किसे चाहती हो
ज्यादा.....
ख़ुद को....या मुझ
को....
मैं क्या
कहती...क्या उत्तर देती...???
कैसे बतलाती ये
राज़...उनको...
कि मैं तो मर
चुकी हूँ...कबकी...
बस तेरे प्यार को
ही जीती हूँ...अब...
कि मैं खो चुकी
हूँ...खुद को....
सारे चिन्ह और
ख़ूबियाँ मेरी...
कब और कहाँ खो
गई...नहीं जानती मैं...
अब मैं
हूँ....क्यूँकि तुम हो...
जो सीखा अब
तक...भूल गई हूँ...
जानते हैं सब
मुझे..कि जानती हूँ तुमको मैं...
तुम्हारे होने
से...मैं हूँ...
लोग लेते
हैं...नाम मेरा....
क्यूँकि तुम्हें
जानती हूँ...मैं...
अपनी सारी
ताक़त..गवा चुकी हूँ...मैं...
पर हूँ
मज़बूत...तुम्हारे बल से...मैं..
अब...मैं स्वयं
को चाहती हूँ...
बहुत
ज्यादा...तुम से भी ज्यादा...
क्यूँकि...मैं 'मैं' नहीं हूँ...'तुम' हो....
और मैं प्यार
करती हूँ 'मैं' से....
क्यूँकि.....'मैं' बन चुकी हूँ 'तुम'....
बस 'तुम'....सिर्फ 'तुम'....
..................................................'तरुणा'....!!!
2 comments:
Bahut Sundar.
Jazbaat Jazbaat Jazbaat
Lazawaab
Bahut Bahut Shukriya ....अभिषेक कुमार झा अभी जी....मेरे जज्बातों को समझने के लिए....:)))
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