Wednesday, December 10, 2014

मुमकिन ही नहीं...!!!



मैं तुझे दिल से भुला दूं .... क्या ये मुमकिन होगा ..
ख़ुद गले मौत लगा लूं  ... क्या ये मुमकिन होगा ;
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तूने तो रुसवा किया है ...  मुझे कितनी ही दफ़ा...
आँख से मैं भी गिरा दूं .... क्या ये मुमकिन होगा ;
 .
बिजलियाँ कितनी गिराता है ... ये बादल मुझपे...
अबके इसको ही जला दूं .. क्या ये मुमकिन होगा ;
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ये सफ़र बाक़ी है .... पर रात तो घिर आई है ..
आज तो ख़ुद को सुला दूं ... क्या ये मुमकिन होगा ;
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सोचती हूँ के मुकर्रर करूं .... अब तेरी सज़ा....
तेरी याद़ों को मिटा दूं ... क्या ये मुमकिन होगा ;
 .
कोई अब नींव नहीं ... रंग है.. रोगन है बचा...
इनमे ही ख़ुद को मिला लूं .. क्या ये मुमकिन होगा ;
 .
आज तो दर्द का सैलाब  .... उमड़ आया है...... 
चल 'तरु'  तुझको बहा दूं ... क्या ये मुमकिन होगा ..!!

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...........................................................................'तरुणा'...!!!

 .
Main tujhe dil se bhula dun... kya ye mumkin hoga ..
Khud gale maut laga lun ... kya ye mumkin hoga ;
 .
Tune to ruswa kiya hai mujhe .... kitni hi dafa ...
Aankh se main bhi gira dun .. kya ye mumkin hoga ;
 .
Bijliyaan kitni girata hai ... ye baadal mujhpe...
Abke isko hi jala dun ... kya ye mumkin hoga ;
 .
Ye safar baaki hai ... par raat to ghir aayi hai..
Aaj to khud ko sula dun ... kya ye mumkin hoga ;
 .
Sochti hun ke mukrrar karun ... ab teri saza ..
Teri yaadon ko mita dun ... kya ye mumkin hoga ;
 .
Koi ab neenv nahin ... rang hai ..rogan hai bacha ..
Inme hi khud ko mila lun .. kyayemumkin hoga ;
 .
Aaj to dard ka sailaab ... umad aaya hai ...
Chal 'Taru' tujhko  baha dun ... kya ye mumkin hoga ..!!

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.......................................................................................'Taruna'...!!!



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