किस कशमकश में घूमती ..
ये ज़िन्दगी रही...
ढेरों उजाले थे .. मगर ... कुछ तीरगी रही ;
(तीरगी--अंधेरा)
.
सोते हुए भी जागती ....
अक्सर रही हूँ मैं..
कैसी अज़ब सी .. ख्व़ाब
में ..ये तिश्नगी रही ;
(तिश्नगी--प्यास)
.
बिछड़े हुए उसको ज़माना ..
हो गया मगर...
मेरे जहाँ में उसकी ही
.... मौज़ूदगी रही ;
.
पहचानने में भूल ... करतें है सभी यहाँ..
जिनके लिबासों में ज़रा ...
भी सादगी रही ;
.
गाहे-बगाहे हाले-दिल ... दुनिया से कह दिया...
मेरी ग़ज़ल में बस यही ..
इक बानगी रही .. !!
(गाहे-बगाहे---कभी कभी
... बानगी—नमूना )
.
................................................................'तरुणा'...!!!
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Kis kashmkash me ghumti
... ye zindgi rahi ...
Dheron ujaale the magar
.. kuchh teergi rahi ;
(teergi—darkness)
.
Sote huye bhi jaagti ...
aksar rahi hun main..
Kaisi azab si .. khwaab
me .. ye tishnagi rahi ;
(tishnagi—thirst)
.
Bichhade huye usko ..
zamana hoo gaya magar..
Mere jahan me .. uski hi
.... maujoodgi rahi ;
.
Pehchaan'ne me bhool
.. karte
hain sabhi yahan..
Jinke libaason me zara
..... bhi saadgi rahi ;
.
Gaahe-bgaahe haale-dil
... duniya se kah diya ..
Meri ghazal me bas yahi .... ik
baangi rahi …...!!
(gaahe-bagaahe—sometimes…
baangi—sample)
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........................................................................'Taruna'...!!!
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