Monday, September 30, 2013

ज़िंदगी का बीज..... !!!



तू फ़िर आज इस तरह से मिला... मुझसे..
जैसे .. मिला था पहली बार ...
मेरा दिल किसी .... गुंचे सा चहका....
हर जर्रा..धरती का .... हमारे दिल सा धड़का....
फ़िज़ाओं के होंठों में ... शहद घुलने लगा ...
चाहतों की झील में ... चाँद उतरने लगा...
रात की दहलीज़ पे ... तारें कर रहे हैं ..अठखेलियाँ ...
छलकती चांदनी में मचलता  है .. हसरतों का जहां...
मुहब्बत के लम्हों से..खिली है ... मेरी मुरझाई ज़िंदगी.....
बेसाख्ता .. किसी क़ैदी से .... रिहाई कर रही है दिल्लगी ...
तेरी मुहब्बत के सितारों को ... यूँ पिरोया है मैंने....
जैसे बंज़र ज़मीं में ... बीज ज़िंदगी का..बोया है मैंने...
बीज... ज़िंदगी का.....
या मेरी ... मुहब्बत की बंदगी का...!!

...........................................'तरुणा'....!!!

Too phir aaj is tarah se mila ... mujhse...
Jaise .. mila tha pahli baar ...
Mera dil kisi .. gunche sa chehka ...
Har jarra..dharti ka ..... hamare dil sa dhadka...
Fizaaon ke honthon me ... shehad ghulne laga ....
Chaahton ki jheel me ... chaand utarne laga ...
Raat ki dehleej pe .. Taare kar rahen hain ..athkheliyaan ....
Chhalakti chaandni me machalta hai ... Hasraton ka jahan...
Muhabbat ke lamho se..khili hai ... Meri murjhaayi Zindgi ....
Besaakhta..kisi qaidi se ... rihaayi kar rahi hai dillagi ...
Teri muhabbat ke sitaaron ko ... yun piroya hai maine ....
Jaise banjar zameen me ... beej zindgi ka...boya hai maine ...
Beej ... Zindgi ka.....
Ya meri .. Muhabbat ki bandgi ka.... !!

...................................................................................'Taruna'...!!!

Tuesday, September 24, 2013

मुहब्बत की बाज़ी... !!!



आज वादियों में बिछी है...शतरंज की बिसात .....
खेल रहें हैं... हम और तुम...
और... फूल...पौधे..हवा...बादल...चाँद...सितारें....
बन गए हैं.... दर्शक....
ग़ज़ल.... नग्में...शेर....रुबाइयां...कविता....गीत ...संगीत...
बिखरी हैं.... मोहरों की तरह...
कभी तुम जीते बाज़ी ... तो कभी मैं....
कितना वक़्त... गया गुज़र...
न तुझे पता...न मुझे ख़बर...
ओह... !! ... ये क्या हुआ... अचानक ....
जीतते जीतते .... हम दोनों ही हारने लगे ...
तुम मुझसे .... मैं तुमसे ...
मैंने गवां दिया ख़ुद को...
तुमने सौंप दिया...स्वयं को मुझको....
हार गए दोनों ही... फ़िर भी हैं ख़ुश....
जीत गई है... आज इक बार और....
मुहब्बत .... हम दोनों से......

...........................................................'तरुणा'..... !!!

Aaj vaadiyon me bichhi hai ... Shatraj ki bisaat ...
Khel rahen hain ... ham aur tum...
Aur ... phool .. paudhe .. hava .. baadal .. chaand .. sitaare ..
Ban gaye hain ... darshak ..
Ghazal ... nagme .. sher .. rubaaiyaan .. kavita .. geet .. sangeet ..
Bikhrin hain ... mohron ki tarah ...
Kabhi tum jeete baazi .. to kabhi main...
Kitna waqt ... gaya guzar ..
Na tujhe pata ... na mujhe khabar ....
Ohhh ... !!   Ye kya hua ... achanak...
Jeet'te jeet'te ... ham dono hi haarne lage ...
Tum mujhse ... Main tumse ...
Maine ganwa diya... khud ko...
Tumne sanup diya.... swayam ko mujhko...
Haar gaye dono hi ... phir bhi hain kitne khush ...
Jeet gayi hai .. aaj ik baar aur ....
Muhabbat ..... ham dono se ...

.........................................................................'Taruna'.... !!!



Sunday, September 22, 2013

मेरी सर्जना.... !!!



माँ...ओ माँ...
चौक उठी मैं.. ये आवाज़ सुनकर..
कौन है...? किसने पुकारा मुझे...?
आगे कदम बढ़े ही थे..
कि वही आवाज़....वही अंदाज़...
ये मैं हूँ... मैं....!!!
मैं समझ ना पाई कुछ...
कौन है....? पुकारता है जो मुझे...
माँ...मैं हूँ तुम्हारी परछाई...
अब तक जिसे तुम....
दुनिया में नही लाई...
हाथ रख अपनी... कोख पर 
महसूस करो मुझे....मैं हूँ..
तुम्हारी ही.. सर्जना
नव कोंपल सी ...ले रही हूँ..
मैं अंगड़ाई....!
जीवन है मुझमे भी..
जन्म ना लिया तो क्या....?
महसूस करती हूँ ....संसार को
छू ना पाई उसे तो क्या...?
समझती हूँ माँ...मैं..
तुम्हारी भावनाओ को...!
मत रोको... मेरी उड़ान को
इन कोमल कल्पनाओ को....!
माँ....जन्म दो मुझको..
मत अपनी कोख को... कलंक लगाओ..!
मैं भी हूँ...खुदा का नूर ..
मुझे ना... यूँ ठुकराओं...!
चौंकी मैं...काँप गई ये सुनकर...
मिटाने चली थी खुद...ख्वाबो को बुनकर....!
क्यूँ ना सुन रही थी....अपनी ही धड़कन को...
ईश्वर के वरदान को... और अपने सृजन को...
कोई कुछ भी कहे...
या करे जोरो-जबर...
लाऊंगी ...अपनी कृति को
दूर करके हर भंवर..
भरूँगी नवरंग ...अपनी तस्वीर मे
बनूँगी अलहदा ...दुनिया की भीड़ में
ना मरेगी बेटी... कोई अब..
अपनी माँ की ...कोख में
बढ़ूंगी इस दिशा में...मैं...
प्रयास करूँगी... इस ओर में..
.........................इस ओर में.... !!!
..................................................'तरुणा'......!!!

Thursday, September 19, 2013

तेरी दीवानगी......



सोचती हूँ....
कभी .. यूँ ही...
क्या ये लफ्ज़ ... मुक़म्मल होंगे... ?
क्या कभी मेरे दिल से ... तेरे दिल की बात होगी... ?
ज़िंदगी के सहरा में ... क्या बरसात होगी ...??
जाने कब वो ... वस्ल की रात होगी... ???

मैं तेरी पनाह में ... और तू मेरे पहलू में होगा...
फूलों की शोखी से भरपूर ... तेरा दामन होगा....
हर निग़ाह में मेरी ... इक तेरा ही ख्व़ाब मचलेगा...
कब तेरे इंद्रधनुषी रंगों में ... ये ज़िस्म पिघलेगा... ?

मेरी हसरतों की दुनिया में ... हो तेरी याद़ों की बानगी...
एहसास के जुगनू में हो ... शबनम की पाकीज़गी....
तू मेरे साथ हो ऐसे ... जैसे गुलों की ताज़गी...
आज फ़िर साथ है मेरे ... तेरी दीवानगी...

.............................................................'तरुणा'...!!!

Sochti hoon.... 
Kabhi ... yun hi..
Kya ye lafz ... Mukammal honge... ?
Kya kabhi mere dil se .... Tere dil ki baat hogi.. ?
Zindgi ke sahra me .... kya barsaat hogi... ??
Jaane kab vo ... Vasl ki raat hogi.... ???

Main teri panah me ... Aur too mere pahloo me hoga...
Phoolon ki shaukhi se bharpoor .... Tera daaman hoga.....
Har nigaah me meri ... Ik tera hi khwaab machlega ...
Kab tere indradhanushi rango me ... Ye zism pighlega .. ?

Meri hasraton ki duniya me ... Ho teri yaadon ki baangi....
Ehsaas ke jugnu me ho .... Shabnam ki paakeezgi.....
Too mere saath ho aise .... Jaise gulon ki taazgi.... 
Aaj phir saath hai mere ..... Teri deewaangi..... 

................................................................................ 'Taruna'.... !!!