Friday, January 31, 2014

कहीं देखा क्या... !!!




सलवटें न हो जिसमे .. ऐसा बिस्तर नहीं देखा...
कड़वी जुबां से बढ़ के .. कोई नश्तर नहीं देखा ;

महफूज़ बहुत है मेरे ... तहखाने-दिल में वो...
बरसों हुए ख़ुद दिल में.. उतर कर नहीं देखा ;

दामन की अब मत पूछिए ... वो चाक हो गया..
ढके जो अस्मत ग़रीब की .. वो चादर नहीं देखा ;

रहते रहे वो मेरे साथ... इक अजनबी से रोज़..
मुहब्बत हो न खलूस ... ऐसा घर नहीं देखा ;

तलवार..तीर..बरछी..भालों..गोली से भी न हो...
कलम से होता है जो ..कहीं असर नहीं देखा..!!

......................................................'तरुणा'...!!!



Salvaten na ho jisme ......  aisa bistar nahi dekha...
Kadvi zubaan se badh ke... koi nashtar nahi dekha ;

Mehfooz bahut hai mere ... tehkhaane-e-dil me vo...
Barso huye khud dil me .... utar kar nahi dekha ;

Daaman ki ab mat poochhiye .. vo chaaq ho gaya...
Dhake  jo asmat gareeb ki .... vo chaadar nahi dekha ;

Rahte rahe vo mere saath ... ik aznabee se roz ...
Muhabbat ho na khuloos ... aisa ghar nahi dekha ;

Talwaar..teer...barchhi... bhalo..goli se bhi na ho...
Kalam se hota hai jo .... kahin asar nahi dekha ... !!


.................................................................................'Taruna'...!!!






Tuesday, January 21, 2014

वो अनोखा नगीना...!!!



कोहेनूर सा दमकता है .. वो सारे नगीने में...
खुद्दारी का इत्र महके है .. उसके पसीने में....

कुछ तो कहेगा वो भी .. क्या चुप रहेगा यूँ ही....
क्या बारिश भी न होगी... सावन के महीने में ...

वो ढूंढता है मुझको ...... गलियों-औ-चौबारों में..
इक बार तो झांक लेता ..जरा अपने ही सीने में ..

यूँ अलग-थलग से हम-तुम..इक राह में चलते हैं..
न लुत्फ़ कोई तुझको .. न मज़ा मुझे जीने में...

ये इश्क़ के मरहलें हैं .. क़दम क्यूँ थक चले हैं...
गर बंदगी है सच्ची ...तो ख़ुदा मिलेगा मदीने में ...

....................................................................'तरुणा'.... !!!


Kohenoor sa damakta hai .. vo saare nageene me ...
Khuddari ka itr mehke hai ... uske paseene me ...

Kuchh to kahega vo bhi .. kya chup rahega yun hi ...
Kya baarish bhi na hogi ... saawan ke maheene  me ...

Vo dhoondhta hai mujhko... galiyon-au-chaubaaron me ..
Ik baar to jhaank leta ..... jara apne hi seene me ....

Yun alag-thalag se ham-tum.. ik raah me chalte hain ..
Na lutf koi tujhko  .... na maza mujhe jeene me ....

Ye ishq ke marhale hain ... kadam kyun thak chale hain..
Gar bandgi hai sachhi ... to Khuda milega Madeene me ...

......................................................................................'Taruna'...!!!

Sunday, January 19, 2014

जान-पहचान.... !!!



आहट आने लगी है ... तेरे आने की...
फूलों में शर्त लगी है.. जैसे मुस्कुराने की ...

तेरी खुश्बू से महकने लगी है.. अब वादियां....
तेरे इंतज़ार में .. इन रास्तों में गुज़ारी हैं कई सदियां...

फ़रिश्ते भी छुप-छुप के ... तुझे देखतें हैं...
गुज़र जाता है जहां से .. वो ज़मीं चूमते हैं...

हर क़दम पे सज़दे करते हैं.. चांद और सितारे ..
तेरी राहों पे बिछने को तरसते है .. सारे नज़ारे....

मैं ख़ुशनसीब हूँ कि ... मुझे जानता है तू....
मेरे दिल की धडकनों को ... पहचानता है तू...

..............................................................'तरुणा'...!!!


Aahat aane lagi hai .. tere aane ki ...
Phoolon me shart lagi hai .. jaise muskuraane ki ..

Teri khushboo se mehakne lagi hai ... ab vaadiyaan ...
Tere intzaar me .. in raaston me guzaari hain kai sadiyaan ...

Farishte bhi chhup-chhup ke .... tujhe dekhte hain...
Guzar jaata hai jahan se ... vo zameen choomtey hain ...

Har kadam pe sajde karte hain ... chaand aur sitaare ...
Teri raahon pe bichhne ko taraste hain ... Saare nazaare ...

Main khushnaseeb hoon ki .. mujhe jaanta hai tu ...
Mere dil ki dhadkano ko ... pehchaanta hai tu...

..........................................................................'Taruna'... !!!



Sunday, January 12, 2014

मेरी कहानियां.... !!!


कहानियाँ तो कितनी ही ... साथ मेरे चल रही हैं....!
कोई सच में खिल रही हैं.. कोई झूठ में जल रही है..!!

कही कितनी ही बातें उससे... आँखों से रोज़ हमने...
समझा नहीं क्यूँ दिल में ... मोहब्बत मचल रही है ;

सियासत.. नफ़रत.. झूठ.. मक्कारियों में रंग कर..
ये दुनिया जाने किस नए ... सांचे में ढल रही है ;

दिल में जो बस रहा है ........ उससे लड़ें तो कैसे...
कभी दम निकल रहा है... कभी आह निकल रही है ;

क़दम से क़दम मिला के... 'तरु' साथ तो चलती थी...
ऐ ज़िंदगी ! क्यूँ अचानक ....तू चाल बदल रही है...!!


.............................................................'तरुणा'....!!!


Kahaniyan to kitni hi ......  saath mere chal rahi hai...!
Koi sach me khil rahi hai ... koi jhooth me jal rahi hai...!!

Kahi kitni hi baate us'sey .... aankho se roz hamne...
Samjha nahi kyu dil me ...mohabbat machal rahi hai ;

Siyasat.. nafrat ..jhooth... makkaariyon me rang kar..
Ye duniya jaane ki naye ... saanche me dhal rahi hai ;

Dil me jo bas raha hai ... us'sey lade to kaise....
Kabhi dam nikal raha hai .... kabhi aah nikal rahi hai ;

Qadam se qadam mila ke ... 'Taru' saath to chalti thi...
Aiy zindgi !..  kyu achanak ...tu chaal badal rahi hai... !!


...............................................................................'Taruna'...!!!





Thursday, January 9, 2014

तेरी कहानी.... !!!







तस्वीर कोई भी हो...तेरे अक्स मे ढल ही जाती हैं...!
सुखन किसी का हो... तेरी कहानी हो ही जाती हैं...!!
(सुखन-काव्य) 

शहर में कितने रास्ते... कितनी गलियाँ हैं..मगर...
चलूँ मैं किसी पर भी....तेरे दर पर खुल ही जाती है ;

देखती हूँ जब तुमको...सिमट जाती हूँ मैं खुद में ...
तोड़ के खोल को मेरे... लहर बहा ले ही जाती हैं ;

चाहती हूँ मैं..न चाहूँ कभी ...उसको इतनी शिद्दत से...
ख्वाबों के शबिस्ताँ में.. उसकी यादें चली ही आती हैं ;
(शबिस्ताँ-शयनगार)

बंद करके दर-ओ-दीवार घर के ... मैं बैठी हूँ कब से...
क्या करूँ मज़बूर हूँ ..'तरु' की .. तामीर गिर ही जाती हैं.. !!


..........................................................................'तरुणा'.....!!!


Tasveer koi bhi ho ... tere aks me dhal hi jaati hai...!
Sukhan kisi ka bhi ho... teri kahani ho hi jaati hai...!!
(Sukhan-Poetry)

Shehar me kitne raaste ... kitni galiyaan hain ..magar..
Chalun main kisi par bhi... tere dar pe khul hi jaati hai ;

Dekhti hoon jab tumko .. simat jati hun main khud me ..
Tod ke khol ko mere.... lahar baha le hi jaati hai. ;

Chaahti hun main ..na chaahun kabhi .. usko itni shiddat se...
Khwaabon ke shabistaan me... uski yaade chali hi aati hai ;
(Shabistan-Badroom)

Band karke dar-o-deewaar ghar ke.. main baithi hun kab se...
Kya karun mazboor hun .... 'Taru' ki taameer gir hi jaati hai..!!


..........................................................................................'Taruna'.....!!!


Tuesday, January 7, 2014

तेरी कशिश... !!!

















तेरी चाहतों से रोशन है .... मेरे वजूद का जहां ..! 
तुझे ढूंढूं ख़ुद में तो .. झिलमिलाती है कहकशां..!!

दमकने लगी हूँ मैं .... तेरे प्यार के एहसासों में ...
गुदगुदाती है बातें तेरी .. हर आती-जाती साँसों में ;

आई है रुत मुहब्बत की .. या मेरे ख्यालों का है कारवां...
नज़रें मेरी नहीं हटती तुमसे ... पर ख़ामोश है ये जुबां ;

मन करता है चुपके से .. हाल-ए-दिल तुमको सुनाऊं...
है कशिश कितनी तुझमे ... कभी तुझको भी बताऊँ ;

ओढ़ी है जो मुस्कराहट तूने ..  है उसमे बड़ा नूर...
बात जो है तुझमे वो ... किसी में नहीं हुज़ूर...!!


.....................................................'तरुणा'...... !!!


Teri chaahton se roshan hai ... Mere vajood ka jahan ..!
Tujhe dhundhoon khud me to.. Jhilmilati hai kahkashaan ...!!

Damakne lagi hoon main .. Tere pyaar ke ehsaaso mein...
Gudgudati hai baate teri ... Har aati-jaati saanso mein ;

Aayi hai rut muhabbat ki ... Ya mere khyaalo ka hai kaarwaan...
Nazrein mere nahi hat'ti tumse .... Par khamosh hai ye zubaan ;

Man karta hai chupke se .... Haal-e-dil tumko sunaun...
Hai kashish kitni tujhme ... Kabhi tujhko bhi bataun ;

Odhi hai jo muskuraahat tune ... Hai usme bada noor...
Baat jo hai tujhme vo ... Kisi me nahin  huzoor ...!!

........................................................................'Taruna'..... !!!






Sunday, January 5, 2014

मौसीकी ज़िंदगी की..... !!!!


















इक अज़ब सी मौसीकी.... मेरी ज़िंदगी में तारी रही...
हर ज़र्रे में गीत ढूंढने की...  मेरी आदत जारी रही....

वो हवा की सांय-सांय हो.... याके बारिश की रिमझिम...
बिज़ली के कड़कने में भी ... वही कारगुज़ारी रही... 

बरतन की खड़क के साथ गाना...के सुनना चांदनी की सदा...
तान सुनाने की हर इक शय की ... अपनी ही बारी रही....

वो शमा का पिघलना हो के.. छलकना आंसूओं का हो...
दिल के धड़कने में सब की ... ही रायशुमारी रही....

गुंजन भवरों की हो .. या झरनों की हो थिरकन...
ज़ेहन-ओ-ज़िगर पे मेरे .... हर वक़्त इक खुमारी रही...

बसते हैं कितने ही नग्में... 'तरु' की हर नफ़स में....
इनके दम से मुश्किलात... ज़िंदगी की हारी रही...
(नफ़स-सांस)

....................................................................'तरुणा'... !!!!


Ik azab si mausiki ....... meri zindgi me taari rahi....
Har zarre me geet dhundhne ki.... meri aadat jaari rahi..

Vo hawa ki saany-saany ho... yake baarish ki rimjhim...
Bijali ke kadakne me bhi ... vahi kaarguzaari rahi...

Bartan ki khadak ke saath gana.... ke sun'na chaandni ki sada..
Taan sunane ki har ik shay ki ... apni hi baari rahi...

Vo shama ka pighalna ho ke ... chhalakna aansuno ka ho..
Dil ke dhadakne me sab ki ... hi rayshumaari rahi...

Gunjan bhawron ki ho... ya jharno ki ho thirkan.... 
Zehan-o-jigar pe mere ... har waqt ik khumaari rahi..

Baste hain kitne hi nagme .. 'Taru' ki har nafas me ...
Inke dam se mushqilaat ... zindgi ki haari rahi.....
(nafas-breadth)

....................................................................... 'Taruna'... !!!