आज वादियों में
बिछी है...शतरंज की बिसात .....
खेल रहें हैं...
हम और तुम...
और...
फूल...पौधे..हवा...बादल...चाँद...सितारें....
बन गए हैं....
दर्शक....
ग़ज़ल....
नग्में...शेर....रुबाइयां...कविता....गीत ...संगीत...
बिखरी हैं....
मोहरों की तरह...
कभी तुम जीते बाज़ी
... तो कभी मैं....
कितना वक़्त...
गया गुज़र...
न तुझे पता...न
मुझे ख़बर...
ओह... !! ... ये
क्या हुआ... अचानक ....
जीतते जीतते ....
हम दोनों ही हारने लगे ...
तुम मुझसे ....
मैं तुमसे ...
मैंने गवां दिया
ख़ुद को...
तुमने सौंप
दिया...स्वयं को मुझको....
हार गए दोनों
ही... फ़िर भी हैं ख़ुश....
जीत गई है... आज
इक बार और....
मुहब्बत .... हम
दोनों से......
...........................................................'तरुणा'..... !!!
Aaj vaadiyon me bichhi hai ... Shatraj ki bisaat ...
Khel rahen hain ... ham aur tum...
Aur ... phool .. paudhe .. hava .. baadal .. chaand ..
sitaare ..
Ban gaye hain ... darshak ..
Ghazal ... nagme .. sher .. rubaaiyaan .. kavita .. geet ..
sangeet ..
Bikhrin hain ... mohron ki tarah ...
Kabhi tum jeete baazi .. to kabhi main...
Kitna waqt ... gaya guzar ..
Na tujhe pata ... na mujhe khabar ....
Ohhh ... !! Ye kya
hua ... achanak...
Jeet'te jeet'te ... ham dono hi haarne lage ...
Tum mujhse ... Main tumse ...
Maine ganwa diya... khud ko...
Tumne sanup diya.... swayam ko mujhko...
Haar gaye dono hi ... phir bhi hain kitne khush ...
Jeet gayi hai .. aaj ik baar aur ....
Muhabbat ..... ham dono se ...
.........................................................................'Taruna'....
!!!
4 comments:
जीत ही लेंगे बाजी हम ये,
यह खेल अधूरा ना छूटेगा.......!!
स्नेहिल बंधनों में बंधे हम,
प्यार का बंधन ना टूटेगा........!!
Waaaaahhh .... Ashok ji... Bahut Shukriya... :)))
वाह बहुत खूब :)
वाह वाह, क्या कहूं, बहुत बहुत ही उम्दा
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