Friday, November 21, 2014

ये सलीक़ा....!!!



पूछोगे हाले-दिल तो ...... बताया करेंगे हम...
टूटा है दिल अपना ना .. जताया  करेंगे हम ;
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कट जाएगी ये ज़िंदगी ... यूँ भी तेरे बगैर...
सबको ये सलीक़ा भी .... सिखाया करेंगे हम ;
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जब नाम तेरा होगा ..... वफ़ा की ज़मात में ...
क़िस्सा-ए-ज़फा तब ना .. सुनाया करेंगे हम ;
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ये जानते हैं ..... राहे-वफ़ा थी बड़ी मुश्किल ...
सपने में भी.. तुमको ना.. चलाया करेंगे हम ;
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हर बात को रोकर कहें .... आदत नहीं अपनी ..
अब.. मुस्कुरा के तुमको .. भुलाया करेंगे हम ;
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बेफ़िक्र रह तू ..... नाम ना लूंगी कभी तेरा ...
इस तरह सच को सबसे ... छुपाया करेंगे हम ..!!
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.....................................................................'तरुणा'....!!!


Puchhoge haale-dil to .. bataya karenge ham..
Toota hai dil apna na ... jataya karenge ham ;
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Kat jaayegi ye zindgi .... yun bhi tere bagair ...
Sabko ye saleeka bhi .... sikhaya karenge ham ;
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Jab naam tera hoga .... wafa ki jamaat me ...
Kissa-e-zafa tab na .... sunaya karenge ham ;
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Ye jaante hain ..... raahe-wafa thi badi mushqil..
Sapne me bhi .. tumko na .. chalaya karenge ham ;
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Har baat ko rokar kahein ... aadat nahi apni ...
Ab .. muskura ke tumko .. bhulaya karenge ham ;
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Befikr rah tu .....  naam na loongi kabhi tera ....
Is tarah sach ko sabse .. chhupaya  karenge ham..!!
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..................................................................................'Taruna'...!!!

Wednesday, November 12, 2014

बस इतना कर दे.... !!!



दे मुहब्बत मुझे इतनी .. के मोतबर कर दे...
मैं हारती रहूँ ..तू उसको .. मुज़फ्फर कर दे ;

(मोतबर-विश्वसनीय... मुज़फ्फर--विजेता )
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मेरे लफ़्ज़ों से  ... दर्द होता हो .. उसको शायद...
मेरी हर आह को .. मालिक तू.. दरबदर कर दे ;
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हाथ उठते हो .. फ़ना करने को .. मुझको जो भी..
ऐ ख़ुदा ऐसी ... हर दुआ को ... पुरअसर कर दे ;
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कोई दौलत ... न असासा ...  मुझे कभी देना...
मुझे बस इश्क़ की बारिश में .. तरबतर कर दे ;
(असासा- संपत्ति)
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जिसे हो शौक़ मंज़िलो का .... अता कर दो उसे...
मेरी हर एक ही मंज़िल को ..... तू सफ़र कर दे ;
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कविश कोई भी ... मकां को न ... घर बना पाई.....
मैं हूँ सफ़र में .... मेरी राह को ही .. घर कर दे ;
(कविश- प्रयास)
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मैं वो 'तरु' न बनूं ... छाँव न समर .. हो कोई ..
हो घोंसला किसी पंछी का .. वो शज़र कर दे ...!!
(समर--फल.. शज़र.....पेड़)
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.........................................................................'तरुणा'...!!!


De muhabbat mujhe itni  .. ke motbar kar de ..
Main haarti rahun.. tu usko .. muzaffar kar de ;

(motbar--trustworthy... muzaffar--victorious)
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Mere lafzon se .. dard hota ho .. usko shayad ..
Meri har aah ko ... maalik tu ..darbdar kar de ;
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Haath uthte ho ..fana karne ko .. mujhko jo bhi..
Ai Khuda aisi ... har dua ko .. purasar kar de ;
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Koi daulat ... na asasa ... mujhe kabhi dena.... 
Mujhe bas ishq ki ..baarish me ..tarbtar kar de ;
(asasa-- property)
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Jisey ho shauq manzilon ka ...  ata kar do usey..
Meri har ek hi manzil ko ....  tu safar kar de ;
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Kavish koi bhi .. makaan ko  ... na har bana paayi..
Main hun safar me .. meri raah ko hi .. ghar kar de ;
(kavish-effort)
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Main wo  'Taru' na banu .. chhanv na samar .. ho koi..
Ho ghonsla kisi panchhi ka ....  wo shazar kar de ....!!
(samar--fruit.... shazar--tree)
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..........................................................................................'Taruna'..!!!



Friday, November 7, 2014

पूरी मैं... और पूरे तुम... !!!






तुमने मुझे तक .... आने में...
कितनी ... सदियाँ दी गुज़ार...
और ये क्या.... 
आए भी तो..अधूरे से... 
कुछ यहाँ.. कुछ वहां...
मजबूर... हताश... लाचार ;

मुझे ... नहीं चाहिये...
ये बंटा सा प्यार...
कर लूंगी.. अभी और इंतज़ार...
पर जब आना .. तुम पास मेरे..
लाना खुद को... पूरा ही..
मैं भी हूँ ... पूरी की पूरी ...
पूरी मैं... और पूरे तुम..
मिल तो जाए .. इक बार....!!

..........................................................'तरुणा'...!!!


Tumne mujhe tak ...  aane me...
Kitni .... sadiyaan di guzaar ...
Aur ye kya...
Aaye bhi to ... adhoore se...
Kuchh yahan .. kuchh wahan.. 
Mazboor .. hataash ... laachaar ;

Mujhe  ... nahi chaaiye ...
Ye banta sa pyaar ..
Kar loongi .. abhi aur intzaar ...
Par jab aana ... tum paas mere .. 
Lana khud ko ... poora hi ..
Main bhi hoon ... poori ki poori....
poori main ... aur poore tum...
Mil to jaayein ..... ik baar .............!!

..............................................................'Taruna'......!!!



Thursday, November 6, 2014

तेरी प्रेम-दीवानी....!!!



जितनी तेज़ी से  ..तुझसे....
दूर ..जा रही थी....
उतनी ही... तेरी यादे...
क़रीब .. आ रही थी ;

कैसा है ये... दूर होके...
पास का ... एहसास...
जैसे .. रात और दिन..
हों .. एक साथ ;

अपने दामन में ..तेरी कुछ हंसी..
आँखों की.. थोड़ी सी शरारत...
और .. अदाओं की शोख़ी..
समेट लाई हूँ ... मैं ;

इनको.. अपने ही तन पे सजाकर..
जब निकलती हूँ .. मैं 
तो कहतें हैं ... ये सभी...
तेरी.. प्रेम-दीवानी हूँ .. मैं ;

तेरे रंगों में.. खुदको रंगकर..
तेरी चाहत में.. भीग कर..
ख़ुद को .. वही पे शायद..
तेरे दिल में .. भूल आई हूँ .. मैं...!!


.........................................................'तरुणा'...!!!


Jitni tezi se .. tujhse..
Door ... ja rahi thi..
Utni hi ... teri yaadein..
Kareeb ... aa rahi thi ;

Kaisa hai ye... door hoke..
Paas ka ... ehsaas...
Jaise .. raat aur din..
Ho ... ek saath ;

Apne daaman me ...teri kuchh hansi..
Aankhon ki .. thodi si shararat...
Aur .. adaon ki shokhi...
Samet laayi hoon... main ;

Inko ..apne hi tanpe sajakar...
Jab nikalti hoon ... main ..
To kahtein hain .. ye sabhi..
Teri... prem-deewani hoon.. main;

Tere rango me .. khudko rangkar...
Teri chahat me...bheeg kar..
Khud ko .. wahin pe shayad...
Tere dil me.. bhool aayi hoon .. main..!!


.............................................................'Taruna'...!!!