उधर
वो भी .. मज़े में है ... इधर मैं भी ... मज़े में हूँ...
ख़ुदा
ही जानता है ... ये कि ... मैं कैसे ... नशे में हूँ ;
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ग़लतफ़हमी .. हज़ारों हैं .... दिलों में ... दूरियाँ
कब हैं..?
समझते
तो .. सभी ये हैं ... मैं उससे ... फ़ासले में हूँ ;
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बताते
... लोग आ - आकर .... न मेरा ज़िक्र करता है ...
ज़रा
फिर गौर से .. पढना .. मैं उसके हर .. सफ़े में हूँ ;
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सुना
है बेवजह ही ….. रोज़ वो
... नाराज़ होता है...
नहीं
वो ग़ैर से ... गुस्सा ... मैं हर शिकवे-गिले में हूँ ;
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अकेला
... वो वहां है तो ... यहाँ मैं भी ... अकेली हूँ...
चला
जब .. याद का झोंका.... लगा मैं काफ़िले में
हूँ ;
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अलग
है .. ज़िंदगी
अपनी ... कभी यूँ हम .. नहीं मिलते...
मगर
हर पल वही मेरे .... मैं उसके ... फ़लसफ़े में हूँ ...!!
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......................................................................................'तरुणा'....!!!
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Udhar wo
bhi ... maze me hai... idhar main bhi.. maze me hun...
Khuda hi
jaanta hai ..... ye ki .. main kaise ….. nashe me hun ;
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Galatfahmi
... hazaron hain ... dilo me ... dooriyaan kab hain..?
Samjhte
to .. sabhi ye hain... main us'sey .. faasle me hun ;
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Bataate
... log aa- aakar ..... na mera zikr ...... karta hai..
Zara phir
se gaur se... padhna ... main uske har .. safeh me hun ;
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Suna hai
..... bewajah hi ... roz wo ... naaraz hota hai ...
Nahi wo
gair se ... gussa ... main har shikwe - gile me hun ;
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Akela ..
wo wahan hai to ... yahan main bhi ... akeli hun ....
Chala jab
yaad ka jhonka .... laga main ... kaafile me hun ;
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Alag hai
zindgi apni .... kabhi yun ham .... nahi milte ...
Magar har
pal wahi mere .... main uske ... falsafe me hun ..!!
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...........................................................................................'Taruna'....!!!
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