Friday, October 18, 2013

पूरे चाँद की रात... !!!



चाँद पूरा है .... आज की रात......
साथ चांदनी की .. पुरनूर कहानियाँ...
इससे जुदा है .. मेरा वज़ूद..
जुड़ी है मेरी .. हर रुस्वाइयां...
हर जर्रा है ... रोशन..
बजती है हर ओर .. शहनाइयां...
फूलों.. पेड़ों.. गुंचों में..
बिखरी है .. प्यार की निशानियाँ....
कहीं वस्ल की ... बातें है...
तो कहीं लिपटी है .. तन्हाइयां..
चांदनी .. सिमटी है घाटियों में..
तो कहीं छाई है .... वीरानियाँ.....
छेड़ता...हैं चाँद...चांदनी साथ मिलके...
क्यूँ ये हवा..भी करे है... गुस्ताखियाँ...
याके .. मेरे ख्वाबगाह में.....
उतरी है .. रंगीन परछाइयां...
फ़िज़ाओं में रौनक़ है ... चाँद की..
चांदनी में हमारी ...  चाहत की गहराइयां...

...............................................................'तरुणा'...!!!

Chaand poora hai .... aaj ki raat...
Saath chaandni ki .. purnoor khahaniyaan...
Issey juda hai .. mera vajood ...
Judi hai meri ... har rusvaiynaan...
Har jarra hai ... roshan....
Bajti hai har aur ... shehnaaiyaan...
Phoolo .. pedon... gunchon me....
Bikhari hai ... pyaar ki kahaniyaan...
Kahin vasl ki .. baatey hain...
To kahin lipati hai ... tanhaaiyaan.....
Chaandni ... simati hai ghaatiyon me....
To kahin chhayi hain ... veeraniyaan ....
Chhedta hai Chaand...chaandni saath mike..
Kyun ye..hava bhi karey hai ...Gustaakhiyaan..
Yake ... mere khwaabgaah me ...
Utari hai ... rangeen parchaaiyaan ...
Fizaaon me raunaq hai ... chaand ki..
Chaandni me hamari .. Chaahat ki gehraaiyaan ..

..........................................................................'Taruna'.... !!!



Thursday, October 17, 2013

एहसास..... !!!




ख़्वाबों का शहर.. सजा सजा सा है..
फ़िर क्यूँ ये दिल.. बुझा बुझा सा है...

चाँद तन्हा है... चांदनी भी तन्हा....
जाने क्यूँ उठता...धुआँ धुआँ सा है...

बस्तियाँ बसाई थी.... ख़्वाबों की...
अब वो नगर भी...जला जला सा है....

उम्र लग जाती है...घर बसाने में...
फ़िर ये क्या.....घुटा घुटा सा है...

'तरु' जीना हो तो.. खुल के जी ले...
तेरा एहसास क्यूँ.. दबा दबा सा है...

....................................'तरुणा'...!!!

Khwaabon ka shehar...saja saja sa hai...
Phir kyun ye dil... bujha bujha sa hai....

Chand tanha hai... chandni bhi tanha....
Jaane kyun uthta...dhuaan dhuaan sa hai..

Bastiyaan basaayi thi....khwaabon ki....
Ab vo nagar bhi ....jala jala sa hai.....

Umr lag jaati hai...ghar basaane me....
Phir ye kya..... ghuta ghuta sa hai....

'Taru' jeena ho to... khul ke jee le....
Tera ehsaas kyun...daba daba sa hai...

.........................................................'Taruna'....!!!

एक मासूम गुनाह.... !!!




बरबाद कर दूं मैं आज ख़ुद को... इक बार तो ये गुनाह कर लूं....
पलट के देखे अगर तू मुझको .... ये ज़िंदगी भी तबाह कर लूं...

मुस्कुरा के देखती हूँ मैं तो...नेमतों को ज़िंदगी की रोज़ अब.....
चाहती हूँ अब खारों-गुलों से ....मैं एक जैसा निबाह कर लूं....

कभी तो आओ बेपर्दा होकर... बस इक शब भर के लिए तुम भी..
सारे सबाबों को छोड़ कर मैं ... मासूम सा इक गुनाह कर लूं....

तेरी नज़र की हदें ग़ज़ब हैं ... कि मांगती हैं पनाह बिज़ली...
झुके जो मुझपे कभी ये नज़रें ... मैं अपनी दुनिया तबाह कर लूं...

छोड़ो तमाशा बहुत हुआ अब.... गिरा दो परदे भी आज सारे....
मिटाना चाहूँ मैं ज़िंदगी को ... नक़ाब पलट मैं तबाह कर लूं...

...............................................................................'तरुणा'...!!!


Barbaad kar dun main aaj khud ko..Ik baar to ye gunaah kar lun...
Palat ke dekhe agar tu mujhko .. Ye zindgi bhi tabaah kar lun...

Muskura ke dekhti hun main to... Nematon ko zindgi ki roz ab...
Chaahti hun ab khaaron-gulon se... main ek jaisa nibaas kar lun...

Kabhi to aao beparda hokar ..... bas ik shab bhar ke liye tum bhi...
Saare Sabaabon ko chhod kar main.. Masoom sa ik gunaah kar lun..

Teri nazar ki haden ghazab hain .. Ki maangti hai panaah bizali....
Jhuke jo mujhpe kabhi ye nazarey.. Main apni duniya tabaah kar lun..

Chhodo tamasha bahut hua ab ... Gira do parde bhi aaj saare...
Mitana chaahun main zindgi ko..Naqaab palat main tabaah kar lun..

...................................................................'Taruna'... !!!

Saturday, October 12, 2013

मुझे अच्छा लगता है.... !!!



प्यार के एहसास से.. रुबरु हूँ मैं...
कच्ची उम्र का.... तकाज़ा तो नहीं...
न ही परिपक्वता का ... है कोई सवाल...
सिफ़ारिश आँखों की ... गुज़ारिश धडकनों की..
तेरे प्यार में तड़पना मुझे ... अच्छा लगता है... !!

तू मेरी क़िस्मत में है .. .कि नहीं...
नहीं मालूम मुझको ... जानना भी नहीं ...
ख़ुदा से मांगना तुझको पर ... अच्छा लगता है...
कोई हक़ है तुझपे मेरा ... याके नहीं....
मगर .. तेरी परवाह करना .. अच्छा लगता है..... !!

रिश्ता है हमारा ... एहसासों से भरा गहरे....
इस दुनिया की ... रस्मों और बातों से परे....
कभी साथ मेरे ... तू होगा .. या नहीं...
बस ये ख्व़ाब देखना हर पल ... अच्छा लगता है... !!

कुछ बात तो है तुझमे ... कुछ अदा है अनोखी...
तेरी याद़ों के जुगनू में जीना ... अच्छा लगता है....
बहलाया बहुत इस दिल को ... समझाया भी है कितना..
मानता नहीं ... ये फ़िर भी ... नादान बहुत है ये...
इसे तेरे लिए धड़कना  ... अच्छा लगता है....... !!

........................................................................'तरुणा'.... !!!

Pyaar ke ehsaas se .. Rubaru hoon main...
Kachchi umr ka ... Takajaa to nahi....
Na hi paripakvta ka .. hai koi sawaal....
Sifaarish aankon ki ... Guzarish dhadkanon ki....
Tere pyaar me tadapna mujhe ... Achcha lagta hai... !!

Too meri qismat me hai .. ki nahi....
Nahi maaloom mujhko .... jaan'na bhi nahi....
Khuda se maangna tujhko par... Achcha lagta hai....
Koi haq hai tujhpe mera .... yake nahi....
Magar .. teri parvaah karna ... Achcha lagta hai... !!

Rishta hai hamara ... ehsaason se bhara gehre...
Iss duniya ki ... rasmo  aur baaton se pare ....
Kabhi saath mere ...too hoga .. ya nahi...
Bas ye khwaab dekhna har pal.... Achcha lagta hai... !!

Kuchh baat to hai tujhme ... kuchh ada hai anokhi....
Teri yaadon ke jugnu me jeena .. Achcha lagta hai....
Bahlaya bahut is dil ko... samjhaya bhi hai kitna....
Maanta nahi  ... ye phir bhi ... naadaan bahut hai ye....
Isey tere liye dhadkna ..... Achcha lagta hai ...... !!

.............................................................................'Taruna'... !!!




Wednesday, October 9, 2013

बंजारा मन.... !!!



आज फ़िर ... मन मेरा ...
बंजारा होना... चाहता है..
तुझे लेके... अपने साथ....
दूर कही... खोना चाहता है..

सहरा की... तपन भी अब...
नहीं देती है... जलन कोई...
रेत के बिछौने पे.... ये दिल..
साथ तेरे... लुढ़कना चाहता है...

धूप की तेज़ी में भी.... अब...
गुमां होता है... ठंडक का...
किरणों की... बारिश में ये..
ज़िस्म ख़ुद को...भिगोना चाहता है..

दबे हुए सारे.... एहसास मेरे....
सिर उठाने.... लगे हैं अब...
मेरे अंतर का ... कमल फ़िर से..
मुस्कुरा के.. खिलना चाहता है...

..............................................'तरुणा'..... !!!

Aaj phir ... man mera...
Banjaara hona... chaahta hai..
Tujhe leke..... apne saarh..
Door kahi... khona chaahta hai...

Sahra ki...... tapan bhi...
Nahi deti ab... jalan koi...
Ret ke bichhaune pe... ye dil..
Saath tere....ludhakna chaahta hai...

Dhooo ki teji me bhi... ab..
Gunmaan hota hai... thandak ka..
Kirano ki ... baarish me ye...
Zism khud ko... bhigona chaahta hai..

Dabe huye saare... ehsaas mere.....
Sir uthane .... lage hai ab...
Mere antar ka...kamal phir se..
Muskura ke ..khilna chaahta hai...


....................................................'Taruna'... !!!