Tuesday, May 12, 2015

एक दूसरे में है हम... !!!


















उधर वो भी .. मज़े में है ... इधर मैं भी ... मज़े में हूँ...
ख़ुदा ही जानता है ... ये कि ... मैं कैसे ... नशे में हूँ ;
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ग़लतफ़हमी .. हज़ारों हैं .... दिलों में ... दूरियाँ कब हैं..?
समझते तो ..  सभी ये हैं ... मैं उससे ... फ़ासले में हूँ ;
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बताते ... लोग आ - आकर .... न मेरा ज़िक्र करता है ...
ज़रा फिर गौर से .. पढना .. मैं उसके हर .. सफ़े में हूँ ;
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सुना है बेवजह ही ….. रोज़ वो  ... नाराज़ होता है...
नहीं वो ग़ैर से ... गुस्सा ... मैं हर शिकवे-गिले में हूँ ;
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अकेला ... वो वहां है तो ... यहाँ मैं भी ... अकेली हूँ...
चला जब  .. याद का झोंका.... लगा मैं काफ़िले में हूँ ;
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अलग है .. ज़िंदगी अपनी ... कभी यूँ हम .. नहीं मिलते...
मगर हर पल वही मेरे .... मैं उसके ... फ़लसफ़े में हूँ ...!!
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......................................................................................'तरुणा'....!!!

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Udhar wo bhi ... maze me hai... idhar main bhi.. maze me hun...
Khuda hi jaanta hai  ..... ye ki .. main kaise  ….. nashe me hun ;
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Galatfahmi ... hazaron hain ... dilo me ... dooriyaan kab hain..?
Samjhte to .. sabhi ye hain... main us'sey .. faasle me hun ;
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Bataate ... log aa- aakar ..... na mera zikr ...... karta hai..
Zara phir se gaur se... padhna ... main uske har .. safeh me hun ;
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Suna hai ..... bewajah hi ... roz wo ... naaraz hota hai ...
Nahi wo gair se ... gussa ... main har shikwe - gile me hun ;
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Akela .. wo wahan hai to ... yahan main bhi ... akeli hun ....
Chala jab yaad ka jhonka .... laga main ... kaafile me hun ;
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Alag hai zindgi apni .... kabhi yun ham .... nahi milte ...
Magar har pal wahi mere .... main uske ... falsafe me hun ..!!
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...........................................................................................'Taruna'....!!!



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