ज़िंदगी के दोराहे
पर खड़ी हूँ मैं...फ़िर...
एक रास्ता जाता
है....दुनिया की तरफ़....
दूसरा....तेरी
ओर.......
किसे
चुनू.....किसे छोडूं....
ज़ेहन कहता
है....बढ़ चल दुनिया की ओर ही....
तेरा कोई और
हैं...न ठौर भी.......
दिल पुकार-पुकार
के गवाही तेरी देता है....
मुझको तेरी और ही
लिए चलता है....
और मेरे दिल
के...तराज़ू का पलड़ा.....
एक ब़ार फ़िर तेरी
ओर ही...झुक जाता है....
फ़िर से....हर
ब़ार की तरह...तेरी ओर....
तेरे प्यार का वो
....इक एहसास.....
सारी दुनिया के
वज़न को....हरा देता है...
फ़िर एक बार.....
.......................................'तरुणा'....!!!
4 comments:
Bahut badhiya taruna ji
Bahut bahut Shukriya ... Jhujhaar Rahi ji ... :)))
best line taruna ji............u r geat poet...........
Abhishek Jii .... Jee aapki bahut aabhaari hoon ... :)))
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