Monday, March 23, 2015

फैलता दामन... !!!



ख्वाहिशों का ... फैलता दामन गया...
चैन बिछड़ा है ... सुकूं का धन गया ;
.
लूट के लाए .. कभी जो ... दौलतें...
पा लिया उनको तो ... अपनापन गया ;
.
थीं जहाँ ख़ुशियाँ ... वफ़ाएं... दोस्ती..
बढ़ गया रुतबा .... वही आँगन गया ;
.
प्यार से भीगी रहीं ...  जो बारिशें...
चाहतें बिछड़ी ... कि वो सावन गया ;
.
जी-हुज़ूरी जो करी .... सब ख़ुश रहे ...
सच कहा .. दुश्मन ज़माना .. बन गया ;
.
जो...  खिलौने खेलते थे ...  कल यहाँ..
दौरे-तकनीकी में ..... वो बचपन गया ;
.
फेरो-दुनिया में पड़े .... हम भी .. बहुत ..
मिल गया जब प्यार .. 'तरु' का मन गया ..!!
.

...............................................................'तरुणा'...!!!
.

Khwaahishon ka ....... failta daaman gaya..
Chain bichhada hai .. sukoon ka dhan gaya;
.
Loot le laaye .. kabhi jo... daultein ...
Pa liya unko to .. apnapan gaya ;
.
Thin jahan khushiyaan .. wafayein.. dosti..
Badh gaya rutba .... vahi aangan gaya ;
.
Pyaar se bheegi rahi .... jo baarishein ...
Chaahatein guzari ... ki wo saawan gaya ;
.
Jee-huzoori jo kari ... sab khush rahe ...
Sach kaha .. dushman zamana .. ban gaya ;
.
Jo ... khilaune khelte the ... kal yahan ...
Daur-e-takneeki me .. wo bachpan gaya ;
.
Fer-o-duniya me pade ... ham bhi .. bahut..
Mil gaya jab pyaar ... 'Taru' ka man gaya ..!!
.

.....................................................................'Taruna'...!!!




No comments: