मैं तुझे दिल से भुला दूं
.... क्या ये मुमकिन होगा ..
ख़ुद गले
मौत लगा लूं ... क्या ये मुमकिन होगा ;
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तूने तो
रुसवा किया है ... मुझे कितनी ही दफ़ा...
आँख से
मैं भी गिरा दूं .... क्या ये मुमकिन होगा ;
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बिजलियाँ
कितनी गिराता है ... ये बादल मुझपे...
अबके
इसको ही जला दूं .. क्या ये मुमकिन होगा ;
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ये सफ़र
बाक़ी है .... पर रात तो घिर आई है ..
आज तो
ख़ुद को सुला दूं ... क्या ये मुमकिन होगा ;
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सोचती
हूँ के मुकर्रर करूं .... अब तेरी सज़ा....
तेरी
याद़ों को मिटा दूं ... क्या ये मुमकिन होगा ;
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कोई अब
नींव नहीं ... रंग है.. रोगन है बचा...
इनमे ही
ख़ुद को मिला लूं .. क्या ये मुमकिन होगा ;
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आज तो
दर्द का सैलाब .... उमड़ आया है......
चल 'तरु' तुझको
बहा दूं ... क्या ये मुमकिन होगा ..!!
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...........................................................................'तरुणा'...!!!
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Main tujhe dil se bhula dun... kya ye mumkin hoga ..
Khud gale maut laga lun ... kya ye mumkin hoga ;
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Tune to ruswa kiya hai mujhe .... kitni hi dafa ...
Aankh se main bhi gira dun .. kya ye mumkin hoga ;
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Bijliyaan kitni girata hai ... ye baadal mujhpe...
Abke isko hi jala dun ... kya ye mumkin hoga ;
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Ye safar baaki hai ... par raat to ghir aayi hai..
Aaj to khud ko sula dun ... kya ye mumkin hoga ;
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Sochti hun ke mukrrar karun ... ab teri saza ..
Teri yaadon ko mita dun ... kya ye mumkin hoga ;
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Koi ab neenv nahin ... rang hai ..rogan hai bacha ..
Inme hi khud ko mila lun .. kyayemumkin hoga ;
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Aaj to dard ka sailaab ... umad aaya hai ...
Chal 'Taru' tujhko baha dun ... kya ye mumkin hoga
..!!
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.......................................................................................'Taruna'...!!!
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