ख्वाहिशों
का ... फैलता दामन गया...
चैन
बिछड़ा है ... सुकूं का धन गया ;
.
लूट
के लाए .. कभी जो ... दौलतें...
पा
लिया उनको तो ... अपनापन गया ;
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थीं
जहाँ ख़ुशियाँ ... वफ़ाएं... दोस्ती..
बढ़
गया रुतबा .... वही आँगन गया ;
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प्यार
से भीगी रहीं ... जो बारिशें...
चाहतें
बिछड़ी ... कि वो सावन गया ;
.
जी-हुज़ूरी
जो करी .... सब ख़ुश रहे ...
सच
कहा .. दुश्मन ज़माना .. बन गया ;
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जो... खिलौने खेलते थे ... कल यहाँ..
दौरे-तकनीकी
में ..... वो बचपन गया ;
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फेरो-दुनिया
में पड़े .... हम भी .. बहुत ..
मिल
गया जब प्यार .. 'तरु' का मन गया ..!!
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...............................................................'तरुणा'...!!!
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Khwaahishon
ka ....... failta daaman gaya..
Chain
bichhada hai .. sukoon ka dhan gaya;
.
Loot le
laaye .. kabhi jo... daultein ...
Pa liya
unko to .. apnapan gaya ;
.
Thin
jahan khushiyaan .. wafayein.. dosti..
Badh gaya
rutba .... vahi aangan gaya ;
.
Pyaar se
bheegi rahi .... jo baarishein ...
Chaahatein
guzari ... ki wo saawan gaya ;
.
Jee-huzoori
jo kari ... sab khush rahe ...
Sach kaha
.. dushman zamana .. ban gaya ;
.
Jo ...
khilaune khelte the ... kal yahan ...
Daur-e-takneeki
me .. wo bachpan gaya ;
.
Fer-o-duniya
me pade ... ham bhi .. bahut..
Mil gaya
jab pyaar ... 'Taru' ka man gaya ..!!
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.....................................................................'Taruna'...!!!
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