मिलने जुलने का सिलसिला कम है...
उनका अब मुझसे वास्ता कम है ;
.
कुछ चराग़ों में हौसला कम है...
कुछ मयस्सर उन्हें हवा कम है ;
.
आ न जाए कहीं ज़ुबान पे सच...
दिल मेरा झूठ बोलता कम है ;
.
क्यूँ बहलता नहीं कहीं भी ये दिल..
साथ वो है तो और क्या कम है ;
.
आ तो जाऊँ तुम्हारी बातों में...
बच निकलने का रास्ता कम है ;
.
दूर से दूर होते जाते हैं...
सिर्फ़ कहने को फ़ासला कम है ;
.
देख कर भी करें हैं अनदेखा..
इश्क़ में ये ही क्या सज़ा कम है..!!
.
...............................'तरुणा मिश्रा'..!!!