जब तुम हो बहुत
दूर.....
या बात करूँ...उन
घड़ियों की.....
जब हर पल साथ
थे...तुम मेरे...
याद करती
हूँ...तो मिल जाती हैं....
मेरे तपते तन
को....जैसे छाया घनी.....
मेरे बरसों
से...ज़ख्मी मन को...जैसे..
मिल गया हो
मरहम..अचानक...
किन पलों को जिऊँ
मैं...बताओ मुझको...
खुशियों से भर
लूँ....जीवन को....
या मर जाऊँ...उन
लम्हों में...खुशी से....
तुम ही तो
हो....मेरे हर लम्हों में...
मेरे जीवन
में...हर पल साथ...
किसी को दिखतें
नहीं हो भले...तुम...
पर साथ तो न
छोड़ा हैं...तुमने....
अब भी हर पल...साथ
चलते हो....
कोई भी
रास्ता...मंज़िल...या हो रहगुज़र.....
तुम हो हर
पल.....यहीं...
मेरे
हर....लम्हों में....
चाहे हो जुदाई के
ये पल...
याकि...वो मिलन
की घड़ी...
मेरा हर
लम्हा....तुम्हारी रोशनी से उज़ागर है..
...........................................'तरुणा'
2 comments:
ati sunder jiiiiiiiiii
Bahut bahut Shukriya ... Narayan dutt ji ... :)))
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