .. खिल गई  ..तेरे हसीं.. गुल्ज़ार में ;
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तूने चुरा .. मुझको लिया .. नज़रें मिला .. के इस तरह..
कुछ भी नहीं .. अब तो रहा .. मेरे भी .. इख्तियार में ;
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निकलो न मेरी .. खोज में .. मेरा पता .. कहीं नहीं..
मैं तो हुई हूँ .. गुम कभी .. उस इश्क़ के .. गुबार में ..!!
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...............................................................................'तरुणा'...!!!
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Lekar karenge .. phool kya ... daaman-e-taar taar me...
Honge lahu me .. tar sabhi … kaante isee gulzaar me ;
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Gumsum hui hai .. har kali... sara chaman.. udaas hai..
Tune sitam .. ye kya kiya... aayi hui ... bahaar me ;
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Maathe lagaye ... khaaq ko .. baithi usee ki ... aas me...
Mit bhi gayi ... to gam nahi....  uske hi intzaar me ;
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Wada wafa ka ... aap bhi.. kar leejiye .. mujhse sanam..
Hogi gujar ye ... umr bhi.. ab to isee .. qaraar me ;
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Teri nigaah-e- lutf ne... mujhpe kiya hai... wo asar..
Rangeen gul si ... khil gayi .. tere haseen.. gulzaar me ;
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Tune chura ... mujhko liya... nazarein mila .. ke is taraah..
Kuchh bhi nahi.. ab to raha ... mere bhi .. ikhtiyaar me ;
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Nikalo na meri .. khoj me  ….. mera pata .. kahin nahi…
Main to huyi hun ..gum kabhi.. us ishq ke .. gubaar me ..!!
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...........................................................................................'Taruna'...!!!