Saturday, April 26, 2014

ज़िंदगी की चाल.... !!!



ज़िंदगी में यूँ ही .. हम तो चलते गए...
दर्द जितने मिले ... वो भी पलते गए ;

तेज़ रफ़्तार से  .... दौड़तें हैं सभी ...
सारे एहसास भी ... यहाँ गलते गए ;

अपनी तन्हाई पे ... मैं न रोई कभी...
उनमें ढलती गई ... लफ्ज़ मिलते गए ;

साथ खुद का तो था.. और मिला न कोई..
लोग क़तरा के मुझसे ... निकलते गए ;

ना मुहब्बत सही .... कोई गम भी नहीं...
जिनको चाहा कभी ... वो ही जलते गए ;

अपने ज़ख्मों को तूने... सहेजा तो है..
चोट खाती रही  ... घाव सिलते गए.. !!

....................................................'तरुणा'....!!!


Zindgi me yun hi ... ham to chalte gaye..
Dard jitne mile ... vo bhi palte gaye ;

Tez raftaar se ... daudtein hain sabhi..
Saare ehsaas bhi ... yahan galte gaye ;

Apni tanhaayi pe .. main na royi kabhi..
Unme dhalti gayi ... Lafz milte gaye ;

Saath khud ka to tha... aur mila na koi...
Log katra ke mujhse ... nikalte gaye ;

Na muhabbat sahi ... koi gam bhi nahi..
Jinko chaha kabhi ... vo hi jalte gaye ;

Apne zakhmo ko tune ... saheja to hai ..
Chot khati rahi ... ghaav silte gaye .. !!


...........................................................'Taruna'...!!!

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