तुमने कितना पुकारा...???
कितनी आवाज़े लगाई...???
आ जाओ...पार करो...
इस मोहब्बत की...नदी को...
मना करती रही मैं...डूब जाऊँगी...
पर..इसे पार न कर पाऊँगी....
तुमने सिखाया है...मुझे...
डूबने का डर क्यूँ है...तुझे....??
उसका लुत्फ़ भी...लो....
थोड़ा ज़िंदगी को....तो जी लो....
फिर मिलकर बनाया....हमने एक पुल...
तुमने अपने किनारे से...मैने अपने....
पुल था हमारे..निर्माण की जादूगरी का...
एक अनोखा उदाहरण...हमारी कारीगरी का...
चलने लगे दोनो...उस पर...
तुम अपने किनारे से....मैं अपने छोर से...
और..बीच में...पहुँचते ही....
समेट लिया...तुमने अपना वो हिस्सा....
जैसे ख़त्म कर दोगे...आज ही वो किस्सा....
अब..ये पुल भरभराने लगा है...
टूटी हैं नींव...चरमराने लगा हैं....
मैं गिर रही हूँ...इस नदी में.....
तैरना आता नही....पुल टूट रहा है...
वापस कैसे जाऊँगी....????
मैं तो सच में...डूब जाऊँगी....
क्या तुमको नही था...ज़रा भी एहसास...
क़ि मिलके चले थे...साथ-साथ...
अगर डरते थे...तो आवाज़ें क्यूँ दी...???
गुरूर था कोई...तो बात क्यूँ की...???
मुझको जो डुबाना ही था....
इस पुल को गिराना ही था....
तो कह देते ऐसे ही....
मैं तो डूब जाती...वैसे ही...
तुम्हारे प्यार की नदी में...तुम्हारी गहरी आँखों में...
पर..कम से कम...धोखा तो न करते...
अपनी मोहब्बत का दम...यूँ तो न भरते....
अब...ये पुल गिर गया तो....
विश्वास...न जुड़ सका तो...
इस धोखे के गरल से...मैं तो मर जाऊँगी....
अब...उतनी सरल न मैं...रह पाऊँगी...
न रह पाऊँगी....उतनी सरल मैं...अब..
.............................................'तरुणा'...!!!
4 comments:
wah
मैं तो डूब जाती...वैसे ही...
तुम्हारे प्यार की नदी में...तुम्हारी गहरी आँखों में...
पर..कम से कम...धोखा तो न करते...
अपनी मोहब्बत का दम...यूँ तो न भरते....
Swadesh Arora ji....bahut shukraguzaar hoon ki aapko meri kavita pasand aayi....:)
Very Beautiful
Yogesh jii....baahut aabhaari hoon main aapki...:)
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